भोपाल। कोरोना के मरीज बढ़ऩे के साथ ही अब डेंगू का संक्रमण भी बढ़ने लगा है. शहर में इस साल के शुरूआती छह महीनों में ही डेंगू के 47 मरीज समाने आ चुके हैं. इनमें से करीब आधे मरीज सिर्फ जून से जुलाई के शुरूआती सप्ताह के हैं. अब जब बारिश का दौर शुरू हो गया है, तो डेंगू और चिकनगुनिया के मामले भी बढ़ऩे की आशंका है. दरअसल, बारिश के बाद शहर के खाली प्लॉटों में भरा बारिश का पानी डेंगू का कारण बन सकता है.
जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे ने कहा कि, अभी डेंगू के मरीज कम हैं, लेकिन हमारी टीमें लगातार काम कर रही हैं. तेज बारिश के बावजूद हमारी टीमों ने लार्वा से बचाव का काम किया है. जब जरूरत होगी तो आशा सहित अन्य कर्मचारियों को भी जोड़ेंगे.
कॉलोनियों में 7500 से ज्यादा प्लॉट खाली: शहर की अलग-अलग कॉलोनियों में करीब 7500 से ज्यादा ऐसे प्लॉट हैं, जो लंबे समय से खाली पड़े हैं. इन प्लॉटों में बारिश का पानी भर जाता है, यही पानी डेंगू के लार्वा के लिए सबसे मुफीद होता है. मलेरिया विभाग हो या नगर निगम, दोनों अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं. ऐसे में लोगों को स्वयं ही जिम्मेदारी उठानी होगी. अगर आपके आसपास कहीं बारिश का पानी भरा है, तो उसे खुद साफ करें. इसके साथ ही निगम के फायर विभाग को भी इसकी जानकारी दें. एक प्लॉट में भरा बारिश का पानी पूरी कॉलोनी में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप फैला सकता है.
प्लॉट में बारिश के पानी भरने की शिकायत यहां करें:
0755 2542222
18002330014
155204
85 वार्ड में सिर्फ 44 टीम: मलेरिया विभाग के पास डेंगू लार्वा सर्वे कि लिए पर्याप्त कर्मचारी ही नहीं है. शहर के 85 वार्ड में लार्वा सर्वे की 44 टीमें काम कर रही हैं. जब बीमारी ज्यादा बढ़ती है तो आशा कार्यकर्ता, गैस राहत विभाग के कर्मचारियों को भी लार्वा सर्वे में लगाया जाता है. हालांकि पर्याप्त ट्रेनिंग ना होने से यह लार्वा सर्वे नहीं कर पाते. खाली प्लॉटों में साफ सफाई से लेकर जुर्माना लगाने तक की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है. हालांकि हर साल नगर निगम की टीम तब ही सक्रिय होती है, जब शहर में डेंगू के मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैंं. अब तक नगर निगम की तरफ से न तो कहीं मच्छर मारने के लिए धुआं किया जा रहा है और न ही प्लॉट मालिकों पर जुर्माना किया जा रहा है.