पन्ना: कंकाली माता शक्तिपीठ पन्ना जिले का अद्भुत मंदिर हैं. यहां माता की लेटी हुई शिशु को स्तनपान कराती प्रतिमा है. ज्यादातर मंदिरों में मां की बैठे हुए या फिर शेर पर सवार मूर्तियां होती हैं. इस शक्तिपीठ की चारों ओर ख्याति विद्यमान है, दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने आते हैं. यहां मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से जन्मों के पाप कट जाते हैं. इस शक्तिपीठ में साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में विशाल मेले का आयोजन होता है. जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
लेटी हुई मुद्रा में माता की प्रतिमा
पन्ना जिले से लगभग 90 किलोमीटर दूर ग्राम मोहंद्रा से होते हुए ग्राम बनौली में मां कंकाली शक्तिपीठ स्थित है. यहां साल के 12 महीनें दूर-दराज से माता के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. शायद यह अपने आप में आकेला मंदिर होगा, जहां माता की लेटी हुई मुद्रा में शिशु को स्तनपान कराती हुई प्रतिमा होगी. चांदी के आभूषणों से सुसज्जित माता की एक झलक पाने के लिए सैकड़ों भक्त प्रतिदिन आते हैं.
दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना
बता दें कि दमोह, पन्ना, सतना और सागर सहित अन्य जिलों से लोग शक्तिपीठ में माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस शक्तिपीठ को लेकर कई मान्यताएं हैं. इनमें से एक मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता के दर्शन कर लेता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. माता की प्रतिमा में एक तरफ गणेश जी और दूसरी तरफ शंकर भगवान की प्रतिमा बनी हुई है. माता की ऐसी प्रतिमा जिले में कहीं और नहीं है.
मंदिर की स्थापना की कहानी
मंदिर के पुजारी हक्कन दास ने बताया कि "आज से लगभग सैकड़ों बरस पहले माता की मूर्ति का सपना बनौली गांव के राय बंधु को आया था. यह प्रतिमा पास में बने गांव के तालाब में मिली थी. वहां पर राय बंधु जाकर प्रतिमा को अपने भैंसे पर रखकर घर की ओर चल दिए थे और यह प्रतिमा जहां आज मंदिर बना हुआ है. यहीं पर भैंसा आकर रुक गया और फिर बहुत उठाने पर भी भैंसा नहीं उठा और माता की मूर्ति यहीं पर स्थापित हो गई. जब से माता की मूर्ति यहीं पर स्थापित है फिर यहीं पर माता का सुंदर और भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया."
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वर्ष में दो बार लगता है मेला
मां कंकाली शक्तिपीठ पर साल में दो बार मेले का आयोजन होता है. इस मेले में हजारों नहीं लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है. मां कंकाली शक्तिपीठ में कई बार कन्या विवाह का भी कार्यक्रम आयोजन किया जा चुका है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शिरकत कर चुके हैं. मेला इतना भव्य होता है कि दूर-दूर से लाखों भक्त यहां पर माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.