भोपाल। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सामने आई गड़बड़ियां, किसान आंदोलन, बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दों के बीच मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने जमीनी नब्ज टटोलना शुरू कर दिया है. इसके लिए सरकार ने खास रणनीति बनाई है और उस पर अमल भी शुरू हो गया है. वहीं कांग्रेस, भाजपा की जमीनी हकीकत तक पहुंचने की मुहिम पर तंज कसा है. राज्य में भाजपा का संगठन हर घर तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है, इसके लिए कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (वीडी शर्मा) संगठन की मजबूती के साथ आम लोगों के बीच में पहुंचने की योजना पर बीते कई माह से काम कर रहे हैं.
जनदर्शन के जरिए जनता से जुड़ाव की कोशिश
एक तरफ जहां संगठन जमीनी स्थिति को और पुख्ता कर रहा है, वहीं सत्ता भी अब उस दिशा में सक्रिय हो चली है. सीएम शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) खुद जनदर्शन पर निकल रहे हैं. मुख्यमंत्री लोगों के बीच पहुंचकर सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के वादे तो कर ही रहे हैं साथ ही विकास कार्यों की सौगात भी दे रहे हैं. वे रैगांव व पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र में जनदर्षन कार्यक्रम कर चुके हैं, इन दोनों स्थानों पर उप-चुनाव प्रस्तावित है.
जनसुनवाई का कार्यक्रम फिर किया जाएगा शुरू
सरकार ने तय किया है कि कोरोना महामारी के कारण बंद किया गया जनसुनवाई का कार्यक्रम फिर शुरू किया जाएगा. योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए सभी मंत्री अपने अपने प्रभार वाले जिलों में एक दिन जनदर्शन भी कार्यक्रम करेंगे. इसके अलावा सीएम हेल्पलाइन और समाधान ऑनलाइन सुविधा को और मजबूत किए जाने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार ने यह भी तय किया है कि गुड गवर्नेंस के तहत कोई भी फाइल अब मंत्री और अधिकारियों के पास तीन दिन से ज्यादा नहीं रोकी जाएगी.
कमलनाथ ने सरकार पर कसा तंज
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (kamalnath) ने सरकार की कोशिशों पर तंज कसा है. उन्होंने कहा, पिछले 15 वर्ष की हजारों घोषणाएं अभी तक अधूरी, 28 उपचुनाव की हजारों घोषणाओं के अभी तक अता-पता नहीं. प्रदेश में चार उपचुनावों को देखते हुए घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज ने रोज झूठी घोषणाएं करना फिर शुरू कर दी है. उनका जनदर्शन तो सिर्फ उन क्षेत्रों के लिए है, जहां आगामी समय में उपचुनाव होना है. वे हमेशा की तरह झूठे नारियल फोड़ेंगे, भूमि पूजन, शिलान्यास, झूठी घोषणाओं के नाम पर जनता को गुमराह करने का काम करेंगे.
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी समय में राज्य में विधानसभा के तीन क्षेत्रों और लोकसभा के एक क्षेत्र में उपचुनाव होना है, तो वही नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव भी प्रस्तावित है. इन चुनावों में सरकार के खिलाफ किसी भी तरह का माहौल न बने, इसे ध्यान में रखकर सरकार ने सीधे जनता से संवाद और उसके बीच पहुंचने की रणनीति बनाई है, लेकिन स्थितियां चुनौतीपूर्ण है.