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निकाय चुनाव की तैयारी में कमलनाथ सरकार, नए साल में भंग कर सकती है सभी निकाय

एक साल पूरा कर चुकी कमलनाथ सरकार की नजरे नए साल में नगरीय निकाय चुनावों पर टिकी हैं. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब कमलनाथ सरकार निकाय चुनाव में पलटवार करने की जुगत में है. प्रदेश के 16 नगर निगम के साथ ही 318 नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी-फरवरी 2020 में खत्म हो रहा है.

cm kamal nath
सीएम कमलनाथ
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Published : Dec 24, 2019, 11:33 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के अधिकतर नगरीय निकायों का कार्यकाल अगले महीने ही खत्म हो जाएगा. जिसके चलते कांग्रेस अभी से निकाय चुनावों की तैयारियों में जुट गई है. प्रदेश सरकार जल्द ही नगरीय निकायों में परिषदों को भंग कर प्रशासकों की नियुक्ति कर सकती है.

सभी नगर निकायों को भंग कर सकती है सरकार

प्रदेश के 16 नगर निगमों, 318 नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी-फरवरी 2020 में समाप्त हो रहा है. फिलहाल राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव की कोई तैयारी नहीं कर रहा है. इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि कमलनाथ सरकार नगरीय निकाय में पुरानी परिषदों को भंग कर प्रशासकों की नियुक्ति करने जा रही है.

निकायों का कार्यकाल भी बढ़ा सकती है सरकार
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो ये थी कि पुरानी परिषदों का कार्यकाल 6 माह के लिए बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सरकार की तैयारियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जनवरी और फरवरी माह में जिन नगरीय निकायों की परिषदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उनकी परिषदों को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति कर दी जाएगी. परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के एक हफ्ते पहले परिषद भंग करने की अधिसूचना जारी की जा सकती है.

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ज्यादातर नगरीय निकायों में अभी कार्यकाल समाप्त हो रहा है, राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की है, ऐसी स्थिति में ये जरूरी हो जाता है कि वहां आप क्या व्यवस्था कर रहे हैं और इसका निर्णय सरकार को लेना होता है. सरकार वहां निर्णय लेगी कि नगरीय निकायों में क्या व्यवस्था बनानी है. सामान्य तौर पर परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शासन के आदेश पर प्रशासक नगरीय निकायों की व्यवस्था संभालते हैं.

इन सारी कवायदों के पीछे ये माना जा रहा है कि प्रदेश के 16 नगर निगमों में बीजेपी का कब्जा है. इसके अलावा ज्यादातर नगर पालिका और नगर परिषद में भी बीजेपी का कब्जा है. प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने के बाद कांग्रेस नगरीय निकायों में भाजपा की कब्जे को खत्म करने की कोशिश कर रही है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के अधिकतर नगरीय निकायों का कार्यकाल अगले महीने ही खत्म हो जाएगा. जिसके चलते कांग्रेस अभी से निकाय चुनावों की तैयारियों में जुट गई है. प्रदेश सरकार जल्द ही नगरीय निकायों में परिषदों को भंग कर प्रशासकों की नियुक्ति कर सकती है.

सभी नगर निकायों को भंग कर सकती है सरकार

प्रदेश के 16 नगर निगमों, 318 नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी-फरवरी 2020 में समाप्त हो रहा है. फिलहाल राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव की कोई तैयारी नहीं कर रहा है. इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि कमलनाथ सरकार नगरीय निकाय में पुरानी परिषदों को भंग कर प्रशासकों की नियुक्ति करने जा रही है.

निकायों का कार्यकाल भी बढ़ा सकती है सरकार
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो ये थी कि पुरानी परिषदों का कार्यकाल 6 माह के लिए बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सरकार की तैयारियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जनवरी और फरवरी माह में जिन नगरीय निकायों की परिषदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उनकी परिषदों को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति कर दी जाएगी. परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के एक हफ्ते पहले परिषद भंग करने की अधिसूचना जारी की जा सकती है.

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ज्यादातर नगरीय निकायों में अभी कार्यकाल समाप्त हो रहा है, राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की है, ऐसी स्थिति में ये जरूरी हो जाता है कि वहां आप क्या व्यवस्था कर रहे हैं और इसका निर्णय सरकार को लेना होता है. सरकार वहां निर्णय लेगी कि नगरीय निकायों में क्या व्यवस्था बनानी है. सामान्य तौर पर परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शासन के आदेश पर प्रशासक नगरीय निकायों की व्यवस्था संभालते हैं.

इन सारी कवायदों के पीछे ये माना जा रहा है कि प्रदेश के 16 नगर निगमों में बीजेपी का कब्जा है. इसके अलावा ज्यादातर नगर पालिका और नगर परिषद में भी बीजेपी का कब्जा है. प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने के बाद कांग्रेस नगरीय निकायों में भाजपा की कब्जे को खत्म करने की कोशिश कर रही है.

Intro:भोपाल। आगामी 2020 में प्रदेश की ज्यादातर नगरीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। कमलनाथ सरकार की तैयारियों को देखकर लग रहा है कि सभी नगरीय निकायों में परिषदों को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति कर दी जाएगी। नगरीय प्रशासन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। प्रदेश में ज्यादातर नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी- फरवरी 2020 में समाप्त हो रहा है। वैसे तो नगरीय निकायों के चुनाव अभी तक संपन्न हो जाने थे और अगले माह तक पुरानी परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के पहले नई परिषद का गठन हो जाना था। लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के कारण नगरीय निकायों में बीजेपी का कब्जा तोड़ने के लिए कमलनाथ सरकार ये कवायद कर रही है।


Body:मध्यप्रदेश में 16 नगर निगमों साहित्य 318 नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी-फरवरी 2020 में समाप्त होने जा रहा है। फिलहाल राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगरीय निकायों चुनाव को लेकर कोई तैयारियां नहीं की जा रही है। इन परिस्थितियों में माना जा रहा है कि कमलनाथ सरकार नगरीय निकायों में पुरानी परिषदों को भंग कर प्रशासकों की नियुक्ति करने जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो यह थी कि पुरानी परिषदों का कार्यकाल 6 माह के लिए बढ़ाया जा सकता है। लेकिन ताजा तैयारियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि जनवरी और फरवरी माह में जिन नगरीय निकायों की परिषदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। उनकी परिषदों को भंग करके प्रशासक की नियुक्ति कर दी जाएगी। परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के एक हफ्ते पहले परिषद भंग होने की अधिसूचना जारी की जा सकती है। सरकारी सूत्रों का माने तो नगरीय प्रशासन विभाग इस कवायद में जुट गया है।
दरअसल इस सारी कवायद के पीछे यह माना जा रहा है कि प्रदेश की तमाम 16 नगर निगमों में भाजपा का कब्जा है। इसके अलावा ज्यादातर नगरपालिका और नगर परिषद में भी भाजपा का कब्जा है। प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने के बाद कांग्रेस नगरीय निकायों में भाजपा की कब्जे को खत्म करने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में नगरी निकाय चुनाव तय समय पर नहीं कराए गए और चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के पहले नगरीय निकायों में प्रशासक नियुक्त करने की तैयारी चल रही है। नगर निगम में जहां कलेक्टर या कमिश्नर को प्रशासक बनाया जा सकता है. वहीं नगरपालिका में एसडीएम और नगर परिषद में तहसीलदार को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा।


Conclusion:इस बारे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि ज्यादातर नगरीय निकायों में अभी कार्यकाल समाप्त हो रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की है। इस स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि वहां आप क्या व्यवस्था कर रहे हैं और इसका निर्णय सरकार को लेना होता है। सरकार वहां निर्णय लेगी कि नगरीय निकायों में क्या व्यवस्था बनानी है। सामान्य तौर पर तो परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शासन के आदेश पर प्रशासक नगरीय निकायों व्यवस्था संभालते हैं।
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