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मध्यप्रदेश के हर नागरिक को मिलेगा पानी का अधिकार, आगामी सत्र में विधेयक लाने की तैयारी में कमलनाथ सरकार

आगामी विधानसभा सत्र में कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश के हर नागरिक को राइट टू वाटर का अधिकार देने जा रही है. इस अधिकार के जरिए मध्यप्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता के लिए कम से कम 77 लीटर पानी के उपयोग का अधिकार मिलेगा.

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Published : Jun 1, 2019, 6:47 PM IST

प्रदेश में हर नागरिक को मिलेगा पानी का अधिकार

भोपाल। आगामी विधानसभा सत्र में कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश के हर नागरिक को राइट टू वाटर का अधिकार देने जा रही है. इस अधिकार के जरिए मध्यप्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता के लिए कम से कम 77 लीटर पानी के उपयोग का अधिकार मिलेगा. हालांकि इसका पूरा प्रस्ताव अभी तैयार नहीं हुआ है और पीएचई विभाग के जरिए इस प्रस्ताव के लिए सुझाव मांगे गए हैं. सुझावों के बाद इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाएगा और विधेयक पेश होने के बाद प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार मिलेगा.

मध्यप्रदेश सरकार के पीएचई विभाग के मंत्री सुखदेव पासे ने अपने विभाग के अधिकारियों को केंद्र की यूपीए सरकार की तर्ज पर राइट टू एजुकेशन और राइट टू फूड की तरह पानी के अधिकार का कानून की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वहीं इसके लिए कमलनाथ सरकार गंभीरता से चिंतन मनन में जुट गई है और प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

प्रदेश में हर नागरिक को मिलेगा पानी का अधिकार

कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने बताया कि पानी जीवन का आधार है. हर व्यक्ति को उसकी आवश्यकता के अनुसार पानी मिलना चाहिए. हमारी सरकार प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार देने जा रही है. इस सिलसिले में 3 जून को एक आवश्यक बैठक भी बुलाई गई है. केंद्र सरकार द्वारा तय गाइडलाइन के तहत पानी का अधिकार देने के लिए यह कानून लाया जा रहा है और मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला प्रदेश होगा जो अपने नागरिकों को पानी का अधिकार दे रहा है.

बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कमलनाथ सरकार ने पेयजल संकट की गंभीर स्थिति पर समीक्षा की थी. जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने पीएचई विभाग को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में गर्मी के मौसम में ग्रामीण और शहरी इलाकों में जल संकट की स्थिति ना बने, इसके लिए व्यवस्था लागू की जाए. वहीं केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हर व्यक्ति को रोजाना 77 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन मप्र में यह उपलब्धता मात्र 40 लीटर है.

भोपाल। आगामी विधानसभा सत्र में कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश के हर नागरिक को राइट टू वाटर का अधिकार देने जा रही है. इस अधिकार के जरिए मध्यप्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता के लिए कम से कम 77 लीटर पानी के उपयोग का अधिकार मिलेगा. हालांकि इसका पूरा प्रस्ताव अभी तैयार नहीं हुआ है और पीएचई विभाग के जरिए इस प्रस्ताव के लिए सुझाव मांगे गए हैं. सुझावों के बाद इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाएगा और विधेयक पेश होने के बाद प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार मिलेगा.

मध्यप्रदेश सरकार के पीएचई विभाग के मंत्री सुखदेव पासे ने अपने विभाग के अधिकारियों को केंद्र की यूपीए सरकार की तर्ज पर राइट टू एजुकेशन और राइट टू फूड की तरह पानी के अधिकार का कानून की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वहीं इसके लिए कमलनाथ सरकार गंभीरता से चिंतन मनन में जुट गई है और प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.

प्रदेश में हर नागरिक को मिलेगा पानी का अधिकार

कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने बताया कि पानी जीवन का आधार है. हर व्यक्ति को उसकी आवश्यकता के अनुसार पानी मिलना चाहिए. हमारी सरकार प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार देने जा रही है. इस सिलसिले में 3 जून को एक आवश्यक बैठक भी बुलाई गई है. केंद्र सरकार द्वारा तय गाइडलाइन के तहत पानी का अधिकार देने के लिए यह कानून लाया जा रहा है और मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला प्रदेश होगा जो अपने नागरिकों को पानी का अधिकार दे रहा है.

बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कमलनाथ सरकार ने पेयजल संकट की गंभीर स्थिति पर समीक्षा की थी. जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने पीएचई विभाग को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में गर्मी के मौसम में ग्रामीण और शहरी इलाकों में जल संकट की स्थिति ना बने, इसके लिए व्यवस्था लागू की जाए. वहीं केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हर व्यक्ति को रोजाना 77 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन मप्र में यह उपलब्धता मात्र 40 लीटर है.

Intro:भोपाल। आगामी विधानसभा सत्र में कमलनाथ सरकार एक ऐसा कदम उठाने जा रही है, जो सिर्फ भारत के इतिहास में नहीं बल्कि वैश्विक इतिहास में ऐतिहासिक निर्णय होगा। दरअसल कमलनाथ सरकार मध्य प्रदेश के वासियों को राइट टू वाटर देने जा रही है। इस अधिकार के जरिए मध्य प्रदेश की साले 7 करोड़ जनता के लिए कम से कम 77 लीटर पानी के उपयोग का अधिकार मिलेगा। हालांकि इसका पूरा प्रस्ताव भी तैयार नहीं हुआ है और पीएचई विभाग के जरिए इस प्रस्ताव के लिए सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों के उपरांत इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाएगा और विधेयक पेश होने के बाद मध्य प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार मिलेगा।


Body:मध्यप्रदेश सरकार के पीएचई विभाग के मंत्री सुखदेव पासे ने अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि केंद्र की यूपीए सरकार की तर्ज पर राइट टू एजुकेशन और राइट टू फूड की तरह पानी के अधिकार का कानून की योजना तैयार करें। इसके लिए कमलनाथ सरकार गंभीरता से चिंतन मनन में जुट गई है और प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जब गर्मी के दौरान आचार संहिता लग गई और ग्रामीण अंचलों में पेयजल संकट गहरा गया। तब कमलनाथ सरकार ने इसकी समीक्षा के आदेश दिए और समीक्षा में यह पाया गया कि प्रदेश में पेयजल की गंभीर स्थिति है। ऐसे में कमलनाथ सरकार ने पीएचई विभाग को निर्देश दिए हैं कि ऐसी व्यवस्था लागू की जाए कि भविष्य में ग्रामीण इलाकों में और शहरी इलाकों में गर्मी के मौसम में जल संकट की स्थिति ना बने। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक हर व्यक्ति को रोजाना 77 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन मप्र में यह उपलब्धता मात्र 40 लीटर है। इस नए कानून की तहत सरकार हर वो कदम उठाएगी,जिसके जरिए लोगों को भीषण गर्मी में भी पेयजल संकट का सामना ना करना पड़े।


Conclusion:इस बारे में चर्चा करते हुए कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने बताया कि पानी जीवन का आधार है,जल ही जीवन है। हर व्यक्ति को उसकी आवश्यकता के अनुसार पानी मिलना चाहिए।हमारी सरकार प्रदेश के नागरिकों को पानी का अधिकार देने जा रही है। इस सिलसिले में 3 जून को एक आवश्यक बैठक भी बुलाई गई है। केंद्र सरकार द्वारा तय गाइडलाइन के तहत पानी का अधिकार देने के लिए यह कानून लाया जा रहा है और मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला पहला प्रदेश होगा जो अपने नागरिकों को पानी का अधिकार दे रहा है।
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