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मध्य प्रदेश में 40 पॉक्सो अदालतों की जरुरत, खुले सिर्फ 28, कैसे होगी सुनवाई ? - मध्य प्रदेश में बढ़ता बाल अपराध

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को प्रदेश में पॉक्सो कोर्ट न खोलने पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. मध्य प्रदेश में दर्ज बाल अपराध के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 40 पॉक्सो कोर्ट की जरुरत है. जबकि प्रदेश में सिर्फ 28 कोर्ट ही खुले हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 तक यह कोर्ट खोलने के निर्देश दिए हैं.

cm kamal nath
सीएम कमलनाथ
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Published : Dec 20, 2019, 3:50 PM IST

Updated : Dec 20, 2019, 7:49 PM IST

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट बाल अपराधों पर सख्त नजर आ रहा है. बाल अपराधों के मामले में लापरवाही बरतने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों को देखते हुए प्रदेश में बाल न्यायालय खोलने के निर्देश दिए थे. जिस पर केंद्र सरकार ने फंड भी रिलीज कर दिया. बावजूद इसके मध्य प्रदेश पॉक्सो कोर्ट खोलने में पीछे रहा.

MP में 40 पॉक्सो अदालतों की जरुरत

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने के साथ जनवरी 2020 तक प्रदेश में पॉक्सो कोर्ट खोलने के निर्देश भी दिए हैं. मध्य प्रदेश के 52 में से 18 जिले ऐसे हैं जहां पॉक्सो एक्ट के तहत 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. तो बाकी के जिलों में ये संख्या 2000 हैं. बाल अपराध के इन मामलों को देखते हुए प्रदेश में 40 पॉक्सो कोर्ट की जरुरत है. लेकिन प्रदेश में केवल 28 पॉक्सो कोर्ट ही चल रहे हैं.

मामले में बाल आयोग के पूर्व अध्यक्ष राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बताता है कि सरकार बाल अपराध पर कितनी लापरवाह है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही विपक्ष ने भी कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा. बता दें कि साल 2016 की एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के साथ हुए अपराधों के 10 लाख 6 हजार 958 मामलें दर्ज हुए थे. जिसमें 3 लाख 6हजार 22 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए. जिनमें अकेले मध्य प्रदेश में 4 हजार 717 मामले दर्ज हुए थे. ऐसे में आप इस बात का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं कि मध्य प्रदेश में बाल अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. अब देखना ये है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश सरकार कब तक प्रदेश में 500 कोर्ट खोल पाती है.

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट बाल अपराधों पर सख्त नजर आ रहा है. बाल अपराधों के मामले में लापरवाही बरतने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों को देखते हुए प्रदेश में बाल न्यायालय खोलने के निर्देश दिए थे. जिस पर केंद्र सरकार ने फंड भी रिलीज कर दिया. बावजूद इसके मध्य प्रदेश पॉक्सो कोर्ट खोलने में पीछे रहा.

MP में 40 पॉक्सो अदालतों की जरुरत

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने के साथ जनवरी 2020 तक प्रदेश में पॉक्सो कोर्ट खोलने के निर्देश भी दिए हैं. मध्य प्रदेश के 52 में से 18 जिले ऐसे हैं जहां पॉक्सो एक्ट के तहत 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. तो बाकी के जिलों में ये संख्या 2000 हैं. बाल अपराध के इन मामलों को देखते हुए प्रदेश में 40 पॉक्सो कोर्ट की जरुरत है. लेकिन प्रदेश में केवल 28 पॉक्सो कोर्ट ही चल रहे हैं.

मामले में बाल आयोग के पूर्व अध्यक्ष राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बताता है कि सरकार बाल अपराध पर कितनी लापरवाह है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही विपक्ष ने भी कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा. बता दें कि साल 2016 की एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के साथ हुए अपराधों के 10 लाख 6 हजार 958 मामलें दर्ज हुए थे. जिसमें 3 लाख 6हजार 22 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए. जिनमें अकेले मध्य प्रदेश में 4 हजार 717 मामले दर्ज हुए थे. ऐसे में आप इस बात का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं कि मध्य प्रदेश में बाल अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. अब देखना ये है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश सरकार कब तक प्रदेश में 500 कोर्ट खोल पाती है.

Intro:सुप्रीम कोर्ट ने बाल अपराधों को लेकर सख्ती दिखाई है और मध्य प्रदेश सरकार पर लापरवाही बरतने के चलते ₹1000000 का जुर्माना भी लगाया है सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों को देखते हुए बाल न्यायालय खोलने के निर्देश दिए थे इसको लेकर साल 2019 में केंद्र सरकार ने इसके लिए फ़ंड रिलीज कर दिया था और सभी राज्यों में पॉक्सो कोर्ट बनाने के निर्देश भी दिए थे लेकिन मध्य प्रदेश पॉक्सो कोर्ट खोलने में पीछे रहा जिसके सुप्रीम कोर्ट ने 19 दिसंबर को मध्य प्रदेश सरकार पर 10 लाख का जुर्माना साथ ही सख्त हिदायत देते हुए जनवरी 2020 तक प्रदेश में पॉक्सो कोर्ट खोलने के निर्देश भी दिए हैं


Body:दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में हो रहे बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों को देखते हुए सभी राज्यों को पॉक्सो कोर्ट खोलने के निर्देश दिए थे मध्य प्रदेश की बात करें तो मध्य प्रदेश में 52 में से 18 जिले ऐसे हैं जहां पॉक्सो एक्ट के तहत 100 से अधिक मामले दर्ज हैं इसके अलावा अन्य जिले ऐसे हैं 20 जहां पर दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज हैं इस हिसाब से प्रदेश में लगभग 40 से ज्यादा विशेष अदालतों की आवश्यकता है और वर्तमान में सिर्फ 28 विशेष अदालत में ही काम कर रही है साल 2016 की एनसीआरबी के अनुसार बच्चों के साथ घटी 106958 घटनाओं में से 36022 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए हैं जिसमें मध्य प्रदेश में 4717 मामले दर्ज हुए हैं


Conclusion:अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मध्य प्रदेश सरकार कब तक प्रदेश में 500 कोर्ट खोल पाती है क्या मध्य प्रदेश सरकार यौन शोषण के मामलों में अपने आंकड़ों में कुछ सुधार कर पाती है या नहीं

बाइट - रामपाल सिंह, पुर्व कानून मंत्री
बाइट-राघवेन्द्र शर्मा, पूर्व बाल आयोग अध्यक्ष म प्र
Last Updated : Dec 20, 2019, 7:49 PM IST
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