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Ganesha Chaturthi: तीसरे दिन भगवान गणेश के 'कृष्ण पिंगाक्ष' स्वरूप की करें आराधना, दूर हो जाएंगे सारे कष्ट

आज गणेश चतुर्थी का तीसरा दिन है. इस दिन भगवान गणेश के 'कृष्ण पिंगाक्ष' स्वरूप की अराधना की जाती है. कहा जाता है कि भगवान के इस स्वरूप को प्रसन्न करने से दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है, भगवान सारे कष्ट हर लेते हैं.

Ganesha Chaturthi
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Published : Sep 12, 2021, 12:07 AM IST

भोपाल। आज गणेश चतुर्थी का तीसरा दिन है. ईटीवी भारत आज आपको भगवान गणेश के तीसरे रूप 'कृष्ण पिंगाक्ष' के बारे में बताएगा. कहते हैं कि भगवान के इस रूप की पूजा करने से दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. तो आइए गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन हम आपको भगवान गणेश के तीसरे नाम 'कृष्ण पिंगाक्ष' के बारे में बताते हैं. यह भी जानें कि आखिर कैसे तीसरे दिन आप गजानन को प्रसन्न कर सकते हैं.

भगवान गणेश का तीसरा नाम 'कृष्ण पिंगाक्ष'

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, गण का अर्थ वर्ग, समुदाय और ईश का अर्थ स्वामी होता है. शिवगणों और देव गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणेश कहा जाता है. वहीं भगवान गणेश का तीसरा नाम 'कृष्ण पिंगाक्ष' है, जिसे 'कपिल' नाम से भी जाना जाता है. पंडित विष्णु राजोरिया बताते हैं कि कपिल का अर्थ गोरा, ताम्र वर्ण और भूरा होता है. गणेश जी का मुख प्रातः काल गोरा, मध्यान्ह ताम्र वर्ण और सायं काल भूरा दिखाई देता है. भगवान गणेश दिव्य भावों द्वारा त्रिविध ताप का नाश करते हैं.

पंडित विष्णु राजोरिया

ऐसे करें 'कृष्ण पिंगाक्ष' की अराधना

गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन सुबह स्नान-ध्यान कर गणपति के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दोपहर के समय गणपति की प्रतिमा को लाल कपड़े के ऊपर रखें. गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा चढ़ाएं. इसके बाद भगवान गणेश को मोदक, लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चारण से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.

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हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी-देवताओं में भगवान गणेश

भगवान गणेश की पूजा वैदिक और अति प्राचीन काल से की जाती रही है. गणेश जी वैदिक देवता हैं क्योंकि ऋग्वेद और यजुर्वेद में गणेश जी के मंत्रों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है. शिव जी, विष्णु जी, सूर्य देव और मां दुर्गा के साथ-साथ गणेश जी का नाम हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी देवताओं में शामिल है. जिससे गणपति जी की महत्ता का साफ पता चलता है.

भोपाल। आज गणेश चतुर्थी का तीसरा दिन है. ईटीवी भारत आज आपको भगवान गणेश के तीसरे रूप 'कृष्ण पिंगाक्ष' के बारे में बताएगा. कहते हैं कि भगवान के इस रूप की पूजा करने से दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. तो आइए गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन हम आपको भगवान गणेश के तीसरे नाम 'कृष्ण पिंगाक्ष' के बारे में बताते हैं. यह भी जानें कि आखिर कैसे तीसरे दिन आप गजानन को प्रसन्न कर सकते हैं.

भगवान गणेश का तीसरा नाम 'कृष्ण पिंगाक्ष'

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, गण का अर्थ वर्ग, समुदाय और ईश का अर्थ स्वामी होता है. शिवगणों और देव गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणेश कहा जाता है. वहीं भगवान गणेश का तीसरा नाम 'कृष्ण पिंगाक्ष' है, जिसे 'कपिल' नाम से भी जाना जाता है. पंडित विष्णु राजोरिया बताते हैं कि कपिल का अर्थ गोरा, ताम्र वर्ण और भूरा होता है. गणेश जी का मुख प्रातः काल गोरा, मध्यान्ह ताम्र वर्ण और सायं काल भूरा दिखाई देता है. भगवान गणेश दिव्य भावों द्वारा त्रिविध ताप का नाश करते हैं.

पंडित विष्णु राजोरिया

ऐसे करें 'कृष्ण पिंगाक्ष' की अराधना

गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन सुबह स्नान-ध्यान कर गणपति के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दोपहर के समय गणपति की प्रतिमा को लाल कपड़े के ऊपर रखें. गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा चढ़ाएं. इसके बाद भगवान गणेश को मोदक, लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चारण से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.

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हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी-देवताओं में भगवान गणेश

भगवान गणेश की पूजा वैदिक और अति प्राचीन काल से की जाती रही है. गणेश जी वैदिक देवता हैं क्योंकि ऋग्वेद और यजुर्वेद में गणेश जी के मंत्रों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है. शिव जी, विष्णु जी, सूर्य देव और मां दुर्गा के साथ-साथ गणेश जी का नाम हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी देवताओं में शामिल है. जिससे गणपति जी की महत्ता का साफ पता चलता है.

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