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MP में उपचुनाव के ग्राउंड मैनेजमेंट में जुटी पार्टियां, BJP ने निकाला चुनाव आचार संहिता का तोड़, पड़ोसी जिलों में यात्राएं और आदिवासी महाकुंभ का होगा आयोजन

एमपी में जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनकी सर्वे रिपोर्ट से परेशान सत्ताधारी पार्टी ने इसका तोड़ निकाल लिया है. आपको बतादें कि उपचुनाव और 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनावों को लेकर बीजेपी का पूरा फोकस ओबीसी और 22 फीसदी आदिवासी आबादी को रिझाने को लेकर जिसके लिए पार्टी महाकुंभ के जरिए आदिवासी वर्ग को लुभाने की रणनीति बना चुकी है.

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MP में उपचुनाव के ग्राउंड मैनेजमेंट में जुटी पार्टियां
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Published : Oct 1, 2021, 10:42 PM IST

भोपाल। प्रदेश में उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लग गई है. जिसके मुताबिक अब कोई लोक लुभावनी या मतदाताओं की प्रभावित करने वाली योजनाओं की घोषणा नहीं की जा सकती, लेकिन जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनकी सर्वे रिपोर्ट से परेशान सत्ताधारी पार्टी ने इसका तोड़ निकाल लिया है. आपको बतादें कि उपचुनाव और 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनावों को लेकर बीजेपी का पूरा फोकस ओबीसी और 22 फीसदी आदिवासी आबादी को रिझाने को लेकर जिसके लिए पार्टी महाकुंभ के जरिए आदिवासी वर्ग को लुभाने की रणनीति बना चुकी है.

MP में उपचुनाव के ग्राउंड मैनेजमेंट में जुटी पार्टियां


खंडवा ,जोबट और पृथ्वीपुर पर भाजपा की नज़र
मध्य प्रदेश की 4 सीटों पर उपचुनाव तीन विधानसभा और एक लोकसभा उप चुनाव का शंखनाद होते ही बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति और मैदानी मैनेजमेंट पर काम शुरू कर दिया है, लेकिन उपचुनाव की वोटिंग से पहले आदिवासी वर्ग में पार्टी की पैठ बढ़ाने, जोबट और पृथ्वीपुर सीट कांग्रेस के हाथ से छीनने के लिए रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी की मैनेजमेंट टीम ने काम तो शुरू कर दिया है लेकिन भीड़ जुटाने के मामले में आचार संहिता और कोरोना गाइड लाइन आड़े आ रही है. जिसके लिए पार्टी के रणनीतिकारों ने एक प्लान बनाया है. जिसमें

- बीजेपी को हर हाल में आदिवासी बहुल सीट जोबट हासिल करनी है. इसके लिए जोबट के पड़ोसी जिले बड़वानी झाबुआ और धार में बैठकर चुनावी गतिविधियां संचालित करने की योजना बनाई गई है.

- सत्ताधारी पार्टी महाकुंभ और आदिवासी क्षेत्रों में यात्राएं करेगी और आसपास के जिलों में मुख्यमंत्री बड़ी घोषणाएं कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएंगे.

- पार्टी के मैदानी मैनेजरों ने उपचुनाव से लगे क्षेत्रों में बड़ी बड़ी सभाएं और यात्राएं निकालने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.

- पार्टी का मानना है कि हम उसी क्षेत्र में प्रोटोकॉल के तहत सभाएं करेंगे जहां जन कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जानी है. इन योजनाओं से गरीब का हित होना है, इसके लिए जगह का चयन करने की जिम्मेदारी सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों की है. बीजेपी में सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों का मानना है कि ऐसा करने से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन भी नहीं होगा.


घोषणाओं और जनदर्शन से बनाया जा रहा है माहौल
उप चुनाव की घोषणा होने के पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इन क्षेत्रों का दौरा किया था जहां उपचुनाव होना है. इस दौरान ताबड़तोड़ एलान भी किए गए साथ ही घोषणाओं की मॉनिटरिंग कराए जाने की बात भी कही गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अपनी जनदर्शन यात्राओं और सभाओं के जरिए इन क्षेत्रों में माहौल बना रहे हैं. आपको बता दें कि जिन सीटों पर उपचुनाव होना है वे कोराना से या इस दौरान हुई नेताओं की मौत से खाली हुई हैं.

कांग्रेस का आरोप प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रही है बीजेपी
बीजेपी की तैयारियां तेज हैं तो दूसरी तरफ फिलहाल मैदान में दिखाई नहीं दे रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमनलाथ हाल ही में अपना इलाज कराने अमेरिका गए हुए थे. वहां से लौटकर वे फिर से प्रदेश में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं. संभवत: 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर प्रदेश में होने वाले कुछ कार्यक्रमों में वे शिरकत कर सकते हैं. कमलनाथ आदिवासी संगठनों से पहले मुलाकात कर चुके हैं और अब उन्होंने 90 आदिवासी संगठनों से मुलाकात का समय रखा गया है. इस दौरान भाजपा की रणनीति को देखते हुए और जिन सीटों पर उपचुनाव होने के उसके पास के इलाकों में सभा करने और घोषणाएं करने को लेकर कांग्रेस सीधे तौर पर सत्ताधारी पार्टी पर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाएंगे, आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि बीजेपी जीत के लिए शॉर्टकट ढूंढ रही है लेकिन जनता हकीकत जानती है. कांग्रेस का दावा है की बीजेपी कितनी भी कोशिश कर ले जीत कांग्रेस की होगी.


लोकसभा सीट खंडवा पर खास फोकस
खंडवा संसदीय क्षेत्र में 4 जिले शामिल है खंडवा, खरगोन, देवास और बुरहानपुर. इसके अलावा जोबट, रैगांव, पृथ्वीपुर में विधानसभा उपचुनाव हैं. इनके करीबी अलीराजपुर, सतना, निवाड़ी जिलों में आचार संहिता लागू है. बीजेपी के बड़े नेता, पार्टी पदाधिकारी और संगठन से जुड़े लोग अपनी रणनीति के मुताबिक चुनावी प्रबंधन और प्रचार के लिए इनके सीमावर्ती जिलों में अपना डेरा डालेंगे, इस तरह वे आचार संहिता के उल्लंघन से भी बचे रहेंगे और चुनावी प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियो और प्रचार में सक्रियता भी बनी रहेगी.

- खंडवा की 8 सीटों में से अभी 5 सीट पर भाजपा 2 पर कांग्रेस और 1 पर निर्दलीय( कांग्रेस के बागी) काबिज हैं,
- मार्च 2020 की सियासी उठापटक में नेपानगर विधायक सुमित्रा कस्डेकर और मांधाता के नारायण पटेल कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं.

- बड़वाह, पंधाना , भीकनगांव और बुरहानपुर पारंपरिक रूप से कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं, वहीं बागली खंडवा और नेपानगर भाजपा के गढ़ माने जाते हैं ,

बीजेपी ने की आदिवासी महाकुंभ की तैयारी
भाजपा भोपाल और बड़वानी में व्यापक स्तर पर आदिवासी महाकुंभ के आयोजन तैयारी में है, महाकुंभ में हजारों की संख्या में आदिवासियों को बुलाकर बड़ी सभाएं भी की जाएंगी. जिससे उपचुनाव के साथ मिशन 2023 को भी साधा जाएगा. बीजेपी का प्लान यह है की आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में यात्रा और उप यात्राएं निकाली जाएंगी जिसमें वरिष्ठ नेता रोड शो करते हुए दिखाई देंगे. इसके अलावा भोपाल में आदिवासी महाकुंभ बुलाने जाने की भी योजना है. ऐसा करने से देश भर को यह संदेश जाएगा कि मध्य प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार आदिवासियों के हित के लिए बहुत काम कर रही है. 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती पर महाकुंभ आयोजन करने की तैयारी है जिसमें शामिल होने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान गुरूवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी को न्योता दे चुके हैं.

विधानसभा सीटों का यह है जाति का गणित
पृथ्वीपुर- यादव ब्राह्मण और कुशवाहा जाति की वोटर सबसे ज्यादा है. दलितों का वोट भी निर्णायक रहता है.
खंडवा और जोबट - आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में चुनाव मैदान में जयस (जय आदिवासी युवा संघठन) की मौजूदगी बीजेपी को नुकसान होगा. जोबट में आदिवासियों की आबादी 97.5 है.
रैगांव - यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां 10 में से 5 बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की है. 2 बार इस सीट पर कांग्रेस का भी कब्जा रहा है जबकि 1 बार बसपा ने भी बाजी मारी है. यहां पर अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग के मतदाता भी हैं और सवर्ण वोटरों की भी अच्छी खासी तादाद है.

कांग्रेस को जयस और गोंडवाना पार्टी का समर्थन
बात आदिवासियों को अपना बनाने की हो खंडवा संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में चार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है आदिवासी वोटर्स को रिझाने के लिए दोनों दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं एक तरफ जहां मुख्यमंत्री उनके बीच जाकर उनके लिए बनाई गई योजनाओं को बताते हैं तो वही कमलनाथ अलग-अलग संगठनों से बातचीत कर रहे हैं इसके साथ ही जयस और गोंडवाना पार्टी ने भी कांग्रेस से हाथ मिला लिया है. सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे इस उपचुनाव की हार जीत से 2023 की तस्वीर क्या हो सकती है दोनों ही दलों को इस बात का कुछ-कुछ अंदाजा तो हो ही जाएगा साथ ही एक बार और साफ हो जाएगी कि आदिवासी समुदाय का झुकाव किस तरह है.

भोपाल। प्रदेश में उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लग गई है. जिसके मुताबिक अब कोई लोक लुभावनी या मतदाताओं की प्रभावित करने वाली योजनाओं की घोषणा नहीं की जा सकती, लेकिन जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनकी सर्वे रिपोर्ट से परेशान सत्ताधारी पार्टी ने इसका तोड़ निकाल लिया है. आपको बतादें कि उपचुनाव और 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनावों को लेकर बीजेपी का पूरा फोकस ओबीसी और 22 फीसदी आदिवासी आबादी को रिझाने को लेकर जिसके लिए पार्टी महाकुंभ के जरिए आदिवासी वर्ग को लुभाने की रणनीति बना चुकी है.

MP में उपचुनाव के ग्राउंड मैनेजमेंट में जुटी पार्टियां


खंडवा ,जोबट और पृथ्वीपुर पर भाजपा की नज़र
मध्य प्रदेश की 4 सीटों पर उपचुनाव तीन विधानसभा और एक लोकसभा उप चुनाव का शंखनाद होते ही बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति और मैदानी मैनेजमेंट पर काम शुरू कर दिया है, लेकिन उपचुनाव की वोटिंग से पहले आदिवासी वर्ग में पार्टी की पैठ बढ़ाने, जोबट और पृथ्वीपुर सीट कांग्रेस के हाथ से छीनने के लिए रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी की मैनेजमेंट टीम ने काम तो शुरू कर दिया है लेकिन भीड़ जुटाने के मामले में आचार संहिता और कोरोना गाइड लाइन आड़े आ रही है. जिसके लिए पार्टी के रणनीतिकारों ने एक प्लान बनाया है. जिसमें

- बीजेपी को हर हाल में आदिवासी बहुल सीट जोबट हासिल करनी है. इसके लिए जोबट के पड़ोसी जिले बड़वानी झाबुआ और धार में बैठकर चुनावी गतिविधियां संचालित करने की योजना बनाई गई है.

- सत्ताधारी पार्टी महाकुंभ और आदिवासी क्षेत्रों में यात्राएं करेगी और आसपास के जिलों में मुख्यमंत्री बड़ी घोषणाएं कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएंगे.

- पार्टी के मैदानी मैनेजरों ने उपचुनाव से लगे क्षेत्रों में बड़ी बड़ी सभाएं और यात्राएं निकालने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.

- पार्टी का मानना है कि हम उसी क्षेत्र में प्रोटोकॉल के तहत सभाएं करेंगे जहां जन कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जानी है. इन योजनाओं से गरीब का हित होना है, इसके लिए जगह का चयन करने की जिम्मेदारी सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों की है. बीजेपी में सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों का मानना है कि ऐसा करने से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन भी नहीं होगा.


घोषणाओं और जनदर्शन से बनाया जा रहा है माहौल
उप चुनाव की घोषणा होने के पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इन क्षेत्रों का दौरा किया था जहां उपचुनाव होना है. इस दौरान ताबड़तोड़ एलान भी किए गए साथ ही घोषणाओं की मॉनिटरिंग कराए जाने की बात भी कही गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अपनी जनदर्शन यात्राओं और सभाओं के जरिए इन क्षेत्रों में माहौल बना रहे हैं. आपको बता दें कि जिन सीटों पर उपचुनाव होना है वे कोराना से या इस दौरान हुई नेताओं की मौत से खाली हुई हैं.

कांग्रेस का आरोप प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रही है बीजेपी
बीजेपी की तैयारियां तेज हैं तो दूसरी तरफ फिलहाल मैदान में दिखाई नहीं दे रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमनलाथ हाल ही में अपना इलाज कराने अमेरिका गए हुए थे. वहां से लौटकर वे फिर से प्रदेश में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं. संभवत: 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर प्रदेश में होने वाले कुछ कार्यक्रमों में वे शिरकत कर सकते हैं. कमलनाथ आदिवासी संगठनों से पहले मुलाकात कर चुके हैं और अब उन्होंने 90 आदिवासी संगठनों से मुलाकात का समय रखा गया है. इस दौरान भाजपा की रणनीति को देखते हुए और जिन सीटों पर उपचुनाव होने के उसके पास के इलाकों में सभा करने और घोषणाएं करने को लेकर कांग्रेस सीधे तौर पर सत्ताधारी पार्टी पर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाएंगे, आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगा रही है. उसका कहना है कि बीजेपी जीत के लिए शॉर्टकट ढूंढ रही है लेकिन जनता हकीकत जानती है. कांग्रेस का दावा है की बीजेपी कितनी भी कोशिश कर ले जीत कांग्रेस की होगी.


लोकसभा सीट खंडवा पर खास फोकस
खंडवा संसदीय क्षेत्र में 4 जिले शामिल है खंडवा, खरगोन, देवास और बुरहानपुर. इसके अलावा जोबट, रैगांव, पृथ्वीपुर में विधानसभा उपचुनाव हैं. इनके करीबी अलीराजपुर, सतना, निवाड़ी जिलों में आचार संहिता लागू है. बीजेपी के बड़े नेता, पार्टी पदाधिकारी और संगठन से जुड़े लोग अपनी रणनीति के मुताबिक चुनावी प्रबंधन और प्रचार के लिए इनके सीमावर्ती जिलों में अपना डेरा डालेंगे, इस तरह वे आचार संहिता के उल्लंघन से भी बचे रहेंगे और चुनावी प्रबंधन से जुड़ी गतिविधियो और प्रचार में सक्रियता भी बनी रहेगी.

- खंडवा की 8 सीटों में से अभी 5 सीट पर भाजपा 2 पर कांग्रेस और 1 पर निर्दलीय( कांग्रेस के बागी) काबिज हैं,
- मार्च 2020 की सियासी उठापटक में नेपानगर विधायक सुमित्रा कस्डेकर और मांधाता के नारायण पटेल कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं.

- बड़वाह, पंधाना , भीकनगांव और बुरहानपुर पारंपरिक रूप से कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं, वहीं बागली खंडवा और नेपानगर भाजपा के गढ़ माने जाते हैं ,

बीजेपी ने की आदिवासी महाकुंभ की तैयारी
भाजपा भोपाल और बड़वानी में व्यापक स्तर पर आदिवासी महाकुंभ के आयोजन तैयारी में है, महाकुंभ में हजारों की संख्या में आदिवासियों को बुलाकर बड़ी सभाएं भी की जाएंगी. जिससे उपचुनाव के साथ मिशन 2023 को भी साधा जाएगा. बीजेपी का प्लान यह है की आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में यात्रा और उप यात्राएं निकाली जाएंगी जिसमें वरिष्ठ नेता रोड शो करते हुए दिखाई देंगे. इसके अलावा भोपाल में आदिवासी महाकुंभ बुलाने जाने की भी योजना है. ऐसा करने से देश भर को यह संदेश जाएगा कि मध्य प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार आदिवासियों के हित के लिए बहुत काम कर रही है. 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती पर महाकुंभ आयोजन करने की तैयारी है जिसमें शामिल होने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान गुरूवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी को न्योता दे चुके हैं.

विधानसभा सीटों का यह है जाति का गणित
पृथ्वीपुर- यादव ब्राह्मण और कुशवाहा जाति की वोटर सबसे ज्यादा है. दलितों का वोट भी निर्णायक रहता है.
खंडवा और जोबट - आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में चुनाव मैदान में जयस (जय आदिवासी युवा संघठन) की मौजूदगी बीजेपी को नुकसान होगा. जोबट में आदिवासियों की आबादी 97.5 है.
रैगांव - यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां 10 में से 5 बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की है. 2 बार इस सीट पर कांग्रेस का भी कब्जा रहा है जबकि 1 बार बसपा ने भी बाजी मारी है. यहां पर अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग के मतदाता भी हैं और सवर्ण वोटरों की भी अच्छी खासी तादाद है.

कांग्रेस को जयस और गोंडवाना पार्टी का समर्थन
बात आदिवासियों को अपना बनाने की हो खंडवा संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में चार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है आदिवासी वोटर्स को रिझाने के लिए दोनों दल पूरी ताकत झोंक रहे हैं एक तरफ जहां मुख्यमंत्री उनके बीच जाकर उनके लिए बनाई गई योजनाओं को बताते हैं तो वही कमलनाथ अलग-अलग संगठनों से बातचीत कर रहे हैं इसके साथ ही जयस और गोंडवाना पार्टी ने भी कांग्रेस से हाथ मिला लिया है. सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे इस उपचुनाव की हार जीत से 2023 की तस्वीर क्या हो सकती है दोनों ही दलों को इस बात का कुछ-कुछ अंदाजा तो हो ही जाएगा साथ ही एक बार और साफ हो जाएगी कि आदिवासी समुदाय का झुकाव किस तरह है.

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