भोपाल। ओबीसी आरक्षण को 27 फीसदी किए जाने और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण के संबंध में दायर 70 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मंगलवार को 14% से अधिक के आरक्षण पर लगी रोक के अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है. ऐसे में कांग्रेस ने प्रदेश कि भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार हमेशा से ओबीसी आरक्षण नहीं देने के पक्ष में रही है.
शिवराज सिंह का चेहरा ओबीसी विरोधी
कांग्रेस नेता अरुण यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद ओबीसी से आते हैं, लेकिन वे हमेशा से ओबीसी के लिए आरक्षण पर रोक लगाते आए हैं. इस बार भी हाईकोर्ट में सरकार अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाई, जिसके चलते हाईकोर्ट द्वारा 14% पर करने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री का चेहरा ही ओबीसी विरोधी रहा है, जबकि कांग्रेस हमेशा से ही आरक्षण में 27% करने की वकालत करती रही है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार हमेशा से ही ओबीसी आरक्षण के समर्थन में रही है. प्रदेश में कमलनाथ सरकार आते ही आरक्षण में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण दिया था, जिसे हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया है. मध्य प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्यों में भी ओबीसी का आरक्षण 27% के आसपास है, जिसमें छत्तीसगढ़, गुजरात, तमिलनाडु में 50% तक आरक्षण है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह पिछली बार की तरह ही बना हुआ है.
OBC Reservation पर सुनवाईः HC ने 27% पर रोक बरकरार, आदेश आने तक 14% पर होगी भर्ती
ये रहा जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश
दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट ने 27% आरक्षण पर लगी रोक को बरकरार रखा है. इसके तहत अब प्रदेश में 14% ही आरक्षण रहेगा. अब इस मामले में कोर्ट अंतिम सुनवाई 10 अगस्त 2021 में ही करेगी. हाईकोर्ट का अंतिम आदेश है कि ओबीसी की सभी भर्ती प्रक्रिया 14% आरक्षण के आधार पर ही की जाए. दरअसल, सरकार ने बड़े हुए आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक को समाप्त करने का निवेदन किया था, लेकिन कोर्ट ने उसे हटाने से इनकार कर दिया है.