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NGO पर सरकार का शिकंजा, हर महीने देनी होगी काम की रिपोर्ट - mp news

पिछले कुछ सालों से सामाजिक क्षेत्र में काम करने के बहाने बड़ी संख्या में लोगों ने एनजीओ रजिस्टर कराए. जिनका उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना था न कि सामाजिक क्षेत्र में कोई काम करना. ज्यादातर एनजीओ संस्था की आड़ में धांधली कर रहे थे और यही वजह है कि अब सरकार इनकी मॉनिटरिंग करने जा रही है.

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NGO पर सरकार का शिकंजा
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Published : Mar 28, 2021, 2:01 PM IST

Updated : Mar 31, 2021, 10:55 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में अब एनजीओ के नाम पर धांधली और आर्थिक गड़बड़ी करने वालों पर सरकार की पैनी नज़र होगी. प्रदेश सरकार ने राज्य में काम कर रहे सभी NGO को हर महीने उनके काम की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अधिकारियों को एनजीओ का औचक निरीक्षण करने का भी आदेश दिया है.

  • गड़बड़ी करने वाले NGO पर सरकार की पैनी नजर

लंबे समय से सरकार के पास एनजीओ को लेकर धांधली और आर्थिक गड़बड़ियों की शिकायतें आ रही थी. यही वजह है कि अब सरकार इन संस्थाओं पर अपनी नजर रखेगी. निगरानी का मकसद किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है. अब तक कई एनजीओ का निरीक्षण नहीं हुआ है और अधिकांश एनजीओ ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट रजिस्टर्ड ऑफिस में जमा नहीं कराई.

NGO पर सरकार का शिकंजा
  • प्रदेश में 1 लाख 75 हजार NGO संस्था हैं

मध्यप्रदेश में इन एनजीओ की संख्या की बात करें तो करीब 1 लाख 75 हजार हैं जो सरकारी रजिस्टर में रजिस्टर्ड हैं. रजिस्ट्रार आलोक नागर के अनुसार बड़ी संख्या में सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ रजिस्टर्ड हैं. जबकि उनकी मॉनिटरिंग को लेकर अभी भी कोई व्यवस्था नहीं है. इन संस्थाओं को जो विभाग ग्रांट देता है. वही विभाग उस ग्रांट के बारे में इनसे जानकारी ले सकता है. अलग से सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है. ऑडिट रिपोर्ट की बात करें तो करीब 70 हजार ऐसे रजिस्टर्ड एनजीओ हैं, जिन्होंने पिछले चार-पांच सालों से अपना ऑडिट ही नहीं कराया है. तो वहीं हजारों की संख्या में ऐसे एनजीओ भी हैं जो सिर्फ नाम के लिए रजिस्टर्ड तो हैं. लेकिन उन संस्थाओं ने आज तक कुछ भी काम नहीं किया.

एनजीओ के कामकाज से जुड़ा अहम विधेयक राज्य सभा से पारित

  • NGO की आड़ में शुरू हुआ था हनीट्रैप कांड

दरअसल मध्य प्रदेश के सबसे बड़े हनी ट्रैप कांड के दौरान जिन महिलाओं की गिरफ्तारी हुई थी, वह भी एनजीओ ही चलाती थीं. उन्होने बड़े अधिकारियों और मंत्रियों से अपने संबंधों के आधार पर सरकार से बड़ी फंडिंग ली थी. जब हनीट्रैप कांड में महिलाओं की गिरफ्तारी हुई, उसके बाद से ही सरकार ने एनजीओ पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था.

  • अब हर महीने होगा NGO का निरीक्षण

सामान्य प्रशासन विभाग ने एक तरफ से औचक निरीक्षण कर सभी संभागों के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए गए हैं. वह जिलों में रजिस्टर्ड सभी NGO का समय-समय पर निरीक्षण करें और रिपोर्ट सरकार को दें. ताकि एनजीओ में चल रहे फर्जीवाड़े और दूसरी गतिविधियों के बारे में सरकार को जानकारी मिल सके. अगर कोई संस्था गड़बड़ी करती है या जांच में सहयोग नहीं करती है तो उस संस्था की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में अब एनजीओ के नाम पर धांधली और आर्थिक गड़बड़ी करने वालों पर सरकार की पैनी नज़र होगी. प्रदेश सरकार ने राज्य में काम कर रहे सभी NGO को हर महीने उनके काम की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अधिकारियों को एनजीओ का औचक निरीक्षण करने का भी आदेश दिया है.

  • गड़बड़ी करने वाले NGO पर सरकार की पैनी नजर

लंबे समय से सरकार के पास एनजीओ को लेकर धांधली और आर्थिक गड़बड़ियों की शिकायतें आ रही थी. यही वजह है कि अब सरकार इन संस्थाओं पर अपनी नजर रखेगी. निगरानी का मकसद किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है. अब तक कई एनजीओ का निरीक्षण नहीं हुआ है और अधिकांश एनजीओ ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट रजिस्टर्ड ऑफिस में जमा नहीं कराई.

NGO पर सरकार का शिकंजा
  • प्रदेश में 1 लाख 75 हजार NGO संस्था हैं

मध्यप्रदेश में इन एनजीओ की संख्या की बात करें तो करीब 1 लाख 75 हजार हैं जो सरकारी रजिस्टर में रजिस्टर्ड हैं. रजिस्ट्रार आलोक नागर के अनुसार बड़ी संख्या में सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ रजिस्टर्ड हैं. जबकि उनकी मॉनिटरिंग को लेकर अभी भी कोई व्यवस्था नहीं है. इन संस्थाओं को जो विभाग ग्रांट देता है. वही विभाग उस ग्रांट के बारे में इनसे जानकारी ले सकता है. अलग से सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है. ऑडिट रिपोर्ट की बात करें तो करीब 70 हजार ऐसे रजिस्टर्ड एनजीओ हैं, जिन्होंने पिछले चार-पांच सालों से अपना ऑडिट ही नहीं कराया है. तो वहीं हजारों की संख्या में ऐसे एनजीओ भी हैं जो सिर्फ नाम के लिए रजिस्टर्ड तो हैं. लेकिन उन संस्थाओं ने आज तक कुछ भी काम नहीं किया.

एनजीओ के कामकाज से जुड़ा अहम विधेयक राज्य सभा से पारित

  • NGO की आड़ में शुरू हुआ था हनीट्रैप कांड

दरअसल मध्य प्रदेश के सबसे बड़े हनी ट्रैप कांड के दौरान जिन महिलाओं की गिरफ्तारी हुई थी, वह भी एनजीओ ही चलाती थीं. उन्होने बड़े अधिकारियों और मंत्रियों से अपने संबंधों के आधार पर सरकार से बड़ी फंडिंग ली थी. जब हनीट्रैप कांड में महिलाओं की गिरफ्तारी हुई, उसके बाद से ही सरकार ने एनजीओ पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था.

  • अब हर महीने होगा NGO का निरीक्षण

सामान्य प्रशासन विभाग ने एक तरफ से औचक निरीक्षण कर सभी संभागों के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए गए हैं. वह जिलों में रजिस्टर्ड सभी NGO का समय-समय पर निरीक्षण करें और रिपोर्ट सरकार को दें. ताकि एनजीओ में चल रहे फर्जीवाड़े और दूसरी गतिविधियों के बारे में सरकार को जानकारी मिल सके. अगर कोई संस्था गड़बड़ी करती है या जांच में सहयोग नहीं करती है तो उस संस्था की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है.

Last Updated : Mar 31, 2021, 10:55 PM IST
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