भोपाल। जिला न्यायालय ने जेल में बंद एक युवक की मौत के मामले में जेलर, टीआई और डॉक्टर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं. भोपाल जेल में बंद युवक की मौत के मामले में जेल निरीक्षक मनीष राज भदोरिया, डीएल यादव, जेलर आलोक बाजपाई और हमीदिया अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद साहू के साथ-साथ क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रधान आरक्षक एहसान, मुरली दिनेश और चिरौंजी पर भी हत्या तथा साक्ष्य मिटाने की साजिश का मामला चल रहा था. जिसमें यह फैसला दिया गया है.
2015 का है यह मामला: 4 जून 2015 को क्राइम ब्रांच के तत्कालीन प्रधान आरक्षक एहसान मुरली दिनेश और चिरौंजी ने मोहसिन को घर से उठाकर क्राइम ब्रांच ऑफिस ले जाया गया. जहां उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर करके ₹20 लाख मांगे गए, मोहसिन ने स्वयं यह बात उससे मिलने आए परिजनों को बताई थी. उसके बाद क्राइम ब्रांच से मोहसिन को थाना टीटी नगर ले जाया गया, जहां पर इंस्पेक्टर डीएल यादव और उपनिरीक्षक मनीष राज भदोरिया ने भी ₹20लाख के लिए मोहसिन से मारपीट की और उसके बाद उसे अदालत में पेश किया गया.
मोटी रकम के लिए किया गया टॉर्चर: अदालत से मोहसिन को जेल भेज दिया गया. जेल में भी जेलर और हमीदिया अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद साहू ने भी उससे मारपीट की. डॉक्टर ने मोहसिन पर ₹10 लाख देने का दबाव बनाया और पैसे ना देने पर उसके टेस्ट नहीं किए और मोहसिन के पागल होने के फर्जी पर्चे बना दिए. इसके बाद उसे ग्वालियर मानसिक आरोग्य चिकित्सालय भेजने की सिफारिश भी कर दी. इतनी प्रताड़नाओ के कारण मोहसीन कि 23 जून 2015 को जेल में मौत हो गई थी.
परिजनों ने कोर्ट में दायर किया था परिवाद: कोर्ट में मोहसिन के परिजनों ने बताया था कि पुलिस द्वारा उसे करंट लगा कर पीटा जाता था और जेल में उसके हाथ व पैर रस्सी से बांधकर दिनभर एक कोठरी में रखा जाता था. इस पूरे मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट स्नेहलता सिंह ने इन सभी को आरोपी बताते हुए सभी को 27 जून को अदालत में हाजिर होने के आदेश दिए हैं.