भोपाल। पिछले 3 माह के लॉकडाउन से बस संचालकों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. 3 महीनों से बस में ब्रेक लगे हुए थे, जिसके चलते बसों में जंग लग चुकी है. अब जब इन बसों को चालू किया जाएगा तो एक बस में 25 से 30 हजार की लागत लगेगी जो बस संचालकों के लिए बड़ी रकम है, क्योंकि प्राइवेट बस संचालक महीने भर की इनकम से ही बसों को मैनेज करते हैं. ऐसे में जब सरकार ने बसों को चालू करने की इजाजत दे दी है, तब भी बस संचालक बसों को शुरू नहीं कर रहे हैं, क्योंकि बस संचालक टैक्स फ्री करने की मांग पर अड़े हुए हैं.
बस ऑपरेटरों का कहना है कि जब बस चली ही नहीं तो टैक्स किस बात का. बस संचालक इलियज इस्माइल ने बताया कि 3 महीने तक बस बंद पड़ी थी, ऐसे में जब बसों को चालू करेंगे तो उसमें नए इक्विपमेंट्स लगाने पड़ेंगे, जिससे बस स्मूथली चल सके, लेकिन इसकी लागत 25 से 30 हजार है और सरकार जो टैक्स वसूल रही है, वो 40 हजार से अधिक टैक्स एक बस पर देना पड़ेगा.
प्रदेशभर में प्राइवेट बसों की संख्या लाखों में है. वहीं राजधानी भोपाल की अगर हम बात करें तो 33 हजार बसें राजधानी में दौड़ती हैं जिसमें 15 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं. बसों में ब्रेक लगे होने की वजह से यात्रियों को तो नुकसान हो ही रहा है, वहीं कंडक्टर और ड्राइवर की हालत भी बद से बदतर हो चुकी है. 3 महीने तक जब लॉकडाउन रहा तब आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और जब अनलॉक वन में सरकार ने बसों को चलाने की इजाजत दे दी है, बावजूद इसके बस संचालक बसों को नहीं चला रहे हैं, तो उन बसों में काम करने वाले ड्राइवर और कंडक्टर भी सड़क पर आ गए हैं.
हालांकि, सरकार ने टैक्स में कुछ छूट देने की बात जरूर कही थी, लेकिन अनलॉक 1 को हुए भी दो हफ्तों से ज्यादा का समय बीत चुका है और सरकार ने अब तक बस संचालकों को कोई राहत भरी खबर नहीं दी है, जिससे बस संचालकों में आक्रोश है और बस संचालक बसों में ब्रेक लगाकर बैठे हुए हैं. अब देखना होगा कि सरकार और बस संचालकों के बीच की लड़ाई कब खत्म होगी और यात्रियों को कब राहत मिलेगी, साथ ही जो बस कंडक्टर और ड्राइवर सफर कर रहे हैं उन्हें कब खुशखबरी मिलेगी.