भोपाल। कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक की प्रक्रिया पूरे देश में शुरु हो चुकी है. अनलॉक में सरकार ने परिवहन सेवाएं भी शुरु कर दी हैं. बावजूद इसके राजधानी भोपाल की सड़कों पर न तो बसें चल रही हैं और न ऑटो, टैक्सी चल रही हैं. जिससे प्रदेश में अब राजस्व की वसूली नहीं हो पा रही है.
प्रदेश में ज्यादातर बसें प्राइवेट बस ऑपरेटर ही संचालित करते हैं. लेकिन प्राइवेट बस ऑपरेटर सरकार से रूठे हुए हैं. उनका कहना है कि पहले सरकार तीन माह का टेक्स माफ करे, फिर प्रदेश में बसों संचालन शुरु किया जाएगा. क्योंकि अभी सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से पर्याप्त सवारी बस में बैठाई नहीं जा सकती. जिसकी वजह से उन्हें नुकसान होगा.
भोपाल में बंद हैं सिटी बसें
बात अगर राजधानी भोपाल की करें तो यहां बीसीएलएल की 200 बसें दौड़ती हैं. जिनके सहारे लोग ऑफिस,स्कूल और कॉलेजों तक पहुंच पाते हैं. ऐसे में जब इन बसों के पहिए थमे हुए हैं तो यात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन बस संचालक ज़िद पर अड़े हुए हैं कि जब तक सरकार टैक्स माफ नहीं करेगी तब तक यात्री बस नहीं चलेगी.
ऑपरेटरों ने बसें चलाने से किया मना
बस संचालकों का कहना है कि पिछले 3 माह से खड़े खड़े बसों में जंग लग चुकी है. बसों के मेंटेनेंस के लिए 25,000 से अधिक खर्चा लगेगा. अगर टैक्स भरना पड़ा तो बस संचालकों को तीन माह का 30000 रुपये टैक्स देना होगा. ऐसे में एक बस को चलाने के लिए अगर 50000 रुपये अपनी जेब से खर्च करने पड़ेंगे तो फिर कोरोना की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बस चलानी पड़े तो इससे अच्छा है कि बसें खड़ी रहें क्योंकि इससे नुकसान ही होगा.
मामले में बीसीएलएल के जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि सरकार के आदेश के बाद भोपाल के केवल एक रूट पर बस चल रही है. जिसमें जहांगीराबाद, चिरायु और भोपाल के मुख्य इलाके आते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यात्री बस की सवारी ही नहीं कर रहे हैं. ऐसे में पेट्रोल डीजल का खर्चा तक नहीं निकल रहा.
लॉकडाउन के बाद अनलॉक वन शुरू होने के बावजूद बसों के पहिए थमने से न केवल लोगों को परेशानियां हो रही है बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकार को बसों के संचालन में कोई उचित कदम उठाना चाहिए. ताकि बसों का संचालन भी शुरू हो सके.