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शिव'राज' में चिकित्सा सेवा का बुरा हाल, घोषणा के बावजूद कई जिलों में नहीं लगे ऑक्सीजन प्लांट ना खुले अस्पताल - shivraj announce new oxygen plant

संक्रमित मरीजों को कोविड का इलाज प्रदेश में मिलेगा. इसका भरोसा बनाए रखने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कई जिलों और अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने कोविड केयर अस्पताल बनाए जाने की घोषणा की थी. लेकिन सागर, बीना, दमोह, इंदौर जैसे शहरों में क्या है सीएम के वादों का हाल, देखिए ईटीवी की पड़ताल.

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शिव'राज' में चिकित्सा सेवा का बुरा हाल
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Published : Jun 3, 2021, 10:59 PM IST

सागर। मध्यप्रदेश में बीते 10 दिनों के दौरान कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा कम हुआ है. यह खबर प्रदेश की जनता और सरकार दोनों को राहत देने वाली है, लेकिन हम आपको कुछ दिनों पीछे ले चलते हैं. जब प्रदेश में कोरोना का संक्रमण चरम पर था और संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा रोके नहीं रुक रहा था. जनता ऑक्सीजन,रेमेडेसिवर और जरूरी दवाओं के लिए संघर्ष कर रही थी और इसके अभाव में दम तोड़ रही थी. इस दौरान लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के कई जिलों और अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने कोविड अस्पताल बनाए जाने की घोषणा की थी. लेकिन घोषणाएं कहीं अधूरी रहीं तो कहीं जमीन पर नजर ही नहीं आई. देखिए एक रिपोर्ट

शिव'राज' में चिकित्सा सेवा का बुरा हाल

क्या है घोषणाओं की हकीकत...देखिए

बीते 20 अप्रैल को जब प्रदेश के कई जिलों जिनमें से सागर-बीना भी एक था मैं कोरोना संक्रमण को लेकर हाहाकार मचा हुआ था. ऐसे समय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लोगों को संक्रमण से बचाने का भरोसा देने बीना पहुंचे थे. सीएम ने यहां घोषणा की थी कि जिले में बीना रिफाइनरी की ऑक्सीजन पर आधारित एक हजार बेड का ऑक्सीजन सपोर्ट वाला कोविड केयर अस्पताल मात्र 10 दिन में बना दिया जाएगा. जिसमें करीब 8 जिलों के कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाएगा, लेकिन 2 जून को यहां ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा और हकीकत को जाना.

  • सीएम शिवराज सिंह के एलान के मुताबिक इस अस्पताल को 30 अप्रैल तक तैयार हो जाना था,लेकिन 2 जून तक यह अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं हो सका है.
  • अस्पताल को 1000 बेड के साथ चालू करने की घोषणा की गई थी, लेकिन यह महज 200 बेड में सिमट गया है.
  • अस्पताल अपनी पूरी क्षमता के साथ कब तक शुरू हो पाएगा इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं.

भरोसेमंद को सौंपा काम, खुद सीएम ने दो बार किया दौर

बीना के आगासोद में स्थिति बीना रिफाइनरी की ऑक्सीजन से बनने वाला यह अस्पताल चक गांव में बनाया जाना है. सीएम के ऐलान के बाद प्रशासन ने भी काम शुरू करने में तेजी दिखाई. सीएम ने अपने मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया. मंत्रीजी ने 22 अप्रैल को प्रस्तावित स्थल का दौरा किया और तैयारियों का जायजा लिया.

  • मुख्यमंत्री की घोषणा तो 10 दिन में अस्पताल बनाने की थी, लेकिन प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अस्पताल के 5 मई तक शुरू हो जाने की बात कही. इस दौरान भूपेंद्र सिंह लगातार यहां का दौरा करते रहे. इस बीच सीएम शिवराज भी 27 अप्रैल को अपने साथ अधिकारियों का भारी-भरकम दल लेकर बीना पहुंचे और खुद उन्होंने अस्पताल की तैयारियों का जायजा लिया.
  • मुख्यमंत्री के दौरे के बाद अस्पताल को शुरू करने की तारीख 5 दिन और बढ़ा कर 10 मई बताई गई.
  • 9 मई को सीएम शिवराज सिंह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ बीना पहुंचे. इस बार बताया गया कि रिफाइनरी की इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को मेडिकल यूज में बदलने के लिए 2 कंप्रेसर लगाए जा रहे हैंं.
  • यह भी एलान हुआ कि बीना रिफाइनरी की ऑक्सीजन को दूसरे जिलों में भी भेजा जाएगा.
  • इस दौरे के बाद अस्पताल को शुरू करने की तारीख 20 मई हो गई.

    5 मई, 10 मई, 20 मई...और नतीजा नहीं..पाइप लाइन भी नहीं बिछी
  • सीएम के ऐलान के मुताबिक 10 दिनों में तैयार हो जाने वाले इस अस्पताल के, पहले 5 मई , 10 मई और अब 20 को शुरू होने की तारीख बताई जा रही है, लेकिन मौजूदा हालात में यह अस्पताल पूरी तरह तैयार नहीं है.
  • सीएम शिवराज सिंह ने अपने दूसरे दौरे में इस अस्पताल को 1000 की जगह 200 बेड के साथ ही शुरू करने की बात कही, लेकिन हालात ये है कि अभी तक 200 बेड का भी अस्पताल पूरी तरह तैयार नहीं हो सका है.
  • 2 जून को सागर कलेक्टर ने बीना रिफाइनरी के पास बन रहे इस अस्पताल की तैयारियों का जायजा लिया उन्होंने कहा कि सभी तैयारियां लगभग तैयारियां पूरी हो गई हैं, लेकिन इस अस्पताल को कब शुरू किया जाएगा, इसकी तारीख वे भी नहीं बता पाए.
  • ईटीवी भारत की टीम ने देखा कि मौजूदा हालत में रिफाइनरी के ऑक्सीजन प्लांट से अस्पताल तक ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है.
  • अस्पताल तक अप्रोच रोड और पीने के पानी की व्यवस्था का काम भी अटका हुआ है.
  • मौके पर जिस गति से काम चल रहा है उसको लेकर माना जा रहा है कि फिलहाल यह अस्पताल शुरू नहीं हो सकेगा.

कांग्रेस का आरोप घोषणावीर सीएम का बड़ा घोटाला
मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि जब जिले में हाहाकर की स्थिति थी तब इस अस्पताल के निर्माण का जोर शोर से शुरुआत की गई थी,लेकिन आज जिले में मरीजों की संख्या 50 के भी नीचे पहुंच गई है लेकिन यह अस्पताल शुरू नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह को उनकी घोषणाओं की वजह से ही घोषणावीर सीएम कहा जाता है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि मेरा मानना है अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही दौरा करेंगे, तब जाकर यह अस्पताल शुरू हो पाएगा. उन्होंने प्रदेश सरकार पर अस्पताल की आड़ में घोटाला करने और इसकी जांच कराने की भी मांग की है.

दमोह में 2 महीने बाद सिर्फ फाउंडेशन बना..प्लांट नही

सीएम ने प्रदेश के 37 जिलों में पीएसए आधारित अलग-अलग क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसाल लिया था. 22 अप्रैल को इसके आदेश भी जारी कर दिए गए थे. इसके मुताबिक दमोह में 300 एलपीएम क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना था. राज्य सरकार ने ऑक्सीजन प्लांट के लिए 1 करोड़ 16 लाख 86 हज़ार 964 रुपए का बजट भी मंजूर किया गया था, लेकिन 2 महीने बीत जाने के बाद भी दमोह अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा कोरी घोषणा ही साबित हो रही है. प्लांट के नाम पर अभी तक मात्र फाउंडेशन का काम ही हो पाया है. जबकि ऑक्सीजन के लोकार्पण की तिथि 12 मई रखी गई थी लेकिन अस्पताल की घोषणा हुए करीब 2 माह होने वाले हैं, लेकिन महीने भर से यहां काम बंद हैं . सरकारी घोषणा के अलावा भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की तरफ से भी दमोह अस्पताल परिसर में ही 1500 एलपीएम का प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है, उस प्लांट का भी अभी कुछ अता पता नहीं है हालांकि कार्पोरेशन की तरफ से 22 जून तक प्लांट का काम कम्पलीट करने को कहा गया है.

इंदौर में मिला 2 करोड़ से अधिक का दान...नहीं लगा प्लांट

कोरोना की दूसरी लहर में मारे गए हजारों लोगों के बावजूद चिकित्सा संसाधनों की उपलब्धता को लेकर राज्य सरकार अब भी लापरवाह बनी हुई है. आनन फानन में की गई ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणाओं में इंदौर में भी राधा स्वामी सत्संग परिसर, एमआरटीवी अस्पताल और चेस्ट सेंटर में ऑक्सीजन प्लांट की स्वीकृति दी गई थी. सरकार ने दावे किए थे कि 7 दिन में ये ऑक्सीजन प्लांट तैयार कर लिया जाएगा, लेकिन प्लांट का अब तक काम भी शुरू नहीं हो सका है. राधा स्वामी सत्संग परिसर में बनने वाले ऑक्सीजन प्लांट के लिए शहर वासियों ने करीब सवा दो करोड़ रुपए दान भी दिया था. इसके बावजूद 1 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. यहां भी प्लांट का काम शुरू नहीं हो सका है. तब भी यहां प्लांट का कोई काम का शुरू नहीं हो सका है, यही स्थिति एमआरटीवी अस्पताल के प्लांट की है जहां सिर्फ अब तक एक छोटा सा टीन शेड ही बन पाया है जबकि चेस्ट सेंटर में मौके पर सिर्फ एक चबूतरा नजर आता है. प्लांटों का काम पूरा न होने को लेकर जिम्मेदार अजीब दलीलें दे रहे हैं. सच ये है कि इंदौर के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में 30 प्लांट बनाए जाने हैं लेकिन अब तक एक भी प्लांट अस्तित्व में नहीं आ सका है. जबकि निजी अस्पतालों के संचालकों ने 10 प्लांट के वर्क आर्डर जारी किए हैं जिनका काम शुरू हो रहा है. जबकि सेंट फ्रांसिस अस्पताल में एक प्लांट शुरू भी हो सका है.

ग्वालियर में ही मिल सकी राहत

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की मौत हो जाने के बाद ग्वालियर के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद शुरू हो गई है. इसी को लेकर शहर के जयारोग्य अस्पताल में एक निजी कंपनी का ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है. यह प्लांट सन फार्मा कंपनी ने लगाया गया है. इस ऑक्सीजन प्लांट के जरिए रोज 200 बेड पर ऑक्सीजन की 24 घंटे सप्लाई होगी. इस ऑक्सीजन प्लांट की सबसे खास बात यह है कि यह नाइट्रोजन से ऑक्सीजन कनवर्ट करके मरीजों को उपलब्ध करायेगा. इसके लिए विदेश से डिवाइस मंगाई गई थी, जिसकी कीमत लगभग 36 लाख रुपये के आसपास है. इस ऑक्सीजन प्लांट से जयारोग्य अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग, न्यूरोलॉजी विभाग,वर्न यूनिट सहित अन्य विभागों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकेगी.इसके अलावा जिला प्रशासन की तरफ से सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने की प्रक्रिया चालू है. अधिकारियों के मुताबिक ये प्लांट भी जल्द ही शुरू हो जाएंगे.

सागर। मध्यप्रदेश में बीते 10 दिनों के दौरान कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा कम हुआ है. यह खबर प्रदेश की जनता और सरकार दोनों को राहत देने वाली है, लेकिन हम आपको कुछ दिनों पीछे ले चलते हैं. जब प्रदेश में कोरोना का संक्रमण चरम पर था और संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा रोके नहीं रुक रहा था. जनता ऑक्सीजन,रेमेडेसिवर और जरूरी दवाओं के लिए संघर्ष कर रही थी और इसके अभाव में दम तोड़ रही थी. इस दौरान लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के कई जिलों और अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने कोविड अस्पताल बनाए जाने की घोषणा की थी. लेकिन घोषणाएं कहीं अधूरी रहीं तो कहीं जमीन पर नजर ही नहीं आई. देखिए एक रिपोर्ट

शिव'राज' में चिकित्सा सेवा का बुरा हाल

क्या है घोषणाओं की हकीकत...देखिए

बीते 20 अप्रैल को जब प्रदेश के कई जिलों जिनमें से सागर-बीना भी एक था मैं कोरोना संक्रमण को लेकर हाहाकार मचा हुआ था. ऐसे समय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लोगों को संक्रमण से बचाने का भरोसा देने बीना पहुंचे थे. सीएम ने यहां घोषणा की थी कि जिले में बीना रिफाइनरी की ऑक्सीजन पर आधारित एक हजार बेड का ऑक्सीजन सपोर्ट वाला कोविड केयर अस्पताल मात्र 10 दिन में बना दिया जाएगा. जिसमें करीब 8 जिलों के कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाएगा, लेकिन 2 जून को यहां ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा और हकीकत को जाना.

  • सीएम शिवराज सिंह के एलान के मुताबिक इस अस्पताल को 30 अप्रैल तक तैयार हो जाना था,लेकिन 2 जून तक यह अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं हो सका है.
  • अस्पताल को 1000 बेड के साथ चालू करने की घोषणा की गई थी, लेकिन यह महज 200 बेड में सिमट गया है.
  • अस्पताल अपनी पूरी क्षमता के साथ कब तक शुरू हो पाएगा इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं.

भरोसेमंद को सौंपा काम, खुद सीएम ने दो बार किया दौर

बीना के आगासोद में स्थिति बीना रिफाइनरी की ऑक्सीजन से बनने वाला यह अस्पताल चक गांव में बनाया जाना है. सीएम के ऐलान के बाद प्रशासन ने भी काम शुरू करने में तेजी दिखाई. सीएम ने अपने मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया. मंत्रीजी ने 22 अप्रैल को प्रस्तावित स्थल का दौरा किया और तैयारियों का जायजा लिया.

  • मुख्यमंत्री की घोषणा तो 10 दिन में अस्पताल बनाने की थी, लेकिन प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अस्पताल के 5 मई तक शुरू हो जाने की बात कही. इस दौरान भूपेंद्र सिंह लगातार यहां का दौरा करते रहे. इस बीच सीएम शिवराज भी 27 अप्रैल को अपने साथ अधिकारियों का भारी-भरकम दल लेकर बीना पहुंचे और खुद उन्होंने अस्पताल की तैयारियों का जायजा लिया.
  • मुख्यमंत्री के दौरे के बाद अस्पताल को शुरू करने की तारीख 5 दिन और बढ़ा कर 10 मई बताई गई.
  • 9 मई को सीएम शिवराज सिंह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ बीना पहुंचे. इस बार बताया गया कि रिफाइनरी की इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को मेडिकल यूज में बदलने के लिए 2 कंप्रेसर लगाए जा रहे हैंं.
  • यह भी एलान हुआ कि बीना रिफाइनरी की ऑक्सीजन को दूसरे जिलों में भी भेजा जाएगा.
  • इस दौरे के बाद अस्पताल को शुरू करने की तारीख 20 मई हो गई.

    5 मई, 10 मई, 20 मई...और नतीजा नहीं..पाइप लाइन भी नहीं बिछी
  • सीएम के ऐलान के मुताबिक 10 दिनों में तैयार हो जाने वाले इस अस्पताल के, पहले 5 मई , 10 मई और अब 20 को शुरू होने की तारीख बताई जा रही है, लेकिन मौजूदा हालात में यह अस्पताल पूरी तरह तैयार नहीं है.
  • सीएम शिवराज सिंह ने अपने दूसरे दौरे में इस अस्पताल को 1000 की जगह 200 बेड के साथ ही शुरू करने की बात कही, लेकिन हालात ये है कि अभी तक 200 बेड का भी अस्पताल पूरी तरह तैयार नहीं हो सका है.
  • 2 जून को सागर कलेक्टर ने बीना रिफाइनरी के पास बन रहे इस अस्पताल की तैयारियों का जायजा लिया उन्होंने कहा कि सभी तैयारियां लगभग तैयारियां पूरी हो गई हैं, लेकिन इस अस्पताल को कब शुरू किया जाएगा, इसकी तारीख वे भी नहीं बता पाए.
  • ईटीवी भारत की टीम ने देखा कि मौजूदा हालत में रिफाइनरी के ऑक्सीजन प्लांट से अस्पताल तक ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है.
  • अस्पताल तक अप्रोच रोड और पीने के पानी की व्यवस्था का काम भी अटका हुआ है.
  • मौके पर जिस गति से काम चल रहा है उसको लेकर माना जा रहा है कि फिलहाल यह अस्पताल शुरू नहीं हो सकेगा.

कांग्रेस का आरोप घोषणावीर सीएम का बड़ा घोटाला
मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि जब जिले में हाहाकर की स्थिति थी तब इस अस्पताल के निर्माण का जोर शोर से शुरुआत की गई थी,लेकिन आज जिले में मरीजों की संख्या 50 के भी नीचे पहुंच गई है लेकिन यह अस्पताल शुरू नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह को उनकी घोषणाओं की वजह से ही घोषणावीर सीएम कहा जाता है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि मेरा मानना है अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही दौरा करेंगे, तब जाकर यह अस्पताल शुरू हो पाएगा. उन्होंने प्रदेश सरकार पर अस्पताल की आड़ में घोटाला करने और इसकी जांच कराने की भी मांग की है.

दमोह में 2 महीने बाद सिर्फ फाउंडेशन बना..प्लांट नही

सीएम ने प्रदेश के 37 जिलों में पीएसए आधारित अलग-अलग क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसाल लिया था. 22 अप्रैल को इसके आदेश भी जारी कर दिए गए थे. इसके मुताबिक दमोह में 300 एलपीएम क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना था. राज्य सरकार ने ऑक्सीजन प्लांट के लिए 1 करोड़ 16 लाख 86 हज़ार 964 रुपए का बजट भी मंजूर किया गया था, लेकिन 2 महीने बीत जाने के बाद भी दमोह अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा कोरी घोषणा ही साबित हो रही है. प्लांट के नाम पर अभी तक मात्र फाउंडेशन का काम ही हो पाया है. जबकि ऑक्सीजन के लोकार्पण की तिथि 12 मई रखी गई थी लेकिन अस्पताल की घोषणा हुए करीब 2 माह होने वाले हैं, लेकिन महीने भर से यहां काम बंद हैं . सरकारी घोषणा के अलावा भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की तरफ से भी दमोह अस्पताल परिसर में ही 1500 एलपीएम का प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है, उस प्लांट का भी अभी कुछ अता पता नहीं है हालांकि कार्पोरेशन की तरफ से 22 जून तक प्लांट का काम कम्पलीट करने को कहा गया है.

इंदौर में मिला 2 करोड़ से अधिक का दान...नहीं लगा प्लांट

कोरोना की दूसरी लहर में मारे गए हजारों लोगों के बावजूद चिकित्सा संसाधनों की उपलब्धता को लेकर राज्य सरकार अब भी लापरवाह बनी हुई है. आनन फानन में की गई ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणाओं में इंदौर में भी राधा स्वामी सत्संग परिसर, एमआरटीवी अस्पताल और चेस्ट सेंटर में ऑक्सीजन प्लांट की स्वीकृति दी गई थी. सरकार ने दावे किए थे कि 7 दिन में ये ऑक्सीजन प्लांट तैयार कर लिया जाएगा, लेकिन प्लांट का अब तक काम भी शुरू नहीं हो सका है. राधा स्वामी सत्संग परिसर में बनने वाले ऑक्सीजन प्लांट के लिए शहर वासियों ने करीब सवा दो करोड़ रुपए दान भी दिया था. इसके बावजूद 1 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. यहां भी प्लांट का काम शुरू नहीं हो सका है. तब भी यहां प्लांट का कोई काम का शुरू नहीं हो सका है, यही स्थिति एमआरटीवी अस्पताल के प्लांट की है जहां सिर्फ अब तक एक छोटा सा टीन शेड ही बन पाया है जबकि चेस्ट सेंटर में मौके पर सिर्फ एक चबूतरा नजर आता है. प्लांटों का काम पूरा न होने को लेकर जिम्मेदार अजीब दलीलें दे रहे हैं. सच ये है कि इंदौर के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में 30 प्लांट बनाए जाने हैं लेकिन अब तक एक भी प्लांट अस्तित्व में नहीं आ सका है. जबकि निजी अस्पतालों के संचालकों ने 10 प्लांट के वर्क आर्डर जारी किए हैं जिनका काम शुरू हो रहा है. जबकि सेंट फ्रांसिस अस्पताल में एक प्लांट शुरू भी हो सका है.

ग्वालियर में ही मिल सकी राहत

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की मौत हो जाने के बाद ग्वालियर के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद शुरू हो गई है. इसी को लेकर शहर के जयारोग्य अस्पताल में एक निजी कंपनी का ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है. यह प्लांट सन फार्मा कंपनी ने लगाया गया है. इस ऑक्सीजन प्लांट के जरिए रोज 200 बेड पर ऑक्सीजन की 24 घंटे सप्लाई होगी. इस ऑक्सीजन प्लांट की सबसे खास बात यह है कि यह नाइट्रोजन से ऑक्सीजन कनवर्ट करके मरीजों को उपलब्ध करायेगा. इसके लिए विदेश से डिवाइस मंगाई गई थी, जिसकी कीमत लगभग 36 लाख रुपये के आसपास है. इस ऑक्सीजन प्लांट से जयारोग्य अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग, न्यूरोलॉजी विभाग,वर्न यूनिट सहित अन्य विभागों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकेगी.इसके अलावा जिला प्रशासन की तरफ से सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने की प्रक्रिया चालू है. अधिकारियों के मुताबिक ये प्लांट भी जल्द ही शुरू हो जाएंगे.

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