भोपाल। कमलनाथ सरकार मंदिरों की खाली पड़ी जमीन बिल्डरों को देने की तैयारी कर रही है. ताकि इस जमीन पर नेट और कमर्शियल कांपलेक्स बनाकर बेचे जा सकें, जिससे मिलने वाली राशि मंदिर, जिला और राज्य सरकार के देवस्थान कोष में जमा की जाएगी. इसका प्रस्ताव बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में लाया जा सकता है. जिस पर बीजेपी ने विरोध जताया है.
सरकार का कहना है कि वो मंदिरों की प्राइम लोकेशन की जगहों को अतिक्रमण से बचाने के लिए इस तरह का कदम उठा रही है. प्रदेश में कई स्थानों पर मंदिरों की बेशकीमती जमीनों पर कब्जा हो चुका है. सरकार की कई कोशिशों के बाद भी इन जमीनों पर से अतिक्रमण को हटाया नहीं जा सका है. यही वजह है कि सरकार अब मंदिरों की प्राइम लोकेशन की जगह के उपयोग की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार ने इसके लिए सभी जिलों से मंदिरों की जमीनों का रिकॉर्ड मांगा है. सरकार की कोशिश है कि, बिल्डिंग बनाने के लिए जिस प्रमोटर को जमीन दी जाएगी वो उस इमारत को बेच सकेगा, इससे मिलने वाली राशि तीन हिस्सों में बांटी जाएगी .
20 फ़ीसदी हिस्सा मंदिर को मिलेगा, 30 फीसदी राशि जिला स्तर पर देवस्थान कोष और 50 फीसदी राशि राज्य स्तर पर देवस्थान कोष में जमा की जाएगी. सरकार के इस प्रस्ताव का बीजेपी ने विरोध जताया, पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि, सरकार का निर्णय प्रदेश के बड़े-बड़े बिल्डरों को संरक्षण देने का है और पिछले एक साल के दौरान सरकार लगातार ऐसे निर्णय ले रही है, जो हिंदू धर्म के खिलाफ है.