भोपाल/दिल्ली। लोहड़ी खुशियों का त्योहार है. यह त्योहार भगवान सूर्य और अग्नि को समर्पित है. सूर्य और अग्नि को ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है. यह त्योहार सर्दियों के जाने और बसंत ऋतु के आने का संकेत है. लोहड़ी की रात सबसे ठंडी मानी जाती है. इस त्योहार पर पवित्र अग्नि में फसलों का अंश अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से फसल देवताओं तक पहुंचती है.
आज 13 जनवरी 2022 को लोहड़ी पूरे देश में धूमधाम से मनायी जा रही है. पंजाबियों के लिए यह त्योहार काफी महत्व रखता है. इस त्योहार के दिन पंजाबी गीत और डांस का आनंद लिया जाता है. यह त्योहार मुख्यतः नई फसल की कटाई के मौके पर मनाया जाता है और रात को लोहड़ी जलाकर सभी रिश्तेदार और परिवार वाले पूजा करते हैं. लोहड़ी से कई लोक और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं, जिनके कारण यह त्योहार मनाया जाता है. भांगड़े के साथ डांस और आग सेंकते हुए खुशियां मनाने का पर्व है लोहड़ी.
![Lohri-festival 2022](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14168661_lohri.jpg)
हरियाणा और हिमाचल समेत पूरे देश में लोहड़ी की धूम है. इस त्योहार में मूंगफली, रेवड़ी, पॉपकॉर्न और मूंगफली खाने का और लोगों को प्रसाद में देने की विशेष परंपरा है. इससे पहले लोग शाम को सबसे पहले आग में रेवड़ी और मूंगफली डालते हैं. चूंकि लोहड़ी को किसानों का प्रमुख त्योहार माना जाता है. ऐसे में फसल मिलने के बाद मनाए जाने वाले पर्व में आग देवता को किसान प्रसन्न करने के लिए लोहड़ी जलाते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं. जलती लोहड़ी में गजक और रेवड़ी को अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है. लोहड़ी में भी होलिका दहन की तरह ही उपलों और लकड़ियों का छोटा ढेर बनाया जाता है. इसके आस-पास परिवार के सभी सदस्य खड़े होते हैं और नाच गाकर खुशियां मनाते हैं. महिलाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की आग को तपाती हैं. माना जाता है इससे बच्चा स्वस्थ रहता है और उसे बुरी नजर नहीं लगती.
![Lohri-festival 2022](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14168661_lohri-4.jpg)
हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में अग्नि को देवताओं का मुख माना गया है. ऐसे लोहड़ी मनाने वाले किसान मानते हैं कि अग्नि में समर्पित किया गया अन्न का भाग देवताओं तक पहुंचता है. ऐसा करके लोग सूर्य देव और अग्निदेव के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं. पंजाब के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से सभी का हक प्राप्त होता है साथ धरती माता अच्छी फसल देती हैं. किसी को अन्न की कमी नहीं होती. पंजाब में इस त्योहार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. खास की शादी के बाद जिसकी पहली लोहड़ी है उसे अपने घर में रहकर लोहड़ी मनाना और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना महत्वपूर्ण माना जाता है.
कौन था दुल्ला भट्टी ?
दुल्ला भट्टी मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था. उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था क्योंकि पहले बड़े और अमीर व्यापारी लड़कियां खरीदते थे. तब इस वीर ने लड़कियों को छुड़वाया और उनकी शादी भी करवाई. इस तरह महिलाओं का सम्मान करने वाले वीर को लोहड़ी पर याद किया जाता है. दुल्ला भट्टी अत्याचारी अमीरों को लूटकर, निर्धनों में धन बांट देता था. एक बार उसने एक गांव की निर्धन कन्या का विवाह स्वयं अपनी बहन के रूप में करवाया था.
![Lohri-festival 2022](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14168661_lohri-2.jpg)
किसानों के लिए खास है यह त्योहार
किसानों के लिए इस त्योहार का खास महत्व होता है. इस त्योहार को वह नई फसल के स्वागत के तौर पर देखते हैं. लोहड़ी का त्योहार सर्दियों के जाने और बसंत के आने के संकेत के तौर पर भी देखा जाता है. इस बार 13 जनवरी गुरुवार को यह त्योहार मनाया जाएगा. इस त्योहार पर लोग रात के वक्त अलाव जलाकर उसके चारों ओर परिक्रमा करते हुए नृत्य करते हैं. इस अलाव में गेहूं की बाली और मक्का भी डाला जाता है. पंजाबियों के लिए इस त्योहार का धार्मिक महत्व भी बहुत खास होता है.
लोहड़ी की परंपरा
पंजाब में लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है. ये शब्द तिल और रोड़ी से मिलकर बना है. रोड़ी, गुड़ और रोटी से मिलकर बना पकवान है. लोहड़ी के दिन तिल और गुड़ खाने और आपस में बांटने की परंपरा है. ये त्योहार दुल्ला भट्टी और माता सती की कहानी से जुड़ा है. मान्यता है इस दिन ही प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता सती ने आत्मदाह किया था. इसके साथ ही इस दिन लोक नायक दुल्ला भट्टी, जिन्होंने मुगलों के आतंक से सिख युवतियों की लाज बचाई थी. उनकी याद में आज भी लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. लोग मिल-जुल कर लोक गीत गाते हैं और ढोल-ताशे बजाए जाते हैं. (Lohri tradition)
![Lohri-festival 2022](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14168661_lohri-3.jpg)
कैसे मनाते हैं लोहड़ी ?
लोहड़ी का पर्व पौष माह की आखिरी रात को धूम-धाम से मनाया जाता है. लोहड़ी का पर्व शीत ऋतु की समाप्ति और बसंत के आगमन के उपलक्ष में मनाया जाता है. इस दिन लोग खेत-खलिहानों में इकट्ठा होकर एक साथ लोहड़ी का पर्व मनाते हैं. इस दिन शाम के समय लोग आग जला कर उसके चारों ओर नाच-गाना गाकर लोहड़ी का पर्व मनाते हैं. इस आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दाने डाले जाने की परंपरा है. इसके साथ ही घरों में तरह-तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं. लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर नाचते गाते हैं, खुशियां मनाते हैं. (How Lohri is celebrated ?)
पहली लोहड़ी का जश्न
ऐसा माना जाता है कि जिस घर में नई शादी हुई हो, शादी की पहली वर्षगांठ हो या संतान का जन्म हुआ हो, वहां लोहड़ी बड़े ही जोरदार तरीके से मनाई जाती है. लोहड़ी के दिन कुंवारी लड़कियां रंग-बिरंगे नए-नए कपड़े पहनकर घर-घर जाकर लोहड़ी मांगती हैं. माना जाता है कि पौष में सर्दी से बचने के लिए लोग आग जलाकर सुकून पाते हैं और लोहड़ी के गाने भी गाते हैं. इसमें बच्चे, बूढ़े सभी स्वर में स्वर और ताल में ताल मिलाकर नाचने लगते हैं. साथ ही ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा भी किया जाता है.
(History of Lohri festival) (Happy Lohri 2022) (Lohri 2022)