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Black fungus: कैसे बचें, अगर संक्रमित हुए तो कहां मिलेगी दवा, जानिए सबकुछ यहां - एमपी में ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस के लिए जरूरी दवा के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट सरकार ने तय कर दिए हैं.

black fungus injection black marketing in mp
ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय
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Published : May 18, 2021, 5:43 PM IST

भोपाल। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस बीमारी लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रही है. मध्यप्रदेश में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है. इसके लिए बाजार में उपलब्ध जरूरी दवाओं की ब्लैक मार्किटिंग भी जमकर हो रही है. 2500 से 3 हजार रुपए तक की कीमत में मिलने वाला इंजेक्शन 12 से 15 हजार रुपए तक मिल रहा है. जिसे लेकर सरकार ने सख्ती दिखाई है और जरूरी निर्देश भी जारी किए हैं. ईटीवी भारत आपको बता रहा है, क्या है ब्लैक फंगस, किन लोगों को बनाता है अपना शिकार और कैसे आप कुछ उपायों को अपना कर इससे बच सकते हैं. जानिए ब्लैक फंगस के बारे में सब कुछ.

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ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय

क्या है ब्लैक फंगस

यह एक ऐसा फंगस इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है, जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है.

कहां करता है अटैक

म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आंख सहित चेहरे का बड़ा हिस्‍सा नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है. डॉक्टरों के मुताबिक अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मरीज की मौत भी हो सकती है. यह इन्फेक्शन साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेता है. इसके बाद शरीर में फैल जाता है. इसे रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा तक निकालना पड़ता है.

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ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय

कैसे बनाता है शिकार

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से व्यक्ति ब्लैक फंगल के इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.

ब्लैक फंगस के लक्षण

बुखार आना, सर दर्द होना, खांसी आना या सांस फूलना, आंखों में लालपन या आंख में दर्द होना, आंख में सूजन आ जाए या आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखाई देना बंद हो जाए, चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्नपन हो, दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करें, उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए

कैसे होते हैं ब्लैक फंगस के शिकार

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस बीमारी म्यूकरमाइसिटीज नामक फंगस से होती है. यह फंगस हमारे वातावरण जैसे हवा, नमी वाली जगह, मिट्टी, गिली लकड़ी और सीलन भरे कमरों आदि में पाई जाती है. स्वस्थ लोगों को यह फंगस कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है लेकिन जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें इस फंगस से इंफेक्शन का खतरा है.

इस तरह करे ब्लैक फंगस से बचाव

  • ब्लैक फंगस से बचने के लिए हमेशा मास्क पहनकर रखे, भीड़भाड़ वाली और धूल भरी जगहों पर जाने से बचें.
  • गीली मिट्टी, खाद, कीचड़ वाली जगहों पर अपने आप को सुरक्षित करके जाएं. फुल स्लीव शर्ट पहने और साफ सफाई का ख्याल रखें.
  • डायिबटीज पर नियंत्रण रखें, कोरोना से रिकवर होने के बाद अपने शुगर लेवल को मॉनिटर करते रहें.
  • एंटीबायोटिक और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के सलाह लेने पर ही करें.
  • ब्लैक फंगस के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करें बंद नाक वाली स्थिति को बैरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें.
  • ब्लैक फंगस मरीज की आंख, नाक और जबड़े को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए लक्षण आने पर समय रहते इसका इलाज करें.

किन लोगों के लिए घातक है ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस ऐसे लोगों पर खासतौर पर असर डालता है, जिनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी कमजोर होती है. मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों के लिए आमतौर पर ब्लैक फंगस खास खतरा नहीं होता है.

फंगस इन्फेक्शन पहले बहुत कम होते थे.यह उन लोगों में दिखता था जिनका शुगर बहुत ज्यादा हो, इम्युनिटी बहुत कम हो या कैंसर के ऐसे पेशंट्स हैं जो कीमोथैरपी पर हैं, लेकिन अब इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैं.

रणदीप गुलेरिया ,एम्स के डायरेक्टर

फंगल इंफेक्शन का क्या है उपचार

किसी मरीज में ब्लैक फंगस का संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से भी शुरू होता है, जो शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. इसके उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है. कुछ मरीजों में के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख निकालना पड़ जाता है. इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है।

डाइबिटीज वालों को ज्यादा खतरा

  • मधुमेह (डायबिटीज) से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा होता है. इससे बचने के लिए शुगर कंट्रोल में रखने की कोशिश होनी चाहिए.
  • स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है. जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है.
  • कोरोना से उबरने के बाद लोगों को ब्लैक फंगस के लक्षणों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए.
  • इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का उचित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए.
  • बीमारी के लक्षणों का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है.

ब्लैक फंगस के लिए 'रामबाण' है इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल इंजेक्शन

  • कोरोना संक्रमण के बाद कई मरीजों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल (Amphotericin B Lyposomal) इंजेक्शन इसके इलाज में काफी कारगर है.
  • यह एक एंटी फंगल इंजेक्शन है जो शरीर में फंगस की ग्रोथ को रोक देता है, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा खत्म हो जाता है.
  • इस इंजेक्शन को मरीज को रोजाना लगाने की जरूरत पड़ती है और 15-20 दिन तक इस इंजेक्शन की डोज देने पड़ती है.
  • इस इंजेक्शन की भारतीय बाजार में कीमत 2500 से 3000 की करीब थी लेकिन आजकल इस इंजेक्शन की काफी मांग है, इसलिए बाजार में इसकी कमी भी देखी जा रही है. जिसके बाद मार्केट में इसकी कालाबाजारी भी बढ़ गई है. लोगों से इस इंजेक्शन के लिए 12 से 15 हजार रुपए तक कीमत वसूली जा रही है.
  • इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के इस इंजेक्शन का इस्तेमाल ना करें.

सरकार ने तय किए रेट

ब्लैक फंगस के लिए जरूरी दवा के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय कर दिए हैं. जिनमें अलग -अलग मेडिकल कंपनियों के इंजेक्शन की कीमत

सनफार्मा : 4792 रुपए

माईलान : 6248 रुपए

भारत सीरम : 5788 रुपए

सीधे अस्पताल से मिलेंगे इंजेक्शन

मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीज बढ़ने और इसकी दवा एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए फूड एंड ड्रग विभाग ने निर्देश जारी किए हैं

  • इसके मुताबिक बाजार में खुदरा दवा दुकानदार ये इंजेक्शन नहीं बेच सकेंगे.
  • होल सेलर या स्टॉकिस्ट सीधे अस्पतालों को ही इंजेक्शन उपलब्ध कराएंगे.
  • ड्रग कंट्रोलर पी नरहरि ने प्रदेश के सभी ड्रग इंस्पेक्टर, सी एंड एफ/ स्टॉकिस्ट/होलसेलर/डिस्ट्रिब्यूटर/दवा विक्रेताओं को इस संबंध में नोटिस जारी कर दिया है.

कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने जारी किए निर्देश

  • एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का उपयोग गंभीर मरीजों के इलाज में डॉक्टरों की निगरानी में किया जाएगा.
  • निर्माता कंपनी से इंजेक्शन, सीए एंड एफ से होलसेलर और स्टॉकिस्ट को उपलब्ध कराया जाएगा, जो अस्पतालों और नर्सिंग होम को इंजेक्शन देंगे.
  • सीएंडएफ और स्टॉकिस्ट की जिम्मेदारी होगी कि वह होलसेलर को बराबर अनुपात में इंजेक्शन देंगे.
  • होलसेलर अस्पतालों और नर्सिंग होम को मरीजों की संख्या के अनुपात में इंजेक्शन देंगे.
  • सीएंडएफ और स्टॉकिस्ट प्रतिदिन के इंजेक्शन विक्रय की जानकारी संबंधित ड्रग इंस्पेक्टर को उपलब्ध कराएंगे जिसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर उसी दिन ड्रग नियंत्रक कार्यालय को इसकी जानकारी भजेंगे।

कहां कितने इंजेक्शन आए

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के सचिव आकाश त्रिपाठी ने बताया कि इस बीमारी के इलाज के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा मेडिकल कॉलेज में विशेष यूनिट बनाई गई हैं.

  • इंजेक्शन की जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार ने भारत सरकार से कुछ और मात्रा में यह इंजेक्शन खरीदे हैं.राज्य सरकार ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर के लिए 2 हजार इंजेक्शन मंगाए हैं.
  • सोमवार को 600 इंजेक्शन इंदौर के एमवाय अस्पताल और 300 इंजेक्शन हमीदिया के गांधी मेडिकल कॉलेज को मिले हैं.
  • 300 में भी 80 इंजेक्शन निजी अस्पतालों के लिए रिजर्व रखे हैं. ब्लैक फंगस के एक मरीज को एक दिन में कम से कम चार डोज लगती हैं.

कब और कैसे होती है इंजेक्शन की जरूरत

  • ब्लैक फंगस के मरीज की सर्जरी के बाद एक हफ्ते एंफोटेरिसिन देना जरूरी है.
  • इसके बाद मरीज का सीआरपी टेस्ट कराते हैं. रिपोर्ट में सी-रिएक्टिव प्रोटीन लेवल सामान्य आने पर दूसरी दवाओं पर उसे शिफ्ट करते हैं.
  • प्रोटीन लेवल हाई आता है तो 7 दिन तक फिर ये इंजेक्शन दिए जाते हैं.
  • किस मरीज को दिन में कितने डोज लगेंगे, ये उसके वजन से तय होता है. ब्लैक फंगस से पीडि़त मरीज को रोज 4 से 6 इंजेक्शन लगते हैं.

एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में ब्लैक फंगस या इससे मिलते जुलते इंफेक्शन के 450 के आसपास मामले सामने आए हैं. इस हिसाब से फिलहाल इंजेक्शन के 1600 डोज की जरूरत है. फिलहाल मौजूद स्टॉक के मुताबिक मध्यप्रदेश में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. राज्य सरकार इस कमी को दूर करने के लिए लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है.

भोपाल। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस बीमारी लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रही है. मध्यप्रदेश में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है. इसके लिए बाजार में उपलब्ध जरूरी दवाओं की ब्लैक मार्किटिंग भी जमकर हो रही है. 2500 से 3 हजार रुपए तक की कीमत में मिलने वाला इंजेक्शन 12 से 15 हजार रुपए तक मिल रहा है. जिसे लेकर सरकार ने सख्ती दिखाई है और जरूरी निर्देश भी जारी किए हैं. ईटीवी भारत आपको बता रहा है, क्या है ब्लैक फंगस, किन लोगों को बनाता है अपना शिकार और कैसे आप कुछ उपायों को अपना कर इससे बच सकते हैं. जानिए ब्लैक फंगस के बारे में सब कुछ.

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ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय

क्या है ब्लैक फंगस

यह एक ऐसा फंगस इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है, जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है.

कहां करता है अटैक

म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आंख सहित चेहरे का बड़ा हिस्‍सा नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है. डॉक्टरों के मुताबिक अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मरीज की मौत भी हो सकती है. यह इन्फेक्शन साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेता है. इसके बाद शरीर में फैल जाता है. इसे रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा तक निकालना पड़ता है.

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ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय

कैसे बनाता है शिकार

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से व्यक्ति ब्लैक फंगल के इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.

ब्लैक फंगस के लक्षण

बुखार आना, सर दर्द होना, खांसी आना या सांस फूलना, आंखों में लालपन या आंख में दर्द होना, आंख में सूजन आ जाए या आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखाई देना बंद हो जाए, चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्नपन हो, दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करें, उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए

कैसे होते हैं ब्लैक फंगस के शिकार

ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस बीमारी म्यूकरमाइसिटीज नामक फंगस से होती है. यह फंगस हमारे वातावरण जैसे हवा, नमी वाली जगह, मिट्टी, गिली लकड़ी और सीलन भरे कमरों आदि में पाई जाती है. स्वस्थ लोगों को यह फंगस कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है लेकिन जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें इस फंगस से इंफेक्शन का खतरा है.

इस तरह करे ब्लैक फंगस से बचाव

  • ब्लैक फंगस से बचने के लिए हमेशा मास्क पहनकर रखे, भीड़भाड़ वाली और धूल भरी जगहों पर जाने से बचें.
  • गीली मिट्टी, खाद, कीचड़ वाली जगहों पर अपने आप को सुरक्षित करके जाएं. फुल स्लीव शर्ट पहने और साफ सफाई का ख्याल रखें.
  • डायिबटीज पर नियंत्रण रखें, कोरोना से रिकवर होने के बाद अपने शुगर लेवल को मॉनिटर करते रहें.
  • एंटीबायोटिक और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के सलाह लेने पर ही करें.
  • ब्लैक फंगस के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करें बंद नाक वाली स्थिति को बैरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें.
  • ब्लैक फंगस मरीज की आंख, नाक और जबड़े को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए लक्षण आने पर समय रहते इसका इलाज करें.

किन लोगों के लिए घातक है ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस ऐसे लोगों पर खासतौर पर असर डालता है, जिनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी कमजोर होती है. मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों के लिए आमतौर पर ब्लैक फंगस खास खतरा नहीं होता है.

फंगस इन्फेक्शन पहले बहुत कम होते थे.यह उन लोगों में दिखता था जिनका शुगर बहुत ज्यादा हो, इम्युनिटी बहुत कम हो या कैंसर के ऐसे पेशंट्स हैं जो कीमोथैरपी पर हैं, लेकिन अब इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैं.

रणदीप गुलेरिया ,एम्स के डायरेक्टर

फंगल इंफेक्शन का क्या है उपचार

किसी मरीज में ब्लैक फंगस का संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से भी शुरू होता है, जो शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. इसके उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है. कुछ मरीजों में के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख निकालना पड़ जाता है. इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है।

डाइबिटीज वालों को ज्यादा खतरा

  • मधुमेह (डायबिटीज) से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा होता है. इससे बचने के लिए शुगर कंट्रोल में रखने की कोशिश होनी चाहिए.
  • स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है. जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है.
  • कोरोना से उबरने के बाद लोगों को ब्लैक फंगस के लक्षणों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए.
  • इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का उचित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए.
  • बीमारी के लक्षणों का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है.

ब्लैक फंगस के लिए 'रामबाण' है इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल इंजेक्शन

  • कोरोना संक्रमण के बाद कई मरीजों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल (Amphotericin B Lyposomal) इंजेक्शन इसके इलाज में काफी कारगर है.
  • यह एक एंटी फंगल इंजेक्शन है जो शरीर में फंगस की ग्रोथ को रोक देता है, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा खत्म हो जाता है.
  • इस इंजेक्शन को मरीज को रोजाना लगाने की जरूरत पड़ती है और 15-20 दिन तक इस इंजेक्शन की डोज देने पड़ती है.
  • इस इंजेक्शन की भारतीय बाजार में कीमत 2500 से 3000 की करीब थी लेकिन आजकल इस इंजेक्शन की काफी मांग है, इसलिए बाजार में इसकी कमी भी देखी जा रही है. जिसके बाद मार्केट में इसकी कालाबाजारी भी बढ़ गई है. लोगों से इस इंजेक्शन के लिए 12 से 15 हजार रुपए तक कीमत वसूली जा रही है.
  • इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं. इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के इस इंजेक्शन का इस्तेमाल ना करें.

सरकार ने तय किए रेट

ब्लैक फंगस के लिए जरूरी दवा के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन बी लाइपोसोमल के रेट तय कर दिए हैं. जिनमें अलग -अलग मेडिकल कंपनियों के इंजेक्शन की कीमत

सनफार्मा : 4792 रुपए

माईलान : 6248 रुपए

भारत सीरम : 5788 रुपए

सीधे अस्पताल से मिलेंगे इंजेक्शन

मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीज बढ़ने और इसकी दवा एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए फूड एंड ड्रग विभाग ने निर्देश जारी किए हैं

  • इसके मुताबिक बाजार में खुदरा दवा दुकानदार ये इंजेक्शन नहीं बेच सकेंगे.
  • होल सेलर या स्टॉकिस्ट सीधे अस्पतालों को ही इंजेक्शन उपलब्ध कराएंगे.
  • ड्रग कंट्रोलर पी नरहरि ने प्रदेश के सभी ड्रग इंस्पेक्टर, सी एंड एफ/ स्टॉकिस्ट/होलसेलर/डिस्ट्रिब्यूटर/दवा विक्रेताओं को इस संबंध में नोटिस जारी कर दिया है.

कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने जारी किए निर्देश

  • एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का उपयोग गंभीर मरीजों के इलाज में डॉक्टरों की निगरानी में किया जाएगा.
  • निर्माता कंपनी से इंजेक्शन, सीए एंड एफ से होलसेलर और स्टॉकिस्ट को उपलब्ध कराया जाएगा, जो अस्पतालों और नर्सिंग होम को इंजेक्शन देंगे.
  • सीएंडएफ और स्टॉकिस्ट की जिम्मेदारी होगी कि वह होलसेलर को बराबर अनुपात में इंजेक्शन देंगे.
  • होलसेलर अस्पतालों और नर्सिंग होम को मरीजों की संख्या के अनुपात में इंजेक्शन देंगे.
  • सीएंडएफ और स्टॉकिस्ट प्रतिदिन के इंजेक्शन विक्रय की जानकारी संबंधित ड्रग इंस्पेक्टर को उपलब्ध कराएंगे जिसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर उसी दिन ड्रग नियंत्रक कार्यालय को इसकी जानकारी भजेंगे।

कहां कितने इंजेक्शन आए

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के सचिव आकाश त्रिपाठी ने बताया कि इस बीमारी के इलाज के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा मेडिकल कॉलेज में विशेष यूनिट बनाई गई हैं.

  • इंजेक्शन की जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार ने भारत सरकार से कुछ और मात्रा में यह इंजेक्शन खरीदे हैं.राज्य सरकार ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर के लिए 2 हजार इंजेक्शन मंगाए हैं.
  • सोमवार को 600 इंजेक्शन इंदौर के एमवाय अस्पताल और 300 इंजेक्शन हमीदिया के गांधी मेडिकल कॉलेज को मिले हैं.
  • 300 में भी 80 इंजेक्शन निजी अस्पतालों के लिए रिजर्व रखे हैं. ब्लैक फंगस के एक मरीज को एक दिन में कम से कम चार डोज लगती हैं.

कब और कैसे होती है इंजेक्शन की जरूरत

  • ब्लैक फंगस के मरीज की सर्जरी के बाद एक हफ्ते एंफोटेरिसिन देना जरूरी है.
  • इसके बाद मरीज का सीआरपी टेस्ट कराते हैं. रिपोर्ट में सी-रिएक्टिव प्रोटीन लेवल सामान्य आने पर दूसरी दवाओं पर उसे शिफ्ट करते हैं.
  • प्रोटीन लेवल हाई आता है तो 7 दिन तक फिर ये इंजेक्शन दिए जाते हैं.
  • किस मरीज को दिन में कितने डोज लगेंगे, ये उसके वजन से तय होता है. ब्लैक फंगस से पीडि़त मरीज को रोज 4 से 6 इंजेक्शन लगते हैं.

एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में ब्लैक फंगस या इससे मिलते जुलते इंफेक्शन के 450 के आसपास मामले सामने आए हैं. इस हिसाब से फिलहाल इंजेक्शन के 1600 डोज की जरूरत है. फिलहाल मौजूद स्टॉक के मुताबिक मध्यप्रदेश में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. राज्य सरकार इस कमी को दूर करने के लिए लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है.

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