भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं और अब आने वाले समय में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनावों की तारीखों का ऐलान भी हो सकता है. यही कारण है कि निगम-मंडलों के दावेदारों में इस बात की आस फिर जाग उठी है कि जल्दी ही उनकी किस्मत का ताला खुल सकता है. राज्य में अगले विधानसभा चुनाव के लिए लगभग दो साल का समय बचा है, डेढ़ साल कांग्रेस की सरकार रही और अब भाजपा की सरकार का भी डेढ़ साल का वक्त गुजर चुका है. इन दोनों ही सरकार के तीन साल के कार्यकाल में अगर कोई बात नहीं बनी तो वह निगम-मंडलों की नियुक्तियां की हैं. कांग्रेस काल में गिनती की ही नियुक्तियों हो सकीं थी और अब भाजपा के डेढ़ साल के कार्यकाल में भी ऐसा ही हुआ है.
भाजपा संगठन और सत्ता के बीच कई दौर की पहले ही बात हो चुकी है, नामों को अंतिम रुप भी दिया जा चुका है, मगर घोषणा नहीं हो पा रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंडल-निगमों के लिए नाम तो लगभग तय है, बस दिल्ली से हरी झंडी मिलते ही नामों का ऐलान हो जाएगा.
सूत्रों की मानें तो पार्टी किसी तरह के असंतोष को पनपने नहीं देना चाहती है, यही कारण है कि मंथन का दौर लगातार चला. सभी बड़े नेताओं से नाता रखने वालों को जिम्मेदारी देने की मंशा के कारण ही सूची जारी होने में विलंब हुआ है. आगामी समय में पंचायत और नगरीय निकाय प्रस्तावित है, लिहाजा इस बात की कोशिश चल रही है कि नामों का जल्दी ऐलान कर दिया जाए.
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एक तरफ जहां सत्ता और संगठन सभी बड़े नेताओं के करीबियों और समर्पित कार्यकर्ताओं को स्थान देने का मार्ग निकाल चुके हैं तो वहीं इस बात पर भी जोर है कि इन नियुक्तियों में निष्ठावान कार्यकर्ता भी न छूट जाएं. इन नियुक्तियों में पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती दल बदलकर पार्टी में आए लोगों को स्थान देने की है. नियुक्तियों में होने वाली देरी को भी यही कारण माना जा रहा है.
(इनपुट - आईएएनएस)