डिंडौरी। अब तक आपने पीएम आवास योजना (pm avas yojna dindori)में घोटाले और भ्रष्टाचार के कई मामले देखे होंगे, लेकिन डिंडौरी की जो खबर हम आपको दिखाने जा रहे हैं वह आपको चौंकने पर मजबूर कर देगी. मध्य प्रदेश के डिंडौरी में पंचायत सचिव का कारनामा आपको बता देगा कि पीएम आवास योजना में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है. यहां के बैगा आदिवासी (baiga tribe fraudulent) बाहुल्य गौरा कन्हारी गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर एक दो नहीं बल्कि एक दर्ज़न से अधिक कच्चे व झोपड़ीनुमा मकान बना दिए गए हैं. जिनमें न छत है न कहीं सीमेंट या कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है.
पीएम आवास योजना में बने बांस, बल्ली और खपरैल वाले मकान!
गौरा कन्हारी गांव में पीएम आवास योजना के तहत बने कई मकानों में छत के नाम पर बांस, बल्लियों के सहारे छप्पर और खपरैल बिछा दिए गए हैं. कुछ मकानों में तो सीमेंट, कंक्रीट की जगह पर मिटटी का उपयोग किया गया है. जबकि एक मकान में तो छत के नाम पर सिर्फ घासफूस और कुछ पत्ते ही नजर आते हैं. आवास योजना के हितग्राहियों से बात करने पर मालूम हुआ कि आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर सरपंच और सचिव से लेकर तमाम जिम्मेदार मोटी रकम बतौर रिश्वत वसूल चुके हैं.अधिकारियों को खुश करने के लिए पंचायत सचिव कई बार इन आदिवासियों से मुर्गा और पालतू पशु भी मांग कर ले जा चुका है, लेकिन इसके बदले में इन्हें मिलें हैं ये घास,फूस, बांस, बल्लियों और खपरैल वाले मकान. अब पीएम आवास योजना में गड़बड़ी उजागर होने के बाद इलाके के परियोजना अधिकारी व प्रभारी मंत्री जांच कराने की बात कह अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं.
पक्के मकान की जिद की तो दी योजना से नाम काटने की धमकी
केस 1- छोटेलाल बैगा को देनी पड़ी घूस
- आवास योजना के हितग्राही छोटेलाल बैगा ने बताया की योजना का लाभ दिलाने के नाम पर सरपंच को 5 हजार,सचिव ने 5 हजार,रोजगार सहायक को 3 हजार, फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी को 1 हजार और पंचायत के ही एक अन्य कर्मचारी को 1 हजार रूपये की रिश्वत देनी पड़ी. छोटेलाल बताते हैं कि अधिकारियों को खुश करने के नाम पर पंचायत सचिव छोटेलाल का एक मुर्गा भी उठाकर ले गया. तब कहीं जाकर उसे आवास योजना की चारों किश्तें मिल सकीं. छोटेलाल का कहना है कि वो छत वाला पक्का मकान बनाना चाहते थे, लेकिन मटेरियल की किल्लत सरपंच और पंचायत सचिव के आवास का निर्माण जल्द किए जाने का दबाव बनाने के चक्कर में उसे मजबूरन कच्चा मकान बनाना पड़ गया. छोटेलाल का कहना है की जब वो पक्का मकान बनाने के लिए अड़ गया था तो सरपंच और सचिव आवास योजना से उसका नाम काटने की धमकी देने लगे.
केस 2- बिना नींव के ही खड़ा कर दिया प्रेम सिंह का घर
छोटे लाल के घर से कुछ दूरी चलने के बाद हमें बुध सिंह मिले, आपको जानकर हैरानी होगी की बुध सिंह की पत्नी ललिया बाई गांव की सरपंच हैं ,लेकिन बुध सिंह और उनके सगे भाई प्रेम सिंह भी पीएम आवास योजना के हितग्राही हैं. सरपंच पति बुध सिंह के आवास पर भी छत के नाम पर खप्पर बिछे हुए हैं, जबकि उनके भाई प्रेम सिंह का आवास बिना नींव के ही खड़ा कर दिया गया है. दीवारों में सीमेंट, कंक्रीट की जगह लाल मिटटी का इस्तेमाल और छत के नाम पर खप्पर बिछा दिया गया है.
ऐसे होता है किश्तें जारी करने का यह खेल
बातचीत के दौरान गांव की सरपंच के पति बुध सिंह ने आवास योजना में हुई गड़बड़ी को लेकर बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया की किसी दूसरे बने पक्के मकान की फोटो जियो टैग करके पीएम आवास योजना के तहत बन रहे कच्चे मकानों के लिए किश्तें जारी कर दी जाती है. बुध सिंह बताते हैं की पंचायत सचिव ने उनके सगे भाई से पीएम आवास योजना की सभी किश्तें जारी करने के लिए 30 हजार रूपये की रिश्वत ली है.
देखा आपने पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को कैसे पलीता लगाया जा रहा है. गावों में सरपंच, पंचायत सचिव और जनपद के अधिकारी मिलकर कैसे गरीब आदिवासियों के पक्के घर के सपने को तोड़ने मे लगे हुए हैं यह आपको डिंडौरी के गौरा कन्हारी गांव में साफ दिखाई दे जाएगा, लेकिन यह सब नहीं दिखता एसी चेंबरों में बैठने वाले उन अधिकारियों को जो घूस लेकर गरीबों के सपनों को रौंद रहे हैं. मामला सामने आने और प्रधानमंत्री आवास योजना में में बड़ी लापरवाही उजागर होने के बाद अधिकारी जहां जांच कराने की बात कह रहे हैं वहीं प्रदेश सरकार के मंत्री पल्ला झाड़ते नजर आए.