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ETV भारत पर देखिए 17 दिन का सियासी ड्रामा, कैसे गिरी कमलनाथ सरकार, अब आगे क्या

मध्य प्रदेश में 17 दिन से चल रही सियासी उठापटक के बीच कमलनाथ सरकार गिर गई. लेकिन इन 17 दिनों में मध्य प्रदेश की सियासत में बहुत कुछ पहली बार हुआ. विधायक गायब हुए. कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए. प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना. इन 17 दिनों की पूरी हलचल पर देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

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सियासी ड्रामा
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Published : Mar 21, 2020, 12:41 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 दिन से चल रही सत्ता की सियासी रस्साकशी शुक्रवार को खत्म हो गई. 15 महीने पहले बनी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को इस्तीफा सौंपकर शायद इस सियासी संग्राम का पटाक्षेप कर दिया. लेकिन सत्ता की इस लड़ाई की स्क्रिप्ट 17 दिन पहले दिग्विजय सिंह के उस बयान से शुरु हुई थी. जिसमें उन्होंने बीजेपी नेताओं पर कमलनाथ सरकार गिराने का आरोप लगाया. ईटीवी भारत आपको सिलसिलेवार मध्य प्रदेश में 17 दिन तक चले इस राजनीतिक संग्राम की कहानी बताने जा रहा है.

17 दिन का सियासी ड्रामा

3 मार्च- दिग्विजय सिंह का आरोप बीजेपी गिरा रही कमलनाथ सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा पर कांग्रेस विधायकों को खरीदने का आरोप लगाकर कमलनाथ सरकार गिराने का आरोप लगाया.

4 मार्च- दिग्विजय के आरोपों पर कमलनाथ ने जताई सहमति

दिग्विजय सिंह के सरकार गिराने वाले आरोपों पर सीएम कमलनाथ ने भी सहमति जताई, कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी धनबल से सरकार गिराने की कोशिश में जुटी है.

5 मार्च- बीजेपी ने शुरु किया ऑपरेशन लोटस

पांच मार्च को कांग्रेस और निर्दलीय 11 विधायकों के गायब होने की खबर से मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया. कांग्रेस ने देर रात तक जद्दोजहद करके 6 विधायकों की वापसी करा दी. लेकिन पांच विधायक गायब रहे.

6 मार्च- कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग का इस्तीफा

कांग्रेस के गायब पांच विधायकों में से विधायक हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा दे दिया. डंग के इस्तीफे के बाद कमलनाथ एक्टिव हुए, विधायकों को भोपाल बुलाया गया और सभी को राजधानी न छोड़ने के निर्देश दिए.

7 मार्च- कांग्रेस का डेमेज कंट्रोल, सिसोदिया के बगावती तेवर

डंग के इस्तीफे के बाद कांग्रेस डेमेज कट्रोल में जुटी थी. लेकिन सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सोसिदिया के बयान से फिर सियासी भूचाल आया. सिसोदिया ने कहा अगर कमलनाथ सरकार ने सिंधिया की उपेक्षा की तो सरकार पर संकट आ जाएगा.

8 मार्च-बागी विधायक बिसाहूलाल सिंह भोपाल लोटे

8 मार्च को गायब विधायक बिसाहूलाल सिंह अचानक वापस लौट आए. लेकिन बिसाहूलाल ने कहा कि उनकी नाराजगी तब तक दूर नहीं होगी, जब तक वे मंत्री नहीं बन जाते.

9 मार्च- दोबारा शुरु हुआ ऑपरेशन लोटस

कमलनाथ सरकार गिराने की असली शुरुआत 9 मार्च से हुई. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक करीब 19 विधायक अचानक गायब होने से कांग्रेस में हड़कंप मंच गया. इन विधायकों में 6 मंत्री शामिल थे.

10 मार्च-ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा

10 मार्च का दिन मध्य प्रदेश के सियासी इतिहास में दर्ज हो गया. 17 साल तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. और कमलनाथ सरकार के ताबूत में पहली कील ठोक दी.

11 मार्च- बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया 11 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गए. इधर सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 20 विधायकों ने भी इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार को एक ओर झटका दिया.

12 मार्च- सिंधिया पहुंचे भोपाल, बागियों को मनाने में जुटी कांग्रेस

सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद वे भोपाल पहुंचे तो भाजपाईयों ने सिंधिया का जोरदार स्वागत किया. कांग्रेस ने बागी विधायकों को मनाने के लिए जीतू पटवारी को जिम्मेदारी सौंपी. लेकिन बागी नहीं माने

13 मार्च- 6 मंत्री मंत्रिमंडल से बर्खास्त

सीएम कमलनाथ ने सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का पत्र राज्यपाल को सौंपा. तो बीजेपी ने राज्यपाल लालजी टंडन से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की. इस बीच कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को जयपुर भेज दिया. तो बीजेपी ने अपने विधायकों को गुरुग्राम ठहराया

14 मार्च- 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार, राज्यपाल ने दिए प्लोर टेस्ट के आदेश

14 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने 19 में से 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए. तो दूसरी तरफ राज्यपाल लालजी टंडन ने मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट के निर्देश दिए.

15 मार्च- भोपाल वापस लौटे दोनों पार्टियों के विधायक

15 मार्च को दिन में कांग्रेस के सभी विधायक जयपुर से वापस लौटे, तो रात होते-होते बीजेपी के भी सभी विधायक गुरुग्राम से वापस लौट आए.

16 मार्च-नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट

विधानसभा का सत्र शुरु हुआ. लेकिन राज्यपाल के भाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदन स्थगित कर फ्लोर टेस्ट नहीं कराया. तो बीजेपी के सभी विधायकों ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड कर कमलनाथ सरकार को अल्पमत में बताया.

17 मार्च- सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सियासी ड्रामा

17 मार्च को मध्य प्रदेश का सियासी ड्रामा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, बीजेपी की तरफ से फ्लोर टेस्ट के लिए दायर याचिका पर सुनावाई हुआ लेकिन कोई नतीजा नहीं आया.

18 मार्च- बेंगलुरु में गिरफ्तार हुए दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह कांग्रेस के बागी विधायकों को मनाने बेंगलुरु पहुंचे. दिग्गी राजा जब विधायकों से नहीं मिल पाए तो धरना शुरु किया. लेकिन बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

19 मार्च- सुप्रीम कोर्ट ने दिया फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट में दो दिन से चल रही सुनवाई में आखिरकार बड़ा फैसला सुनाते हुए सियासी संग्राम के थमने के संकेत दिए. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया.

20 मार्च-फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने दिया इस्तीफा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया. और इस तरह से 17 दिन से चल रहा मध्य प्रदेश में सता का सियासी संग्राम थम गया.

मध्य प्रदेश की सियासत में 17 दिन तक घटी यह घटनाएं सूबे के सियासी इतिहास में दर्ज हो गई. कमलनाथ सरकार 15 महीनों बाद गिर गई. अब बीजेपी एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.

भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 दिन से चल रही सत्ता की सियासी रस्साकशी शुक्रवार को खत्म हो गई. 15 महीने पहले बनी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को इस्तीफा सौंपकर शायद इस सियासी संग्राम का पटाक्षेप कर दिया. लेकिन सत्ता की इस लड़ाई की स्क्रिप्ट 17 दिन पहले दिग्विजय सिंह के उस बयान से शुरु हुई थी. जिसमें उन्होंने बीजेपी नेताओं पर कमलनाथ सरकार गिराने का आरोप लगाया. ईटीवी भारत आपको सिलसिलेवार मध्य प्रदेश में 17 दिन तक चले इस राजनीतिक संग्राम की कहानी बताने जा रहा है.

17 दिन का सियासी ड्रामा

3 मार्च- दिग्विजय सिंह का आरोप बीजेपी गिरा रही कमलनाथ सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा पर कांग्रेस विधायकों को खरीदने का आरोप लगाकर कमलनाथ सरकार गिराने का आरोप लगाया.

4 मार्च- दिग्विजय के आरोपों पर कमलनाथ ने जताई सहमति

दिग्विजय सिंह के सरकार गिराने वाले आरोपों पर सीएम कमलनाथ ने भी सहमति जताई, कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी धनबल से सरकार गिराने की कोशिश में जुटी है.

5 मार्च- बीजेपी ने शुरु किया ऑपरेशन लोटस

पांच मार्च को कांग्रेस और निर्दलीय 11 विधायकों के गायब होने की खबर से मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया. कांग्रेस ने देर रात तक जद्दोजहद करके 6 विधायकों की वापसी करा दी. लेकिन पांच विधायक गायब रहे.

6 मार्च- कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग का इस्तीफा

कांग्रेस के गायब पांच विधायकों में से विधायक हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा दे दिया. डंग के इस्तीफे के बाद कमलनाथ एक्टिव हुए, विधायकों को भोपाल बुलाया गया और सभी को राजधानी न छोड़ने के निर्देश दिए.

7 मार्च- कांग्रेस का डेमेज कंट्रोल, सिसोदिया के बगावती तेवर

डंग के इस्तीफे के बाद कांग्रेस डेमेज कट्रोल में जुटी थी. लेकिन सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सोसिदिया के बयान से फिर सियासी भूचाल आया. सिसोदिया ने कहा अगर कमलनाथ सरकार ने सिंधिया की उपेक्षा की तो सरकार पर संकट आ जाएगा.

8 मार्च-बागी विधायक बिसाहूलाल सिंह भोपाल लोटे

8 मार्च को गायब विधायक बिसाहूलाल सिंह अचानक वापस लौट आए. लेकिन बिसाहूलाल ने कहा कि उनकी नाराजगी तब तक दूर नहीं होगी, जब तक वे मंत्री नहीं बन जाते.

9 मार्च- दोबारा शुरु हुआ ऑपरेशन लोटस

कमलनाथ सरकार गिराने की असली शुरुआत 9 मार्च से हुई. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक करीब 19 विधायक अचानक गायब होने से कांग्रेस में हड़कंप मंच गया. इन विधायकों में 6 मंत्री शामिल थे.

10 मार्च-ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा

10 मार्च का दिन मध्य प्रदेश के सियासी इतिहास में दर्ज हो गया. 17 साल तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. और कमलनाथ सरकार के ताबूत में पहली कील ठोक दी.

11 मार्च- बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया 11 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गए. इधर सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 20 विधायकों ने भी इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार को एक ओर झटका दिया.

12 मार्च- सिंधिया पहुंचे भोपाल, बागियों को मनाने में जुटी कांग्रेस

सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद वे भोपाल पहुंचे तो भाजपाईयों ने सिंधिया का जोरदार स्वागत किया. कांग्रेस ने बागी विधायकों को मनाने के लिए जीतू पटवारी को जिम्मेदारी सौंपी. लेकिन बागी नहीं माने

13 मार्च- 6 मंत्री मंत्रिमंडल से बर्खास्त

सीएम कमलनाथ ने सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का पत्र राज्यपाल को सौंपा. तो बीजेपी ने राज्यपाल लालजी टंडन से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की. इस बीच कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को जयपुर भेज दिया. तो बीजेपी ने अपने विधायकों को गुरुग्राम ठहराया

14 मार्च- 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार, राज्यपाल ने दिए प्लोर टेस्ट के आदेश

14 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने 19 में से 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए. तो दूसरी तरफ राज्यपाल लालजी टंडन ने मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट के निर्देश दिए.

15 मार्च- भोपाल वापस लौटे दोनों पार्टियों के विधायक

15 मार्च को दिन में कांग्रेस के सभी विधायक जयपुर से वापस लौटे, तो रात होते-होते बीजेपी के भी सभी विधायक गुरुग्राम से वापस लौट आए.

16 मार्च-नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट

विधानसभा का सत्र शुरु हुआ. लेकिन राज्यपाल के भाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदन स्थगित कर फ्लोर टेस्ट नहीं कराया. तो बीजेपी के सभी विधायकों ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड कर कमलनाथ सरकार को अल्पमत में बताया.

17 मार्च- सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सियासी ड्रामा

17 मार्च को मध्य प्रदेश का सियासी ड्रामा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, बीजेपी की तरफ से फ्लोर टेस्ट के लिए दायर याचिका पर सुनावाई हुआ लेकिन कोई नतीजा नहीं आया.

18 मार्च- बेंगलुरु में गिरफ्तार हुए दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह कांग्रेस के बागी विधायकों को मनाने बेंगलुरु पहुंचे. दिग्गी राजा जब विधायकों से नहीं मिल पाए तो धरना शुरु किया. लेकिन बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

19 मार्च- सुप्रीम कोर्ट ने दिया फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट में दो दिन से चल रही सुनवाई में आखिरकार बड़ा फैसला सुनाते हुए सियासी संग्राम के थमने के संकेत दिए. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया.

20 मार्च-फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने दिया इस्तीफा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया. और इस तरह से 17 दिन से चल रहा मध्य प्रदेश में सता का सियासी संग्राम थम गया.

मध्य प्रदेश की सियासत में 17 दिन तक घटी यह घटनाएं सूबे के सियासी इतिहास में दर्ज हो गई. कमलनाथ सरकार 15 महीनों बाद गिर गई. अब बीजेपी एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.

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