भोपाल। कांग्रेस हमेशा से किसानों के साथ रही है. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर पीएम मोदी का ये कहना कि हम किसानों को नहीं समझा पाए तो कानून वापस ले रहे हैं. ये अपने आप में भाजपा सरकार के फैसलों में विरोधाभास दिखाता है. (Face to Face Ex Cabinet Minister Suresh pachouri )पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने ईटीवी भारत मध्य प्रदेश के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी से खास बातचीत में (interview suresh pachouri)कहा, कि यूपी और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी.इसके साथ ही उन्होंने दावा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी.
सवाल- कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कांग्रेस पार्टी किस तरह से देखती है.
जवाब- तीनों काले कृषि कानून वापस लेने के संबंध में हमारे देश के अन्नदाता वर्ग प्रारंभ से ही मांग कर रहे थे,पूरा देश उद्वेलित था कि आखिर क्या कारण हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार इन तीनों काले कृषि कानूनों को लागू करने के लिए जिद कर रही है. (controversy on farm laws)एक तरफ तीनों काले कृषि कानूनों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों के हक में बता रही थी. तो सवाल ये उठता कि जब ये किसानों के हक में थे तो किसान आंदोलित क्यों थे. किसान उद्वेलित क्यों थे,किसान अपनी बात शांतिपूर्वक उठा रहे थे और आग्रह कर रहे थे कि वो तीनों काले कृषि कानून वापस लें. (modi repealing farm laws) ये बात बहुत स्पष्ट है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं कह दिया कि हम किसानों को नहीं समझा पाए ,इसका मतलब है कि वो ये मानते हैं कि उनकी नजरों में ये कानून ठीक थे. लेकिन वो समझा नहीं पाए तो वापस ले रहे है. ये अपने आप में भाजपा की सरकार के फैसलों में विरोधाभास है.
सवाल-इसमें कांग्रेस की भूमिका कहां रही.आंदोलन शुरु होने से लेकर समाप्ति तक,अब आंदोलन समाप्ति को ओर है.
जवाब- जहां तक कांग्रेस का प्रश्न है तो कांग्रेस सदैव कृषकों की पक्षधर रही है. चाहे बारदुलाई आंदोलन हो,हरित क्रांति हो ,तिलहन या दलहन संघ की स्थापना हो,जो कि राजीव जी के समय उठाया गया कदम था,किसानों की ऋण माफी डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लिया गया फैसला हो. (reaction on farm laws)ये सारे कदम हैं. अभी हाल में कमलनाथ जी के कार्यकाल में किसानों की कर्ज माफी का कदम हो, तो कांग्रेस पार्टी ने अन्नदाताओं के हितों के मद्देनजर कदम उठाए हैं. कांग्रेस सदैव किसानों के साथ खड़ी रही है और आज भी खड़ी हुई है.
सवाल- पचौरी जी आज बड़ा विशेष दिन है, महारानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन,इंदिरा गांधी की जन्मदिन और गुरुनानक जयंती भी है. आज का ही दिन क्यों चुना मोदी जी ने कानूनों को वापस लेने के लिए.
जवाब- आज का दिन उन्होंने क्यों चुना इसका जवाब तो वो ज्यादा ठीक ढंग से दे सकते हैं .लेकिन जो मैं सुबह से सुन रहा हूं उसका नतीजा ये हैं कि ये राजनैतिक फैसला है,आने वाले चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए ये फैसला लिया गया है. लेकिन ये सुखद संयोग है कि आज एक एैसी विश्वनेत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्मदिन है जो साहस और संघर्ष की प्रतीक रहीं हैं. रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिवस है जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति संघर्ष करते हुए दे दी.(exclusive interview suresh pachouri) हमारे देश के अन्नदाताओं को विशेष रूप से नमन करना चाहूंगा जिन्होंने अपना आंदोलन पिछले एक साल से शांतिपूर्ण ढंग से चलाया और हमारे नेता राहुल गांधी जी ने तो शुरु में ही कह दिया था कि सारे कृषक जन एक रहें और शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आवाज उठाएं . अपना आंदोलन जारी रखें औऱ अंत में इस सरकार को ये काले कानून वापस लेने पड़ेंगे और ये कानून वापस लिए गए.
सवाल-किसानों की दृढ़ता से तो सरकार तो झुक गई और अब चूंकि मामला संसद का है,संसद में इसकी औपचारिक वापसी होना चाहिए तो अब कांग्रेस की विपक्ष के नाते जो भूमिका होना चाहिए उसमें आप कहां खड़े हैं.
जवाब-कांग्रेस ने सदैव ऐसे कानूनों का विरोध किया है जिससे सर्वहारा वर्ग प्रभावित होता है. किसान वर्ग प्रभावित होता,महिला वर्ग प्रभावित होती है,नौजवान वर्ग प्रभावित होता है. आप याद करिए जब लैंड एक्वीजिशन बिल इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने संसद में लाए तो कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया. और आखिर में ये बिल वापस लिया गया. ठीक इसी प्रकार से जब ये बिल संसद में आएंगे तो हम इसका विरोध करेंगे.
सवाल-आपकी पार्टी क्या कोई विशेष सत्र बुलाने की मांग भी करेगी.
जवाब- इस संबंध में तो कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी फैसला लेगी.
सवाल- एक बड़ा मामला है कि अब यूपी और पंजाब के चुनाव सामने हैं,किसान आंदोलन कहीं न कहीं यूपी और पंजाब के चुनाव को प्रभावित कर रहा था. इसके डर से तो कहीं बीजेपी ने ये फैसला तो नहीं लिया.
जवाब- मैं तो ये मानूंगा कि ये फैसला जो है इसी दबाव से लिया गया है. लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा. कहावत है अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत , तो बहुत देर हो चुकी है.
सवाल-पंजाब के मामले में बीजेपी के साथ बड़ी मजबूरी है कि उनके साथ अकाली दल नहीं है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ये शर्त रखी थी कि मेरी पार्टी या मेरा समर्थन तभी मिल पाएगा जब आप कृषि कानून वापस लेंगे तो उस रूप में तो देख सकते हैं.
जवाब- कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बीच की बात है,इसमें मेरा टिप्पणी करना अनावश्यक होगा.
सवाल- यूपी और पंजाब के चुनाव हैं तो अब इस निर्णय के बाद कांग्रेस अपने आपको कहां पाती है.
जवाब-कांग्रेस अपने सिंद्धातों पर अडिग है,अपनी नीतियों पर अडिग है, जो कांग्रेस का कदम है वो अडिग रहेगा. हमने किसानों का साथ दिया था और हम किसानों के साथ खड़े रहेंगे.
सवाल- एक राजनीतिक बात पूछता हूं कि आपने उत्तरप्रदेश,पंजाब,राजस्थान में काम किया है (congress punjab up election) और पार्टी के लिए आप पर्यवेक्षक भी कई मौकों पर रहे हैं. कांग्रेस अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी या फिर समझौता करके एक विचारधारा के लोगों के साथ चुनाव लड़ेगी.
जवाब- इस संबंध में अंतिम फैसला तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधीजी ही करेंगी, लेकिन अभी तक जो बात सामने आ रही है ,जो यूपी देख रहे हैं और पंजाब देख रहे हैं,उससे तो यही बात निकलकर आ रही है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे.
सवाल-मध्य प्रदेश की बात करें पिछले दिनों चार उपचुनाव हुए हैं तीन विधानसभा के और एक लोकसभा के. एक में आपका उम्मीदवार जीता है और दो पर हारे हैं जो कि आपकी परम्परागत सीट थी. खंडवा में आप प्रदर्शन को संतोषजनक मानते हैं. आने वाले 2023 के चुनाव में पार्टी की क्या स्थिति रहेगी.
जवाब- पहले तो इन उपचुनाव का वोट शेयर है और विश्लेषण है उस पर आपका ध्यान आकर्षित करूंगा. कांग्रेस का वोट शेयर इन चारों सीटों पर बढ़ा है. जो अंतर जीत और हार का रहा है वो भी कम रहा है. रही बात 2023 के चुनाव की तो उसमें कांग्रेस की जीत होगी और कांग्रेस की सरकार बनेगी.
सवाल- बीच में सरकार आपकी गिरी और उसके बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा था तो कार्यकर्ताओं का मनोबल कैसे उठेगा और जीत का आपका स्वप्न और टारगेट कैसे अचीव कर पाएंगे.
जवाब-कांग्रेस ने बहुत उतार-चढाव देखे हैं और जब ऐसी परिस्थितियां समय-समय पर निर्मित हुईं तो एक बार पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हमने तय की हैं मंजिलें इस तरह,गिर पड़े,उठ गए और फिर चल दिए. तो इस प्रकार के जो उतार-चढ़ाव आते हैं उससे कांग्रेस के साथी निराश नहीं होते. बल्कि एक नई ऊर्जा के साथ अपने दायित्व को पूरा करने का संकल्प लेते हैं. इसी संकल्प के साथ मप्र में सारे कांग्रेसजन एकजुट हैं,संकल्पबद्ध हैं. 2023 के चुनाव को लेकर बहुत आश्वस्त हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी.