भोपाल। राजधानी की लाइफलाइन बीसीएलएल बसों पर पिछले 5 महीने से कोरोना वायरस के कारण ब्रेक लगा हुआ है. यही अब बसों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. 5 महीने से बसें जवाहर डिपो, बैरागढ़ डिपो, आईएसबीटी डिपो पर खड़ी हुई हैं. एक बस की कीमत 22 लाख है और शहर में बीसीएलएल की 200 से ज्यादा बसें सड़कों पर दौड़ती हैं.
जर्जर हालत में 50 बसें-
भोपाल में आईएसबीटी पर करीब 100 बसें खड़ी हैं, इनमें से कुछ के पहियों की हवा निकल गई है और ज्यादातर बसों के कांच और गेट टूट गए हैं. यात्रियों के बैठने के लिए लगाई गईं कुर्सियां खराब हो रही हैं. बस के अंदर और बाहर धूल मिट्टी की मोटी परत जम गई है. 50 से अधिक बसें दोबारा चलने की स्थिति में नहीं हैं. इन्हें देखकर नहीं लगता कि ये वही बसें हैं जो कभी शहर में दौड़ती नजर आती थीं और यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती थीं.
दुर्गम्मा बस ऑपरेटर के पास बसों का जिम्मा-
शहर में करीब 200 से ज्यादा बसें बीसीएलएल की हैं. नगर निगम ने ये गाड़ियां दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को संचालन के लिए दी हैं. दुर्गम्मा बस ऑपरेटर का भी जिम्मा है, इन गाड़ियों की देखभाल करना, लेकिन दुर्गम्मा कंपनी पैसे की तंगी से जूझ रही है. नगर निगम से दुर्गम्मा को सब्सिडी के 5 करोड़ की राशि लेना है. दुर्गम्मा बस ऑपरेटर के पीआरओ राघवेंद्र तिवारी का कहना है कि पिछले 5 महीने से बसें खड़ी हुई हैं, गर्मी भी गुजर गई और अब बारिश का मौसम चल रहा है. कोई भी चीज हो खड़ी-खड़ी खराब हो जाती है. हमने मैकेनिक लगा रखे हैं जो बसों को ठीक कर रहे हैं.
जल्द दी जाएगी बकाया राशि-
दुर्गम्मा बस ऑपरेटर भले ही दावा कर लें, वो बसों को ठीक करवा रहे हैं, लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता. वहीं नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी का कहना है कि मेंटेनेंस का काम दुर्गम्मा बस ऑपरेटर का है, ये जरूर है कि उनकी राशि नगर निगम के पास रुकी हुई है. उसे जल्द रिलीज किया जाएगा. बता दें नगर निगम बुजुर्ग, स्टूडेंट के लिए सब्सिडी देती है और उसके लिए पास बनवाया जाता है, जो रियायत नगर निगम बुजुर्ग और स्टूडेंट को टिकट में देती है, उसका भुगतान नगर निगम को बस ऑपरेटर को करना है.
नगर निगम और बीसीएलएल की खींचतान के बीच सवाल ये है कि अगर सरकार ने बसों को चलाने की इजाजत दे दी है तो क्या वो चलने की स्थिति में हैं. बसों की हालत देखकर लगता नहीं है कि वो सड़क पर दौड़ पाएंगी. अधिकतर बसों की स्थिति खराब होती जा रही है. एक बस को ठीक करने में करीब 40 से 50 हजार तक का खर्च हो सकता है.