जबलपुर। प्रदेश में बिजली की दरों में (increase power rate in mp) बढोत्तरी के प्रस्ताव को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट(hc dismiss petition) में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने सरकार के पाॅलिसी मैटर में हस्ताक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट के सरकार के पॉलिसी मैटर में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है.
हाईकोर्ट में यह याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे तथा रजत भार्गव की तरफ से दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि नागरिक को संकट से उबार कर जीवन बिताने में सहायता प्रदान करना सरकार का संवैधानिक अधिकार है. ऐसे में जब केन्द्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत कोविड-19 को नोटिफाईड आपदा घोषित किया गया है. इस दौरान ओमिक्राॅन वायरस भी तेजी से फैल रहा है और कोरोना काल में लाखों परिवार आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. सरकार को चाहिए कि वो अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए विद्युत अधिनियम की धारा 108 का प्रयोग करे.
इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने सरकार के सामने भी आवेदन प्रस्तुत किया था,जिस पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई. हाईकोर्ट डबल बेंच ने सरकार के पॉलिटी मैटर में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए उक्त याचिका को खारिज कर दिया.
जनता करे महापौर का चुनाव- याचिकाकर्ता ने वापस लिया आवेदन
महापौर का चुनाव जनता द्वारा किये जाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका के रेस्टोरेशन के लिए आवेदन दायर किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस नागेश्वर तथा जस्टिस डीआरगवई ने पाया कि जनता द्वारा महापौर का चुनाव करवाये जाने के संबंध में 26 जनवरी 2021 को बिल प्रकाशित किया गया है. बेंच ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी नहीं किये जाने पर याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में फ्रेश याचिका दायर करने की सलाह दी थी. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने रेस्टोरेशन आवेदन को वापस लेने का आग्रह किया, जिसे युगलपीठ ने स्वीकार कर लिया है.
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच की तरफ से महापौर का चुनाव जनता द्वारा करवाये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा पार्षदों के जरिए महापौर का चुनाव करवाये जाने का निर्णय लिया गया है. इसके खिलाफ रिव्यू पिटीशन और मुख्य पिटीशन दोनों हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थीं. जिसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गयी थी. इस दौरान प्रदेश सरकार ने सितम्बर 2020 को महापौर का चुनाव जनता द्वारा करवाये जाने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी थी.
अधिसूचना जारी होने के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया था. उक्त याचिका के रेस्टोरेशन के लिए याचिकाकर्ता की तरफ से आवेदन प्रस्तुत करते हुए पूर्व में पारित आदेश को रिकाॅल करने का आग्रह किया गया था. आवेदन में कहा गया था कि परिस्थितियों में बदलाव आने के कारण पुन महापौर का चुनाव पार्षदों द्वारा करवाये जाने के निर्णय लिया गया है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने रेस्टोरेशन का आवेदन वापस ले लिया.