भोपाल/ग्वालियर। कमलनाथ के इस्तीफे के साथ ही मध्य प्रदेश में 15 महीने की कांग्रेस सरकार गिर गई. कांग्रेस एक बार फिर विपक्ष में बैठेगी. लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी ने आगे की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है. क्योंकि सरकार गिर तो गई है लेकिन बीजेपी की राह भी आसान नहीं है. कांग्रेस नेताओं का दावा है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस फिर वापसी करेगी. यानि कांग्रेस अभी सरेंडर करने के मूड में नहीं है. प्रदेश में सियासी शह मात का खेल अभी जारी रहेगा.
राजनीतिक जानकारों की माने तो जिस तरह से कमलनाथ ने सीएम पद से इस्तीफा देते हुए चेतावनी दी , कि आज के बाद कल भी आता है और कल के बाद परसो भी, उनके इस बयान से प्रदेश के सियासी हलकों में चर्चाएं तो जरुर हैं. क्योंकि कमलनाथ राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं. यानि कांग्रेस ने उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं. सियासी जानकारों की माने तो कांग्रेस नई रणनीति पर काम कर सकती है जो इस तरह हो सकती है.
कांग्रेस के दांव-पेंच
- उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर होगा फोकस
- 15 महीनों के विकास कार्यों के आधार पर लड़ा जाए उपचुनाव
- ग्वालियर-चंबल अंचल में पार्टी का संगठन मजबूत किया जाए
- राज्यसभा चुनाव तक विधायकों को रखा जाए एकजुट
- बीजेपी को उसी की रणनीति से घेरा जाए
कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि पार्टी प्रदेश में वापसी करेगी. जिसके संकेत एमपी कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट से किए गए एक ट्वीट से भी देखने को मिले. इस ट्वीट में लिखा था कि कमलनाथ 15 अगस्त को परेड की सलामी लेंगे और ध्वजारोहण करेंगे. सियासी जानकार कहते है कि कांग्रेस इसलिए भी उम्मीद नहीं छोड़ रही है कि उसे 24 सीटों पर उपचुनाव लड़ना है. अगर पार्टी यहां जीत दर्ज करती है तो उसकी सरकार बनाने की उम्मीदें फिर से जिंदा हो सकती है. यानि पार्टी वापसी की रणनीति पर जुटी है. मतलब भले ही 17 दिन के सियासी ड्रामे में कमलनाथ सरकार गिर गई हो. लेकिन फिक्चर अभी बाकि जरूर रहेगी .