भोपाल (शिफाली पांडे) : कुछ लोग कहते हैं कि नाम में क्या रखा है? तो कुछ लोग कहते हैं कि नाम में ही सब रखा है. मध्य प्रदेश की राजनीति भी ठीक इसी के इर्द-गिर्द घूम रही है. कुलपति का पदनाम 'कुलगुरू' करने के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसकी शुरुआत की और जब उज्जैन जिले के 3 गांवों के नाम बदले तो पूरे प्रदेश से नाम बदलने की बयार उठने लगी.
औबेदुल्लागंज, गौहरगंज, सुल्तानगंज समेत उज्जैन जिले के ही बेगम बाग और अंडा गली का नाम बदले जाने की मांग जोर पकड़ने लगी. नाम बदले जाने की कतार में भोपाल भी है. रुक-रुककर ही सही कई बार इसका नाम 'भोजपाल' किए जाने की आवाजें उठती रही हैं. नाम बदलने के मामले में मोहन यादव मध्य प्रदेश में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों से कहीं आगे निकल रहे हैं. हांलाकि, इसकी शुरुआत शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में ही हो गई थी.
उज्जैन में नाम बदलने का विरोध और डिमांड दोनों
सीएम डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में जगह का नाम बदलने की कवायद उन्होंने होम ग्राउंड यानी उज्जैन से की, लिहाजा अब डिमांड भी वहीं से उठ रही है. पहले सीएम ने उज्जैन के 3 गांवों का नाम बदला तो इसके बाद उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने मांग रखी है कि " महाकाल मंदिर तक का जो रास्ता है उसका नाम महाकाल लोक मार्ग होना चाहिए. इस मार्ग में बेगम बाग और अंडा गली, तोपखाना जैसे इलाकों के नाम आते हैं. इन्हें बदला जाना चाहिए. इसी तरह उज्जैन के नजदीक जो फतियाबाद है वहां का नाम भी देवी माता के नाम पर होना चाहिए." हालांकि, नाम बदलने का यहां विरोध भी हुआ.
नाम बदले जाने की कतार में हैं ये इलाके
मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने उज्जैन जिले के गांवों के नाम बदलकर शुरुआत कर दी है. भोपाल के आसपास के अलावा रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज, सुल्तानपुर के अलावा बेगमगंज, गौहरगंज, भोपाल के नजदीक हलाली डैम, हलालपुरा इलाका ये वो जगहें हैं जिनका नाम बदले जाने की मांग शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौर में ही शुरु हो गई थी. यह मुद्दा पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने उठाया था.साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि ये नाम रक्तरंजित इतिहास से जुड़े हुए हैं, इस लिहाज से इन्हें बदला जाना चाहिए. जिसके बाद हलालपुर बस स्टैंड का नाम हनुमान गढ़ी बस स्टैंड और लाल घाटी का नाम महेन्द्र नारायण दास महाराज सर्वेश्वर चौराहा किए जाने का प्रस्ताव नगर निगम में पेश किया गया था.
'हर नाम के पीछे एक कहानी'
इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी कहते हैं, " भोपाल में जो इलाकों के नाम हैं वो उन लोगों के नाम पर हैं जिन्होंने इन इलाकों को बसाया था. मसलन जनरल औबदुल्ला के नाम पर 'औबेदुल्लागंज' का नाम रखा गया था. उन्हीं के नाम पर औबेदुल्ला गोल्ड कप होता टूर्नामेंट होता है. इसी तरह से नवाब नसरुल्ला खान, जो कि सुल्तान जहां के बड़े बेटे थे उनके नाम पर 'नसरुल्लागंज' का इलाका था, तो ये नाम उनके नाम पर इसलिए रखे गए कि उन बस्तियों को बसाने में उनका योगदान था, वो इतिहास का हिस्सा थे. अब हटाना है तो नाम हटा दीजिए लेकिन हर बस्ती इलाके के नाम के पीछे की कहानी है. किसी ने शहर बसाया तो नाम उसके नाम पर हुआ."
रामभद्राचार्य भी कर चुके हैं भोजपाल की डिमांड
भोपाल का नाम 'भोजपाल' किए जाने की मांग मनोज मुंतशिर से लेकर रामभद्राचार्य महाराज तक उठा चुके हैं. भोपाल के एक कार्यक्रम के सिलसिले में आए मनोज मुंतशिर ने कहा था कि अब तो भोपाल का नाम भोजपाल हो जाना चाहिए. वहीं महाराज रामभद्राचार्य कथा के लिए जब आए तो ये कहकर गए कि वे वापिस अब तभी आएंगे जब भोपाल का नाम भोजपाल हो जाएगा.
46 साल से चल रही भोजपाल की मांग
भोपाल को 'भोजपाल' करने का मुद्दा 46 बरस से उठता आ रहा है. सबसे पहले समाज सेवी उध्दव दास मेहता ने ये मांग 46 साल पहले उठाई थी. फिर राजा भोज का जब राज्यारोहण हुआ था तो तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि अब भोपाल का नाम भोजपाल पर होगा. लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया और तब से लगातार ये मांग लंबित है.
भोपाल सांसद आलोक शर्मा कहते हैं, " ये मांग हम लंबे समय से उठाते रहे हैं, ये भोपाल के आम आदमी की जनभावना है कि भोपाल का नाम भोजपाल किया जाएगा.अब इस दिशा में फिर जल्द प्रयास शुरू करेंगे."
शिवराज के राज में इस्लाम नगर बना जगदीशपुर
मोहन यादव के पहले शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्याकल में इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर किया था. इसी तरह नसरुल्लागंज को भी भैरुंदा का नाम दिया गया. हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन किया गया.
मोहन ने एक झटके में बदल डाले 3 नाम
सीएम डॉ. मोहन यादव ने नाम बदलने की शुरुआत अपने होम फ्रंट उज्जैन से ही की. उन्होंने 50 किलोमीटर दूर बड़नगर तहसील के 3 गांवों के नाम बदल दिए. उन्होंने गजनीखेड़ी पंचायत का नाम 'चामुंडा माता' कर दिया. इसी तरह मौलाना गांव का नाम 'विक्रम नगर' और जहांगीरपुर को 'जगदीशपुर' नाम दिया. उन्होंने नाम बदलते हुए कहा कि नाम जनता की भावनाओं के मद्देनजर बदले जा रहे हैं. हांलाकि, उनके इस फैसला का समर्थन भी हुआ और विरोध भी. यह ऐलान बड़नगर में सीएम सनराइज स्कूल के उद्घाटन समारोह के दौरान किया गया था.
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'नाम बदलने से बुनियादी समस्याएं हल नहीं होंगी'
इस फैसले का मुस्लिम समाज के एक वर्ग ने विरोध किया है. उनका कहना है कि नाम बदलने से बुनियादी समस्याएं हल नहीं होंगी. मुस्लिम समाज के नेता साहिल देहलवी ने कहा, "मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों का मानना है कि यह कदम राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है. सरकार को सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए." नेता मुजीब सुपारी वाले ने इसे वोट बैंक की राजनीति बताया है. कहा- ''नाम बदलने मात्र से विकास संभव नहीं है."