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MP में बीजेपी को अपनों की चुनौती, संगठन में दल बदल कर आए लोगों से बीजेपी नेताओं में असंतोष - people changed parties organization bjp

MP बीजेपी में बदलाव से संगठन को मजबूत करने की कवायद है. प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और सीएम शिवराज सिंह बूथ विस्तारक अभियान को लेकर एक्टिव है. लेकिन संगठन में दल बदल कर आने वाले नेताओं से बीजेपी नेताओं में असंतोष है. इस वजह से बीजेपी के अभियान में कई बड़े नेता रस्म अदायगी करते ही नजर आए.

bjp organization challenge of bjp workers
एमपी बीजेपी को अपनों की चुनौती
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Published : Feb 18, 2022, 5:48 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा तेजी से बदल रहा है. संगठन की मजबूती के साथ जमीनी कार्यकर्ता को ताकतवर बनाने के लिए नवाचार भी हो रहे हैं. मगर यह पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा, यही कारण है कि पार्टी को अंदरूनी तौर पर मिलने वाली चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं. प्रदेश में संगठन के मुखिया में हुए बदलाव और बीजेपी की सत्ता में हुई वापसी को दो साल का वक्त हो गया है. इस दौर में पार्टी के चेहरे को बदलने की बयार सी चली है. नए चेहरों को जगह मिल रही है, इस बदलाव से कई लोगों को अपना अस्तित्व तो संकट में नजर आने लगा है. साथ में अपने समर्थकों को स्थापित कर पाना उनके लिए चिंता का सबब बन गया है.

दल बदल कर आए लोगों से बीजेपी नेता नाखुश

बीजेपी के संगठन में प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक पर गठित हुई इकाइयों में नए चेहरों को भरपूर जगह मिली है. तो वहीं कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक भी संगठन में जगह पाने में कामयाब हुए हैं. दल बदल कर आए लोगों को स्थान दिए जाने से बीजेपी के लोगों की हिस्सेदारी पहले के मुकाबले कम हुई है. प्रदेश के बीजेपी संगठन की देश में अलग ही पहचान रही है. वर्तमान में बीजेपी संगठन अपनी जमीन को और पुख्ता करने की कोशिश में लगा है. इसके लिए प्रदेश स्तर पर लगातार नवाचार किए जा रहे हैं और पार्टी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश हो रही हैं. एक तरफ जहां संगठन की कोशिश पार्टी की जमीन को और पुख्ता करने की है, तो वहीं पार्टी के कई प्रमुख नेता जिनमें प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं. वे इन कोशिशों का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हैं.

संगठन को मजबूत करने के लिए बूथ विस्तारक अभियान

प्रदेश में बीजेपी ने बूथ स्तर को नई पहचान दिलाने के साथ उसे मजबूत करने के लिए बूथ विस्तारक अभियान चलाया. इस अभियान का मकसद बूथ के डिजिटलाइजेशन के साथ कार्यकर्ता का फिजिकल वेरिफिकेशन भी करना था. इस अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी सभी पर थी, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इस अभियान के पहले 10 दिन में चार हजार किलोमीटर से ज्यादा का रास्ता सड़क मार्ग से पूरा किया. प्रदेश के लगभग हर हिस्से तक पहुंचने की कोशिश की, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कई बड़े नेता रस्म अदायगी करते ही नजर आए.

MP VYAPAM: फेस सेविंग का नया तरीका, सरकार ने एक बार फिर बदला, बदनाम 'व्यापमं' का नाम, क्या इससे धुल जाएंगे दाग

अभियान में रस्म अदायगी करते नजर आए वरिष्ठ नेता

पार्टी के अंदर खाने चल रही कोशिशों पर गौर करें तो ऐसा नजर आता है कि इस अभियान को ही कई बड़े नेता सफल नहीं होने देना चाहते थे. उनकी कोशिश तो यहां तक थी कि यह अभियान शुरू ही न हो. जब अभियान चला तो उन नेताओं ने बूथ तक पहुंचने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली. परिणामस्वरुप अभियान को छह दिन बढ़ाया गया, फिर भी बड़े नेता अपने क्षेत्र में ही ज्यादा नजर नहीं आए.

बूथ विस्तारक अभियान पर बीजेपी-कांग्रेस में तकरार

बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पार्टी ने 65 हजार बूथ के डिजिटलाइजेशन का जो अभियान शुरू किया था, वह पूरा हो चुका है. कुछ बूथ अलग-अलग कारणों से डिजिटलाइज होने से छूट गए हैं, उन्हें भी डिजिटलाइज करने की प्रक्रिया जारी है. इस अभियान के दौरान जिस नेता को जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसका संबंधित ने पूरी जिम्मेदारी से निर्वाहन किया. बीजेपी के बूथ विस्तारक अभियान से बड़े नेताओं की दूरी को लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसे. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, बीजेपी का बूथ विस्तारक अभियान महाफ्लॉप रहा. इस अभियान में बीजेपी के नेताओं के 100-100 घंटे बूथ पर देने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे. दावा तो यह भी था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम केंद्रीय मंत्री, प्रदेश के सभी मंत्री इस कार्यक्रम में 100-100 घंटे बूथ पर देंगे. इसके बावजूद बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने इस अभियान से दूरी बनाए रखी.

इनपुट - आईएएनएस

भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा तेजी से बदल रहा है. संगठन की मजबूती के साथ जमीनी कार्यकर्ता को ताकतवर बनाने के लिए नवाचार भी हो रहे हैं. मगर यह पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा, यही कारण है कि पार्टी को अंदरूनी तौर पर मिलने वाली चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं. प्रदेश में संगठन के मुखिया में हुए बदलाव और बीजेपी की सत्ता में हुई वापसी को दो साल का वक्त हो गया है. इस दौर में पार्टी के चेहरे को बदलने की बयार सी चली है. नए चेहरों को जगह मिल रही है, इस बदलाव से कई लोगों को अपना अस्तित्व तो संकट में नजर आने लगा है. साथ में अपने समर्थकों को स्थापित कर पाना उनके लिए चिंता का सबब बन गया है.

दल बदल कर आए लोगों से बीजेपी नेता नाखुश

बीजेपी के संगठन में प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक पर गठित हुई इकाइयों में नए चेहरों को भरपूर जगह मिली है. तो वहीं कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक भी संगठन में जगह पाने में कामयाब हुए हैं. दल बदल कर आए लोगों को स्थान दिए जाने से बीजेपी के लोगों की हिस्सेदारी पहले के मुकाबले कम हुई है. प्रदेश के बीजेपी संगठन की देश में अलग ही पहचान रही है. वर्तमान में बीजेपी संगठन अपनी जमीन को और पुख्ता करने की कोशिश में लगा है. इसके लिए प्रदेश स्तर पर लगातार नवाचार किए जा रहे हैं और पार्टी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश हो रही हैं. एक तरफ जहां संगठन की कोशिश पार्टी की जमीन को और पुख्ता करने की है, तो वहीं पार्टी के कई प्रमुख नेता जिनमें प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं. वे इन कोशिशों का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हैं.

संगठन को मजबूत करने के लिए बूथ विस्तारक अभियान

प्रदेश में बीजेपी ने बूथ स्तर को नई पहचान दिलाने के साथ उसे मजबूत करने के लिए बूथ विस्तारक अभियान चलाया. इस अभियान का मकसद बूथ के डिजिटलाइजेशन के साथ कार्यकर्ता का फिजिकल वेरिफिकेशन भी करना था. इस अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी सभी पर थी, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इस अभियान के पहले 10 दिन में चार हजार किलोमीटर से ज्यादा का रास्ता सड़क मार्ग से पूरा किया. प्रदेश के लगभग हर हिस्से तक पहुंचने की कोशिश की, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कई बड़े नेता रस्म अदायगी करते ही नजर आए.

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अभियान में रस्म अदायगी करते नजर आए वरिष्ठ नेता

पार्टी के अंदर खाने चल रही कोशिशों पर गौर करें तो ऐसा नजर आता है कि इस अभियान को ही कई बड़े नेता सफल नहीं होने देना चाहते थे. उनकी कोशिश तो यहां तक थी कि यह अभियान शुरू ही न हो. जब अभियान चला तो उन नेताओं ने बूथ तक पहुंचने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली. परिणामस्वरुप अभियान को छह दिन बढ़ाया गया, फिर भी बड़े नेता अपने क्षेत्र में ही ज्यादा नजर नहीं आए.

बूथ विस्तारक अभियान पर बीजेपी-कांग्रेस में तकरार

बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पार्टी ने 65 हजार बूथ के डिजिटलाइजेशन का जो अभियान शुरू किया था, वह पूरा हो चुका है. कुछ बूथ अलग-अलग कारणों से डिजिटलाइज होने से छूट गए हैं, उन्हें भी डिजिटलाइज करने की प्रक्रिया जारी है. इस अभियान के दौरान जिस नेता को जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसका संबंधित ने पूरी जिम्मेदारी से निर्वाहन किया. बीजेपी के बूथ विस्तारक अभियान से बड़े नेताओं की दूरी को लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसे. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, बीजेपी का बूथ विस्तारक अभियान महाफ्लॉप रहा. इस अभियान में बीजेपी के नेताओं के 100-100 घंटे बूथ पर देने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे. दावा तो यह भी था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम केंद्रीय मंत्री, प्रदेश के सभी मंत्री इस कार्यक्रम में 100-100 घंटे बूथ पर देंगे. इसके बावजूद बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने इस अभियान से दूरी बनाए रखी.

इनपुट - आईएएनएस

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