भोपाल। आगामी विधानसभा सत्र में कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश के हर नागरिक को राइट टू वाटर का अधिकार देने जा रही है. इस अधिकार के जरिए मध्यप्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता के लिए कम से कम 77 लीटर पानी के उपयोग का अधिकार मिलेगा. हालांकि इसका पूरा प्रस्ताव अभी तैयार नहीं हुआ है और पीएचई विभाग के जरिए इस प्रस्ताव के लिए सुझाव मांगे गए हैं. सुझावों के बाद इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाएगा और विधेयक पेश होने के बाद प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार मिलेगा.
मध्यप्रदेश सरकार के पीएचई विभाग के मंत्री सुखदेव पासे ने अपने विभाग के अधिकारियों को केंद्र की यूपीए सरकार की तर्ज पर राइट टू एजुकेशन और राइट टू फूड की तरह पानी के अधिकार का कानून की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वहीं इसके लिए कमलनाथ सरकार गंभीरता से चिंतन मनन में जुट गई है और प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने बताया कि पानी जीवन का आधार है. हर व्यक्ति को उसकी आवश्यकता के अनुसार पानी मिलना चाहिए. हमारी सरकार प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार देने जा रही है. इस सिलसिले में 3 जून को एक आवश्यक बैठक भी बुलाई गई है. केंद्र सरकार द्वारा तय गाइडलाइन के तहत पानी का अधिकार देने के लिए यह कानून लाया जा रहा है और मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला प्रदेश होगा जो अपने नागरिकों को पानी का अधिकार दे रहा है.
बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कमलनाथ सरकार ने पेयजल संकट की गंभीर स्थिति पर समीक्षा की थी. जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने पीएचई विभाग को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में गर्मी के मौसम में ग्रामीण और शहरी इलाकों में जल संकट की स्थिति ना बने, इसके लिए व्यवस्था लागू की जाए. वहीं केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हर व्यक्ति को रोजाना 77 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन मप्र में यह उपलब्धता मात्र 40 लीटर है.