भोपाल। कोरोना से केवल लोगों का हाल बेहाल नहीं हुआ है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हैं. आलम ये है कि अनलॉक होने के बाद भी इंडस्ट्रियल क्षेत्र रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा. भोपाल के गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल क्षेत्र की कोरोना काल में हालात सबसे ज्यादा खराब है, यहां अनलॉक के बाद से महज 30 फीसदी प्रोडक्शन ही हो रहा है.
लॉकडाउन के बाद ज्यादातर मजदूर अपने घर वापस लौट गए हैं, जिससे पुराने ऑर्डर पूरे होने में समय लग रहा है तो कोरोना के चलते नए ऑर्डर मिल नहीं रहे हैं. जिससे औद्योगिक कंपनियां चलाने वालों की हालत खराब हो रही है. राजधानी के इंजिनियरिंग हब गोविंदपुरा में करीब 1100 इंडस्ट्री हैं. जिनके जरिए करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलता था. गोविंदपुरा की अधिकांश कंपनियां भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड यानि भेल और रेलवे पर ही निर्भर हैं. लेकिन कोरोना काल में इन दोनों से गोविंदपुरा इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है.
30 फीसदी हो रहा उत्पादन
गोविंदपुरा इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद रेलवे ने अधिकतर ऑर्डर निरस्त कर दिए तो कई ऑर्डर दो साल तक के लिए आगे बढ़ा दिए गए. इसी तरह भेल ने भी फिलहाल नए ऑर्डर पर रोक लगा दी है, जिसके चलते दो हजार करोड़ के टर्नओवर वाले गोविंदपुरा इंडस्ट्री में उत्पादन 30 फीसदी पर सिमट कर रह गया है, गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सेक्रेट्री मदन लाल गुर्जर कहते हैं कि अगर कोरोना की वजह से लॉकडाउन और अनलॉक की प्रक्रिया इसी तरह चलती रही तो इंडस्ट्री में ताले लग जाएंगे.
कोरोना से गोविंदपुरा इंडस्ट्री दोहरी मार झेल रहा है, कोरोना के डर से बेहद कम मजदूर काम पर आ रहे हैं. वहीं पुराने ऑर्डर के लेट होने पर भेल इंडस्ट्रियों के पैसे काट रही है. लॉकडाउन के बाद कई राज्यों ने इंडस्ट्री को होने वाली बिजली सप्लाई के फिक्स चार्च को माफ कर दिया था. लेकिन मध्यप्रदेश में इस दिशा में कुछ नहीं किया गया. जिससे इंडस्ट्रियों की परेशानियां और बढ़ गई है. ऐसे में अगर हालातों में जल्द सुधार नहीं हुआ तो औद्योगिक क्षेत्र की स्थितियां और बिगड़ सकती है.