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बापू की जयंती पर दिखा खादी का जलवा, मॉडल्स ने किया कैटवॉक

राजधानी भोपाल में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने खादी के महत्व के बताने के लिए फैशन शो का आयोजन किया. इस फैशन शो के दौरान 62 डिजाइनर्स ने 82 डिजाइंस के माध्यम से लोगों को खादी के अलग-अलग रंग देखने को मिले.

खादी का जलवा
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Published : Oct 2, 2019, 10:25 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 11:36 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने गांधी जयंती के अवसर पर लोगों को खादी का महत्व बताने के लिए फैशन शो का आयोजन किया. इस फैशन शो के दौरान 62 डिजाइनर्स ने 82 डिजाइंस के माध्यम से खादी का जुदा अंदाज लोगों को दिखाने का प्रयास किया गया.

रैंप पर दिखा खादी का जलवा

फैशन शो का मुख्य उद्देश्य यही था कि लोग खादी को न सिर्फ समझे बल्कि यह भी समझे खादी सिर्फ एक परिधान नहीं है. बल्कि हमारी संस्कृति की पहचान है. भोपाल की पुरानी विधानसभा मिंटो हॉल में आयोजित इस आयोजन का कार्यक्रम 'अभिकल्पन ट्रांसफॉर्मिंग खादी' के तहत किया गया

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित हुए इस फैशन शो में प्रदेश भर के बॉन्डिंग डिजाइनर्स ने खादी के अलग-अलग रूप प्रदर्शित किए. शो के लिए 250 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी . जिसमें से 62 डिजाइनर्स का चयन किया गया. इनके द्वारा 82 डिजाइंस का प्रेजेंटेशन इस फैशन शो के माध्यम से दिया गया. चार राउंड में आयोजित फैशन शो के साथ ही डॉक्यूमेंट्री गांधी के महात्मा बनने की कहानी भी यहां पर दिखाई गई. इस फैशन शो में इंडो वेस्टर्न फॉर्म में कंटेंम्प्रेरी फॉर्म भी देखने को मिला . ड्रेपिंग के अलग अंदाज को दर्शाता राउंड "अलंकृता " के प्रेजेंटेशन को दर्शकों ने काफी सराहा. वहीं 'खादी संहिता' राउंड में साफ तौर से गांधी के खादी अवतार को दिखाने की कोशिश की गई.

पेशे से वकील लेकिन कला संस्कृति से जुड़े रहने वाले फैशन डिज़ाइनर अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि खादी को लोगों से जोड़ने के लिए यह एक अभिनव प्रयास विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया है. इसमें छात्रों को जिस तरह से फैशन शो के माध्यम से खादी की विशेषता बताई गई है. यह प्रशंसनीय है.

फैशन शो में भाग लेने आए छात्राओं का ने भी यही कहा कि इतिहास गवाह है कि हमारे देश के लिए खादी की महत्वता क्या है, क्योंकि खादी स्वदेशी है. यह हमारे देश की पहचान है. हम चाहते हैं कि विदेशी चीजों को छोड़कर खादी को वस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए . लेकिन लोगों की सोच बनी हुई है कि खादी काफी महंगी होती है , उसे पहनने के बाद लोगों को काफी बोरिंग सा महसूस होता है, लेकिन इसी चीज को बदलने के लिए हमने एक नए परिदृश्य के तहत खादी को प्रस्तुत किया है. यह खादी के अनेक रूपों को दर्शाने का एक सरल माध्यम है. बस जरूरत है उसे एक नए सांचे में ढालने की. हमने यह दिखाने की कोशिश इस फैशन शो के माध्यम से की है.

भोपाल। राजधानी भोपाल राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने गांधी जयंती के अवसर पर लोगों को खादी का महत्व बताने के लिए फैशन शो का आयोजन किया. इस फैशन शो के दौरान 62 डिजाइनर्स ने 82 डिजाइंस के माध्यम से खादी का जुदा अंदाज लोगों को दिखाने का प्रयास किया गया.

रैंप पर दिखा खादी का जलवा

फैशन शो का मुख्य उद्देश्य यही था कि लोग खादी को न सिर्फ समझे बल्कि यह भी समझे खादी सिर्फ एक परिधान नहीं है. बल्कि हमारी संस्कृति की पहचान है. भोपाल की पुरानी विधानसभा मिंटो हॉल में आयोजित इस आयोजन का कार्यक्रम 'अभिकल्पन ट्रांसफॉर्मिंग खादी' के तहत किया गया

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित हुए इस फैशन शो में प्रदेश भर के बॉन्डिंग डिजाइनर्स ने खादी के अलग-अलग रूप प्रदर्शित किए. शो के लिए 250 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी . जिसमें से 62 डिजाइनर्स का चयन किया गया. इनके द्वारा 82 डिजाइंस का प्रेजेंटेशन इस फैशन शो के माध्यम से दिया गया. चार राउंड में आयोजित फैशन शो के साथ ही डॉक्यूमेंट्री गांधी के महात्मा बनने की कहानी भी यहां पर दिखाई गई. इस फैशन शो में इंडो वेस्टर्न फॉर्म में कंटेंम्प्रेरी फॉर्म भी देखने को मिला . ड्रेपिंग के अलग अंदाज को दर्शाता राउंड "अलंकृता " के प्रेजेंटेशन को दर्शकों ने काफी सराहा. वहीं 'खादी संहिता' राउंड में साफ तौर से गांधी के खादी अवतार को दिखाने की कोशिश की गई.

पेशे से वकील लेकिन कला संस्कृति से जुड़े रहने वाले फैशन डिज़ाइनर अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि खादी को लोगों से जोड़ने के लिए यह एक अभिनव प्रयास विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया है. इसमें छात्रों को जिस तरह से फैशन शो के माध्यम से खादी की विशेषता बताई गई है. यह प्रशंसनीय है.

फैशन शो में भाग लेने आए छात्राओं का ने भी यही कहा कि इतिहास गवाह है कि हमारे देश के लिए खादी की महत्वता क्या है, क्योंकि खादी स्वदेशी है. यह हमारे देश की पहचान है. हम चाहते हैं कि विदेशी चीजों को छोड़कर खादी को वस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए . लेकिन लोगों की सोच बनी हुई है कि खादी काफी महंगी होती है , उसे पहनने के बाद लोगों को काफी बोरिंग सा महसूस होता है, लेकिन इसी चीज को बदलने के लिए हमने एक नए परिदृश्य के तहत खादी को प्रस्तुत किया है. यह खादी के अनेक रूपों को दर्शाने का एक सरल माध्यम है. बस जरूरत है उसे एक नए सांचे में ढालने की. हमने यह दिखाने की कोशिश इस फैशन शो के माध्यम से की है.

Intro:फैशन शो के माध्यम से स्टूडेंट ने बताया खादी का महत्व , 62 डिजाइनर्स की 82 डिजाइंस से लोगों को कराया रूबरू


भोपाल | राजधानी के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने गांधी जयंती के अवसर पर लोगों को खादी का महत्व बताने के लिए फैशन शो का आयोजन किया . इस फैशन शो के दौरान 62 डिजाइनर्स ने 82 डिजाइंस के माध्यम से खादी का जुदा अंदाज लोगों को दिखाने का प्रयास किया . इस फैशन शो का मुख्य उद्देश्य यही था कि लोग खादी को सिर्फ खादी ना समझे लोगों को यह नहीं समझना चाहिए कि यह केवल एक वस्त्र है . खादी सिर्फ एक परिधान नहीं है . बल्कि हमारी संस्कृति की पहचान है .

देश के स्वतंत्रता आंदोलन के समय से निकल खादी अब रैप तक पहुंच गई है .लोगों को इस पूरे कार्यक्रम की झलक राजधानी की पुरानी विधानसभा स्थित मिंटो हॉल में देखने को मिली . यह आयोजन राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से इंटर यूनिवर्सिटी फैशन शो " अभिकल्पन ट्रांसफॉर्मिंग खादी " के तहत किया गया .


Body:महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर हुए इस फैशन शो में प्रदेश भर के बॉन्डिंग डिजाइनर्स ने खादी के अलग-अलग रूप प्रदर्शित किए . शो के लिए 250 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी . जिसमें से 62 डिजाइनर्स का चयन किया गया .इनके द्वारा 82 डिजाइंस का प्रेजेंटेशन इस फैशन शो के माध्यम से दिया गया . चार राउंड में आयोजित फैशन शो के साथ ही डॉक्यूमेंट्री गांधी के महात्मा बनने की कहानी भी यहां पर दिखाई गई .


इस फैशन शो में इंडो वेस्टर्न फॉर्म में कंटेंम्प्रेरी फॉर्म भी देखने को मिला . ड्रेपिंग के अलग अंदाज को दर्शाता राउंड "अलंकृता " के प्रेजेंटेशन को दर्शकों ने काफी सराहा . वहीं "खादी संहिता " राउंड में साफ तौर से गांधी के खादी अवतार को दिखाने की कोशिश की गई .

फैशन डिजाइनर ने बताया कि इस फैशन शो में ड्रेसेस को तैयार करने वाले और रेप पर वर्क करने वाले सभी युवा नॉन -प्रोफेशनल है .लेकिन उसके बाद भी सभी ने जी तोड़ मेहनत की है . जिसका परिणाम सभी के सामने है .
पहले राउंड में सूत्र कृति में रीबॉक में साड़ी , पेंट , प्लाजो के साथ ही खादी की जैकेट , खादी की साड़ी के साथ ही वेस्टर्न आउटफिट को प्रस्तुत किया गया . खादी पर ब्लॉक प्रिंट , कुर्ती के साथ ही स्टोल को बच्चों ने दर्शाया , इंडो वेस्टर्न ड्रेसेस प्रजेंट की गई .शॉर्ट स्कर्ट के साथ क्रॉपटॉप हाफ , शोल्डर टॉप , पेंट विद जैकेट , शिबोरी प्रिंट वन पीस ड्रेस आदि थी .तीसरा राउंड अलंकृता रहा जिसमें ड्रेपिंग पैटर्न की ड्रेसेस प्रजेंट की गई .


Conclusion:पेशे से वकील लेकिन कला संस्कृति से जुड़े रहने वाले फैशन डिज़ाइनर अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि खादी को लोगों से जोड़ने के लिए यह एक अभिनव प्रयास विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया है . इसमें छात्रों को जिस तरह से फैशन शो के माध्यम से खादी की विशेषता बताई गई है .यह प्रशंसनीय है मुझे एक अच्छा मौका मिला जब मैं एक वर्कशॉप के माध्यम से इन बच्चों से जुड़ा और मैंने इन्हें कॉन्फिडेंस लेवल को बढ़ाने में मदद की. सभी छात्र छात्राओं ने काफी अच्छा परफॉर्म किया है .


ग्राफिक डिजाइनर और फैशन जगत से जुड़ी हुई निकिता शर्मा का कहना है कि मैं पहले भी फैशन इंडस्ट्री से जुड़ी रही हूं लेकिन आज जो कार्यक्रम आयोजित किया गया उससे हमें एक नई चीज भी सीखने को मिली है कि हम खादी का कितने अच्छे तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं और हमें यह भी चीज देखने को मिली कि फैशन में खादी का कितना बड़ा महत्व है .

कॉलेज में पढ़ाई कर रही और फैशन शो में भाग लेने आई छात्रा स्वाति जामुलकर का कहना है कि आज हमने इस फैशन शो के माध्यम से खादी को कुछ नए लुक में प्रस्तुत किया है हमारी कोशिश है कि हमारी पुरानी धरोहर संस्कृति को हम दोबारा इस फैशन में लेकर आए .

वही एक और छात्रा सिमरन विश्वकर्मा का कहना है कि खादी को हमेशा पुराने जमाने का समझा जाता है . लेकिन इसी सोच को बदलने के लिए हमने कुछ नया करने का प्रयास किया है , ताकि लोगों किस सोच को बदला जा सके .

इंजीनियरिंग की छात्रा नितिशा त्रिवेदी का कहना है कि आज फैशन शो के दौरान मैंने मॉडल के रूप में अपनी प्रस्तुति दी है लेकिन यहां पर हमें एक नया माहौल देखने को मिला है .हम सभी जिन्होंने इस फैशन शो के दौरान मॉडल या डिजाइनर के तौर पर खादी को प्रमोट करने का काम किया है . यह हमारे लिए गर्व की बात है . क्योंकि 2 अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती पर यह अवसर हम लोगों को मिलना हमारे जीवन के लिए स्मरणीय पल है .

उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि हमारे देश के लिए खादी की महत्वता क्या है , क्योंकि खादी स्वदेशी है . यह हमारे देश की पहचान है . हम चाहते हैं कि विदेशी चीजों को छोड़कर खादी को वस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए . लेकिन लोगों की सोच बनी हुई है कि खादी काफी महंगी होती है , उसे पहनने के बाद लोगों को काफी बोरिंग सा महसूस होता है , लेकिन इसी चीज को बदलने के लिए हमने एक नए परिदृश्य के तहत खादी को प्रस्तुत किया है .यह खादी के अनेक रूपों को दर्शाने का एक सरल माध्यम है . बस जरूरत है उसे एक नए सांचे में ढालने की . हमने यह दिखाने की कोशिश इस फैशन शो के माध्यम से की है कि खादी को किस तरह से अलग अलग फैशन में बदला जा सकता है , जो पहनने के बाद और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आता है .

नितिशा ने बताया कि हम सभी छात्र-छात्राओं ने 1 महीने तक इस फैशन शो की तैयारी की है .हम लोग किसी भी रूप में प्रोफेशनल मॉडल नहीं है . हम सभी लोग पढ़ाई लिखाई करने वाले छात्र छात्राएं हैं . लेकिन हमने कड़ी मेहनत करते हुए ट्रेनिंग ली और बेहतर तरीके से हमने आज खादी को एक बड़े मंच पर प्रस्तुत किया है .

Last Updated : Oct 2, 2019, 11:36 AM IST
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