भोपाल। पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम में आए बदलाव और बारिश ने किसानो की मुश्किलें (farmers upset due to rain) बढ़ा दी हैं. प्रशासन की लापरवाही से मंडियों में खुले में रखा (rain soaking thousands of quintals of paddy) हजारों क्विंटल धान भीग गया. खास बात यह है कि किसानों के लिए आफत बन कर आई बारिश की मौसम विभाग ने पहले से ही चेतावनी दे दी थी. बावजूद इसके मंडियों में प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किए गए. खुले में रखी धान की फसल पानी-पानी हो गई और उसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं आया. हालांकि बाद में मंडी प्रभारियों को कारण बताओ नोटिस देकर मामले की खाना पूर्ति कर ली गई.
100 से ज्यादा खरीदी केंद्रों का यही हाल
बेमौसम बरसात से खरीदी केन्द्रों में खुले में रखी धान गीली हो गई. ऐसा एक या दो जगह नहीं प्रदेश में सौ से ज्यादा खरीदी केन्द्रों की एक जैसी स्थिति दिखाई दी. मंडियों में खुले में रखा धान भीग जाने से किसान भी खासे नाराज हैं. उनका कहना था कि खरीदी केन्द्रों में उपज को खुले में रखवाना प्रशासन की लापरवाही है. मौसम विभाग ने पहले से ही बारिश की संभावना जताई थी. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से खरीदी केन्द्रों में उपज को बचाने के लिए तिरपाल का भी इंतजाम नहीं किया गया. कई जगह ओलावृष्टि से दलहन मटर, बटरी, उड़द व मूंग की फसल को भी नुकसान पहुंचा है. कई जगह पर ज्यादा ओले गिरने से खेत में खड़ी दलहन की फसलें भी पूरी तरह खराब हो गईं.
शिवपुरी- अन्नदाता पर कुदरत का ऐसा कहर बरपा है कि कड़कड़ती ठंड में देर रात तक अपनी धान की फसल बेचने मंडी पहुंचे किसानों की उपज पूरी तरह बारिश से भीग गई. खरीदी केंद्र पर कोई अधिकारी नहीं आया.
अनूपपुर- खरीद केंद्रों पर किसानों के हजारों टन धान पानी में भीग गए. व्यापारी अब गीली फसल के औने-पौने दाम दे रहे हैं.
प्रशासन की लापरवाही, व्यवस्था के बावजूद भीगा धान
जबलपुर में सुबह से ही तेज बारिश ने किसान की मेहनत पर पानी फेर दिया गया है. किसान धान बेचने के लिए कृषि उपज मंडी ले गए थे, लेकिन धान को बारिश से बचाने का कोई उपाय नहीं था. कृषि उपज मंडी की लापरवाही के चलते किसानों की फसल बर्बाद हो गई. खास बात यह है कि जबलपुर कृषि उपज मंडी में अनाज ढ़कने की व्यवस्था है शेड और तिरपाल भी लेकिन ज्यादा मात्रा में आवक होने से काफी मात्रा में धान खुले में रखा रहा. किसानों का आरोप है कि समय से धान खरीदी नहीं होने और सहीं व्यवस्थाएं नहीं होने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. सिवनी के जिला आपूर्ति अधिकारी के मुताबिक 28 दिसंबर तक 121 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 23995 पंजीकृत किसानों से अब तक 152869.561 मेट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है. इसमें से 62.23 प्रतिशत का परिवहन कर भंडार केंद्रों में भंडारित किया जा चुका है.
गीले अनाज का किसानों को नहीं मिलता सही दाम
अचानक बदले मौसम के रुख ने मंडी की अव्यवस्थाओं को बेनकाब कर दिया है. मंडी में बने शेड में हमेशा व्यापारियों का अनाज रखा रहता है, जिसे तय समय पर नहीं उठाया जाता, जिसके कारण शेड में जगह खाली नहीं रहती और किसानों को खुले में अनाज रखना पड़ता है. मंडी में रखा करीब 50 हजार टन मक्का, सोयाबीन और गेहूं बारिश में पूरी तरह भीग गया है, अब भीगे अनाज का किसानों को उचित मूल्य भी नहीं मिल पाएगा. बेमौसम बारिश से किसानों की मेहनत पर बर्बादी का पानी (heavy rain without season in MP) फिर गया है. रीवा, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, इंदौर की कृषि उपज मंडियों में उपज को ढ़ंक कर रखने का कोई इंतजाम नहीं था.
बारिश से बर्बाद हुआ हजारों टन प्याज
मंदसौर में भी बारिश से बर्बादी का ऐसा ही आलम रहा. कृषि उपज मंडी और शामगढ़ मंडी में खुले में पड़ा हजारों टन प्याज भीग गया. मंडी में प्याज लेकर पहुंचे किसान बुधवार रात से हुई बारिश से बर्बादी की कगार पर आ गए हैं. (heavy rain without season in mandsaur) भीगा प्याज जल्द ही सड़ जाएगा, जिससे उनका बड़ा नुकसान हुआ है, व्यापारी भीगा प्याज खरीदने से मना कर रहे हैं. किसानों के सामने हालत यह है कि वे या तो प्याज को बेहद सस्ते दामों पर 1 रुपए किलो पर भी बेचने को तैयार हैं नहीं तो उन्हें ये प्याज मंडी में ही छोड़कर जाना होगा.