भोपाल। पदोन्नति पर लगे ब्रेक को हटाने और महंगाई भत्ते की मांग को लेकर प्रदेशभऱ में 6 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कर्मचारियों की मांग और उनकी इस एक दिन की सांकेतिक हड़ताल का कांग्रेस ने समर्थन किया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार से उनकी मांगो पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने की मांग की है. दूसरी तरफ गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कर्मचारियों को अपने लोग बताते हुए उनकी मांगों पर विचार करने और उनसे बैठ कर बात करने को कहा है.
हड़ताल में 43 यूनियन शामिल
अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा मध्य प्रदेश के सभी जिलों के सभी ऑफिसों में सरकार के खिलाफ गुरुवार को अधिकारी-कर्मचारी समूहिक अवकाश पर हैं. इस संयुक्त मोर्चा में प्रदेश के 43 यूनियन शामिल हैं. अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा सरकार से अपनी 2 मांगों को मनवाने के लिए प्रदर्शन कर रहा है. इस आंदोलन से शासकीय कामकाज एक दिन के लिए बंद है. इस आंदोलन में करीब 6 लाख कर्मचारी शामिल हैं.
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मै सरकार से माँग करता हूँ कि इनकी माँगो पर तत्काल सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय लिया जावे।
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इन दो मांगों के लिए कर रहे प्रदर्शन
- 5% महंगाई भत्ता, जो राज्य सरकार द्वारा स्थगित कर दिया गया था
- कर्मचारियों और अधिकारियों की पदोन्नति दिए जाने की मांग
सरकार जारी कर चुकी है वेतन वृद्धि के आदेश
कर्मचारी संगठनों की वार्षिक वेतन वृद्धि की मांग को मानते हुए राज्य शासन पहले ही इसके आदेश भी जारी कर चुका है, लेकिन कर्मचारी संगठनों की दो मांगें प्रमुख हैं. जिनमें पदोन्नति और महंगाई भत्ते की मांग मुख्य है. अपनी मांगों के समर्थन में सरकार को दिए गए नोटिस को लेकर कर्मचारी संगठनों का कहना है कि आंदोलन को लेकर जब सरकार को नोटिस दिया गया था, उस वक्त केन्द्र सरकार की तुलना में कर्मचारियों का डीए 5 फीसदी पीछे था, जो अब 16 फीसदी पीछे पहुंच चुका है.। पदोन्नति के मामले में भी सरकार पिछले सालों से सिर्फ नए नियम बनाने का हवाला देकर मामले को टाल रही है. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि 30 मई 2016 से प्रदेश के कर्मचारी अधिकारियों की पदोन्नति नहीं हुई है. सैकड़ों कर्मचारी पदोन्नति की आस में रिटायर्ड हो चुके हैं जबकि कई होते जा रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है.
ऑफिस पहुंचे कर्मचारियों को लौटाया
कर्माचरी संगठनों की एक दिन की हड़ताल के आव्हान के बाद कई अधिकारी, कर्मचारी ऑफिस पहुंच गए थे, लेकिन राजधानी भोपाल के विंध्यांचल भवन के गेट पर मौजूद कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने उन्हें हड़ताल की जानकारी देकर वापस लौटा दिया. आपको बता दें कि सरकार पहले ही कर्मचारी संगठनों की हड़ताल को अवैधानिक करार दे चुकी है और हड़ताल पर जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं बावजूद इसके प्रदेश भर में 6 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर रहे.
कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त मोर्चा और पंचायतकर्मी पहले से ही हड़ताल पर
प्रदेश में कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त मोर्चा और पंचायतकर्मी पहले से हड़ताल पर हैं. 29 जुलाई की हड़ताल में पटवारी भी शामिल रहे. कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त मोर्चा प्रदेश सरकार से महंगाई भत्ता बढ़ाने और पदोन्नति की मांग कर रहा है वहीं जनपद और पंचायत कर्मी अनुकंपा नियुक्ति, रिक्त पदों को भरने, राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव कम करने, रोजगार सहायकों को नियमित करने की मांग करते हुए पहले से ही हड़ताल पर हैं. वहीं आज की हड़ताल में शामिल रहे पटवारियों ने भी पे-ग्रेड बढ़ाए जाने की मांग की है.