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ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी कोरोना का बड़ा असर, 40 फीसदी तक सिमटा कारों का बाजार

कोरोना वायरस की वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है. संचालकों का कहना है कि ये व्यापार 40 फीसदी तक सिमट कर रह गया है. वहीं सेकंड हैंड कारों का बाजार भी मंदा है.

BHOPAL
ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी पड़ा कोरोना का भारी असर
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Published : Aug 13, 2020, 2:57 PM IST

भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते मध्यप्रदेश में लगभग सभी कारोबार ठप पड़े हुए हैं. चाहे बड़े व्यापारी हो या छोटे व्यापारी सभी को कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का खासा खामियाजा भुगतना पड़ा है. राजधानी भोपाल में ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात करें तो ये कारोबार 40 फीसदी तक सिमट कर रह गया है. वहीं सेकंड हैंड कारों का बाजार भी मंदा है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी कोरोना का असर

कोरोना काल में पिछले 4 से 5 महीनों में मध्यप्रदेश के ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. शोरूम संचालकों को स्टाफ की सैलरी देना भी भारी पड़ रहा है, तो किराए के भवनों में शोरूम संचालित करने वाले संचालकों को किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

राजधानी के हुंडई शोरूम के मालिक रमेश नेनवानी का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल उनके शोरूम का कारोबार 50 से 60 फीसदी पर आ गया है. त्योहारों के चलते ग्राहक वाहन तो खरीद रहे हैं, लेकिन प्रोडक्शन कम होने के चलते एसयूवी कारों की वेटिंग दो से ढाई महीनों तक जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों की बात करें तो इस बाजार पर काफी असर पड़ा है. जहां एक शोरूम से 1 महीने में 100 से 150 कारें बेची जाती थीं. वहीं अब एक शोरूम मुश्किल से 60 से 70 कारें बेच पा रहा है.

इधर सेकंड हैंड कारों का कारोबार करने वाले व्यापारी नीरज गुलाटी ने बताया कि नई कारों के साथ-साथ सेकंड हैंड कारों की बिक्री पर भी खासा असर पड़ा है. यूज कार का बाजार महज 25 फीसदी तक रह गया है.

जानकारों का मानना है कि कोरोना काल से पहले जिन लोगों ने कार लेने का प्लान किया था. कोरोना काल और दहशत के चलते अब वो लोग कार खरीदने की बजाय उतना ही कैश अपने पास रखना चाहते हैं. ताकि किसी इमरजेंसी के समय नकद रुपए काम आ सकें. अगर कोई कार खरीद भी रहा है तो जिस वैरायटी की कार ग्राहक ने खरीदने का प्लान बनाया था, उससे नीचे का मॉडल ही खरीद रहा है. लेकिन ज्यादातर ग्राहकों ने कार खरीदने का प्लान ही ड्रॉप कर दिया है.

उसके अलावा एजेंसी संचालकों ने अपने स्टाफ को भी कम करना शुरू कर दिया है. साथ ही कुछ कर्मचारियों की सैलरी भी कम कर दी गई है, लेकिन कार की सेल बढ़ाने के लिए उन्हें इंसेंटिव ज्यादा दिया जा रहा है.

कार के अलावा इंश्योरेंस और एसेसरीज ज्यादा से ज्यादा बेचने का दबाव कर्मचारियों पर बनाया जा रहा है. इधर कार बाजार में आई कमी को लेकर ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ने सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अब तक सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कोई मदद मुहैया नहीं कराई है.

भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते मध्यप्रदेश में लगभग सभी कारोबार ठप पड़े हुए हैं. चाहे बड़े व्यापारी हो या छोटे व्यापारी सभी को कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का खासा खामियाजा भुगतना पड़ा है. राजधानी भोपाल में ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात करें तो ये कारोबार 40 फीसदी तक सिमट कर रह गया है. वहीं सेकंड हैंड कारों का बाजार भी मंदा है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी कोरोना का असर

कोरोना काल में पिछले 4 से 5 महीनों में मध्यप्रदेश के ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. शोरूम संचालकों को स्टाफ की सैलरी देना भी भारी पड़ रहा है, तो किराए के भवनों में शोरूम संचालित करने वाले संचालकों को किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

राजधानी के हुंडई शोरूम के मालिक रमेश नेनवानी का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल उनके शोरूम का कारोबार 50 से 60 फीसदी पर आ गया है. त्योहारों के चलते ग्राहक वाहन तो खरीद रहे हैं, लेकिन प्रोडक्शन कम होने के चलते एसयूवी कारों की वेटिंग दो से ढाई महीनों तक जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों की बात करें तो इस बाजार पर काफी असर पड़ा है. जहां एक शोरूम से 1 महीने में 100 से 150 कारें बेची जाती थीं. वहीं अब एक शोरूम मुश्किल से 60 से 70 कारें बेच पा रहा है.

इधर सेकंड हैंड कारों का कारोबार करने वाले व्यापारी नीरज गुलाटी ने बताया कि नई कारों के साथ-साथ सेकंड हैंड कारों की बिक्री पर भी खासा असर पड़ा है. यूज कार का बाजार महज 25 फीसदी तक रह गया है.

जानकारों का मानना है कि कोरोना काल से पहले जिन लोगों ने कार लेने का प्लान किया था. कोरोना काल और दहशत के चलते अब वो लोग कार खरीदने की बजाय उतना ही कैश अपने पास रखना चाहते हैं. ताकि किसी इमरजेंसी के समय नकद रुपए काम आ सकें. अगर कोई कार खरीद भी रहा है तो जिस वैरायटी की कार ग्राहक ने खरीदने का प्लान बनाया था, उससे नीचे का मॉडल ही खरीद रहा है. लेकिन ज्यादातर ग्राहकों ने कार खरीदने का प्लान ही ड्रॉप कर दिया है.

उसके अलावा एजेंसी संचालकों ने अपने स्टाफ को भी कम करना शुरू कर दिया है. साथ ही कुछ कर्मचारियों की सैलरी भी कम कर दी गई है, लेकिन कार की सेल बढ़ाने के लिए उन्हें इंसेंटिव ज्यादा दिया जा रहा है.

कार के अलावा इंश्योरेंस और एसेसरीज ज्यादा से ज्यादा बेचने का दबाव कर्मचारियों पर बनाया जा रहा है. इधर कार बाजार में आई कमी को लेकर ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ने सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अब तक सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कोई मदद मुहैया नहीं कराई है.

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