भोपाल/ग्वालियर। भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी (former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee) की आज चौथी पुण्यतिथि (fourth death anniversary) है, आज ही के दिन साल 2018 को उन्होंने लंबी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया था. अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) यह एक नाम मात्र नहीं है, बल्कि खुद में एक युग, राजनीति का एक दौर और एक संस्कृति है. अटलजी जितने ओजस्वी राजनेता थे उतने ही प्रभावी कवि (Poet Atal Bihari Vajpayee) भी थे. उनकी कविता आज भी जीवन के मूल्यों को संजोए हुए है. अटलजी ने अपने जीवन की पहली कविता पन्द्रह अगस्त का दिन कहता है, आजादी अभी अधूरी है, 15 अगस्त 1947 के दिन ही कानपुर डीएवी कॉलेज के छात्रावास के कमरा नंबर 104 में लिखी थी.
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देश की नदियों को परस्पर जोड़कर नव भारत के निर्माण का सपना देखने वाले युगद्रष्टा श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की दिखाई राह पर चलकर मध्यप्रदेश ने अपनी जीवनदायिनी मां नर्मदा और क्षिप्रा नदी को जोड़कर विकास की नई गाथा लिखने का अप्रतिम कार्य किया। pic.twitter.com/aLvP75ZshS
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 16, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">देश की नदियों को परस्पर जोड़कर नव भारत के निर्माण का सपना देखने वाले युगद्रष्टा श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की दिखाई राह पर चलकर मध्यप्रदेश ने अपनी जीवनदायिनी मां नर्मदा और क्षिप्रा नदी को जोड़कर विकास की नई गाथा लिखने का अप्रतिम कार्य किया। pic.twitter.com/aLvP75ZshS
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लाल किले पर भाषण देने का कई बार मिला मौका: 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी (Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee) का एमपी से बेहद लगाव रहा, जबकि उनकी उच्च शिक्षा कानपुर में हुई और उत्तर प्रदेश को ही उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र बनाया था. (India Independence Day Speech) अटल बिहार वाजपेयी ने लाल किले की प्राचीर से देश को छह बार संबोधित किया था. वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिसे लाल किले (Red Fort) से इतनी बार भाषण देने का मौका मिला था. उनके भाषण में नाटकीयता और लंबे अंतराल के बीच कविताओं की पंक्ति उसे शानदार बना देती थी. सीएम शिवराज सिंह ने श्रद्धांजलि दी है.
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मैं अपने गांव जैत से भोपाल पढ़ने आया था और छात्र रहते पहली बार चारबत्ती चौराहे पर स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के विचारों को सुना।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 16, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
वो दिन था और आज का दिन है, वह अपनी वाणी, विचार, ज्ञान और कविताओं के माध्यम से मुझमें जीवित हैं। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं। pic.twitter.com/IqCZMtmpii
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वो दिन था और आज का दिन है, वह अपनी वाणी, विचार, ज्ञान और कविताओं के माध्यम से मुझमें जीवित हैं। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं। pic.twitter.com/IqCZMtmpiiमैं अपने गांव जैत से भोपाल पढ़ने आया था और छात्र रहते पहली बार चारबत्ती चौराहे पर स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के विचारों को सुना।
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वो दिन था और आज का दिन है, वह अपनी वाणी, विचार, ज्ञान और कविताओं के माध्यम से मुझमें जीवित हैं। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं। pic.twitter.com/IqCZMtmpii
प्रखर वक्ता के साथ ही कवि थे अटल: जब पहली बार लाल किले से वाजपेयी का भाषण हुआ था, उस वक्त उनके सुनने वालों का वहां पर तांता लग गया था. वाजपेयी से देश को बहुत सारी उम्मीदें थीं. 15 अगस्त 1998 को अटलजी ने पहली बार लाल किले की प्राचीर से अपना भाषण दिया था. 11 और 13 मई को पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण (Pokhran nuclear test) की धमक उनके भाषण में साफ सुनाई पड़ी थी. वाजपेयी ने अपने पहले ही भाषण में भारत के बदलते हुए तेवर की झलक दे दी थी. अटल जी प्रखर वक्ता के साथ ही कवि भी थे, उनकी आज भी सियासत में मिसालें दी जाती हैं.