भोपाल। आगामी 17 दिसंबर को कमलनाथ को मुख्यमंत्री बने 1 साल पूरे हो जाएंगे. कांग्रेस प्रदेश सरकार की उपलब्धियों के प्रचार- प्रसार में जुट गई है. कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां 1 करोड़ 86 हजार परिवार, यानी 5 करोड़ 43 लाख नागरिक इंदिरा गृह ज्योति योजना के दायरे में आ गए हैं.
दुबे ने बताया कि इंदिरा गृह ज्योति योजना के माध्यम से मात्र एक रुपये प्रति यूनिट की दर से 100 यूनिट से 150 यूनिट तक बिजली उपभोक्ताओं उपलब्ध करवाई जा रही रही है. इस समय प्रदेश में बिजली के 1 करोड़ 16 लाख 97 हजार 880 घरेलू उपभोक्ता हैं. उन्होंने बताया कि 86.22 प्रतिशत लोगों को न सिर्फ बेहद सस्ती बिजली उपलब्ध करवाई जा रही हैं, बल्कि 150 यूनिट तक 86 प्रतिशत प्रदेश के नागरिक बिजली खर्च करके बचत भी कर रहे हैं.
इन क्षेत्र के उपभोक्ताओं को अधिक लाभ
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में सर्वाधिक लाभ इंदौर शहर के 3 लाख 29 हजार 103 परिवारों को मिल रहा है, पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में छिंदवाड़ा 3 लाख 43 हजा 932, सागर में 3 लाख 33 हजार 577 उपभोक्ताओं को और मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के तहत गुना में 2 लाख 74 हजार 679 उपभोक्ताओं को इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ मिला है.
बीजेपी पर साधा निशाना
कांग्रेस ने इस मौके पर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. अजय दुबे ने कहा कि 'बीजेपी ने पहले तो किसानों के सीने में गोलियां दाग दीं और अब चुनाव हारने के बाद से प्रदेश के किसानों के खिलाफ प्रतिशोध की आग में जले जा रहे हैं'. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद रबी सीजन के दिसम्बर माह के आवंटन 3 लाख 70 हजार मीट्रिक टन की तुलना में मोदी सरकार ने मात्र 1 लाख 65 हजार मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति मध्यप्रदेश को की . जिससे प्रदेश में कृत्रिम संकट पैदा हो जाय और कांग्रेस सरकार की छवि को धूमिल किया जा सके'.
अभय दुबे का कहना है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने फिर रबी सीजन में केंद्र पर दवाब बनाया और प्रदेश के किसानों से प्रतिशोध लेने लगे. उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार को केंद्र सरकार ने अब तक कुल मिलाकर 50 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही उपलब्ध करवाई है. यूरिया को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के सख्त निर्देशों के चलते प्रदेश में यूरिया की कालाबाजारी नहीं हो रही है. साथ ही सोसायटी और निजी क्षेत्र से खाद वितरण की 60- 40 प्रतिशत की व्यवस्था को भी बदलकर 80-20 प्रतिशत किया जाएगा. जिससे प्रदेश के किसानों को कोई समस्या न हो.