भोपाल। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. बीते 15 दिन में ही 4 बाघों की मौत अलग अलग वजहों से हो चुकी है. जबकि पिछले तीन सालों में यह आंकड़ा 25 बाघों की मौत का है. बाघों की यह मौत दुर्घटना, वृध्दावस्था, बीमारी और टेरिटोरियल फाइट के चलते हुई है. लेकिन बेमौत मरते ये बाघ टाइगर स्टेट की सरकार और उसके वन विभाग पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, जिसके पास ऐसी घटनाओं को रोकने का कोई इंतजाम नहीं हैं.
बीते 15 दिन में 4 बाघों की मौत
- 7 मई- बालाघाट के वारासिवनी फॉरेस्ट रिजर्व के लामता प्रोजेक्ट के तहत आने वाले खड़गपुर की नहर में 1 बाघ का शव संदिग्ध अवस्था में शव मिला. मृत बाघ की उम्र 3-4 वर्ष थी.
- 11 मई-बैतूल : मध्य प्रदेश के बैतूल में एक शावक हादसे का शिकार हो गया. घोड़ाडोंगरी के भौंरा नदी के पास ट्रेन के टकराने से एक टाइगर शावक की मौत हो गई. शावक लगभग डेढ़ साल का था.
- 14 मई - उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर के बड़खेरा बीट आरएफ 334 में एक नाले के किनारे एक बाघ का दफनाया हुआ शव पाया गया. शिकारियों ने बाघ के नाखून, चमड़ी, दांत निकालने के बाद उसे मिट्टी में दफना दिया था.
- 16 मई- पन्ना टाइगर रिजर्व के गहरीघाट रेंज में एक बाघिन की अज्ञात कारणों से मौत हो गई. मृत बाघिन पी-213 चार नन्हें शावकों की मां थी. मृत बाघिन के बाएं पैर में कुछ दिनों से सूजन थी. बाघिन के कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना भी जताई जा रही है. बाघिन का स्बैव सैंपल जांच के लिए भेजा गया है.
शिकारियों का शिकार बन चुके हैं 25 बाघ
- टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्य प्रदेश में पिछले तीन साल में 25 से ज्यादा बाघों का शिकारियों ने शिकार किया है.
- साल 2018 से 2021 के शुरुआती दिनों में ही 93 बाघों की मौत हो चुकी है.
- पिछले तीन सालों में बाघों के शिकार के मामले में 25 मामले दर्ज हुए जिनमें लगभग 77 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.
जुलाई 2019 में मिला था टाइगर स्टेट का दर्जा
- 526 बाघों के साथ मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट बना था. 31 जुलाई 2019 को जारी हुए राष्ट्रीय बाघ आंकलन रिपोर्ट 2018 के मुताबिक, 526 बाघों के साथ मध्य प्रदेश ने टाइगर स्टेट का अपना खोया हुआ दर्जा कई सालों बाद कर्नाटक को पीछ छोड़कर फिर से हासिल किया था.
- इससे पहले साल 2006 में मध्य प्रदेश को 300 बाघ होने के चलते टाइगर स्टेट घोषित किया गया था.
- शिकार और अन्य कारणों से साल 2010 में प्रदेश में बाघों की संख्या घटकर 257 रह गई थी. जिसके बाद मध्य प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छीनकर कर्नाटक को दे दिया गया था. तब कर्नाटक में 300 बाघ थे.
- मौजूदा हालात में बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है.
- अब मौजूदा स्थिति में प्रदेश में बेमौत मर रहे बाघों की स्थिति पर वन्यप्राणी प्रेमियों का कहना है कि मध्य प्रदेश तो टाइगर स्टेट बन गया, लेकिन यहां की सरकार और वन विभाग टाइगर्स की स्थिति को लेकर लापरवाह हैं. जिसके चलते प्रदेश में बाघों की असमय मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है.
बाघों की मौत के मामले में भी एमपी अव्वल
- टाइगर स्टेट होने के बावजूद मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत हो रही है.
- 2020 के अक्टूबर माह तक ही प्रदेश में 22 बाघों की मौत हो चुकी थी. इनमें ज्यादातर की मौत टेरिटोरियल फाइट में हुई है.
- कर्नाटक में 2018 में 524 बाघ थे जबकि यहां अक्टूबर 2020 तक सिर्फ 8 बाघों की मौत हुई है.
- इसी तरह उत्तराखंड में तीन महाराष्ट्र में 11 और उत्तर प्रदेश में 7 बाघों की मौत के मामले सामने आए. प्राणी विशेषज्ञ कहते हैं
प्रदेश में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन बाघों का रहबसर क्षेत्र नहीं बढ़ा, जिसे बढ़ाए जाने की जरूरत है. यही वजह है कि बाघों के बीच संघर्ष बढ़ा है. वहीं इंसानों से भी उनका आमना-सामना ज्यादा हो रहा है, उनके मुताबिक सरकार को नए टाइगर रिजर्व को बनाने पर जल्द विचार करना चाहिए.
डॉ.सुदेश वाघमारे, वन्य प्राणी विशेषज्ञ
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बांधवगढ़ को लगी शिकारियों की नजर
- मध्यप्रदेश के उमरिया में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की प्रदेश को टाइगर स्टेट बनाने में अहम भूमिका रही है.
- बांधवगढ़ में बाघों की संख्या 124 है, लेकिन बांधवगढ़ वर्तमान समय में बाघों से ज्यादा शिकारियों की पसंद बना हुआ है.
- 14 मई को ही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक युवा बाघ का शिकार करने के बाद शिकारियों ने नाखून, दांत, चमड़ा निकाल कर बाघ के शव को जमीन में दफना दिया था.
- इस क्षेत्र में पहले भी शिकारी बाघ को अपना शिकार बना चुके हैं. अक्टूबर 2019 में दो शिकारियों को वन विभाग ने गिरफ्तार भी किया था.
- बीते शुक्रवार को जिस जगह पर बाघ का शव दफन मिला है वहां से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर रहने वाले उत्तम सिंह को अक्टूबर 2019 में भी बाघ के दांत बेचने के दौरान गिरफ्तार किया गया था.
- कुछ दिनों पहले वन विभाग के अधिकारियों को यह सूचना मिली थी कि बड़खेरा बीट में शिकारी सक्रिय हैं, लेकिन वन विभाग ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया जिसके नतीजे में शिकारियों ने एक और बाघ की जान ले ली.
इस साल हुई वन्य प्राणियों की मौत
- 19 जनवरी को दमना बीट में एक बाघ शावक की मौत हुई. शावक की मौत को पार्क प्रबंधन ने पूरी तरह से छुपा लिया और चुपचाप बाघ का पीएम करा कर उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया.
- 15 फरवरी 2021 को पनपथा बफर जोन की जाजागढ़ बीट क्रमांक आरएफ 395 मे भदार नदी के किनारे बमरघाट में बाघों की लड़ाई में एक बाघ की मौत हो गई.
- उमरिया बकेली वीट क्रमांक 191बी में 17-18 फरवरी की मध्य रात्रि में एक नर तेंदुआ के बाघ के हमले में मारे जाने की जानकारी मिली.
- 29 मार्च को एक बाघिन का शव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मगधी जोन की रोहनिया बीट में पाया गया था.
- 31 मार्च को एक और बाघिन की मौत बांधवगढ़ रिजर्व में ही हुई.
- 4 अप्रैल को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर परिक्षेत्र में एक मादा तेंदुए का शव पाया गया था.
- 8 अप्रैल को एक तेंदुए का शव जंगल में पाया गया.
- 14 अप्रेल को बनबेई बीट में 4 साल की बीमार बाघिन की मौत हुई
2020 में भी संदिग्ध परिस्थितियों में हो चुकी है 11 बाघों की मौत
- 9 अप्रैल को खितौली रेंज के बरतराई बीट में एक बाघ शावक की मौत हो गई. यह बाघ शावक लगभग साल भर का था, जिसे दूसरे बाघ ने संघर्ष में मार दिया था.
- 22 अप्रैल को पनपथा में 10 वर्षीय बाघ की रहस्यमई मौत हो गई. बाघ का शव झाड़ियों में छिपा हुआ पाया गया.
- 14 जून को ताला के कथली बीट में दो शावकों की रहस्यमय मौत हो गई यह शावक 15 से 20 दिन के थे.
- 11 सितंबर को बन्नाोदा के निकट जंगल में एक तेंदुए का शव तालाब के किनारे पाया गया. करंट लगाकर तेंदुए का शिकार किया गया था.
- 24 सितंबर को धामोखर में 3 वर्षीय मादा बाघिन की दूसरे बाघ से संघर्ष में मौ हुई.
- 10 अक्टूबर को बांधवगढ़ में दो बाघ शावकों की मौत रहस्यमय ढंग से हो गई.
- 17 अक्टूबर को टी-16 बाघिन और उसके दो शावकों की रहस्यमई परिस्थितियों में मौत हो गई और उसके दो शावक लापता हो गए.
- 7 नवंबर को बरबसपुर में एक और तेन्दुए का शव पाया गया जिसे शिकार के बाद तालाब में छिपा दिया गया था.
- 15 नवंबर को बांधवगढ़ के पनपथा से लगे शहडोल जिले के ब्यौहारी वन परिक्षेत्र में बांधवगढ़ के एक बाघ का जमीन में दबा हुआ शव पाया गया.बाघ को शिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया था.