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बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर के खिलाफ सख्त हुआ कानून, जुर्माना भरने के साथ जाना पड़ सकता है जेल - डॉग ब्रीडिंग सेंटर के खिलाफ सख्त हुआ कानून

डॉग ब्रीडिंग सेंटर के लिए "एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया" की अनुमति लेना जरूरी होता है, लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में किसी भी डॉग ब्रीडिंग सेंटर के पास अनुमति नही है. डॉग ब्रीडिंग सेंटर के संचालक ऐसा करके एक गंभीर अपराध कर रहे हैं. पशु क्रूरता अधनियम के तहत 2017 में डॉग ब्रीडिंग सेंटर और उसके व्यापार को अवैध माना गया है. इसके लिए आईपीसी की धारा 427-428 के तहत 3 साल की सजा है और दुबारा ऐसा ही अपराध करने पर 7 साल तक कि सजा का प्रावधान है, इसके अलावा अब जो नया नियम लाया गया है उसमें अब सजा के साथ साथ अर्थदंड भी लगाए जाने का प्रावधान किया गया है.

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बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
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Published : Sep 11, 2021, 10:30 PM IST

भोपाल/जबलपुर/ ग्वालियर. डॉग्स के छोटे पपीज को उनके 3 महीने के न हो जाने तक उनकी मां से दूर नहीं करना चाहिए. ऐसा प्राणी विशेषज्ञ कहते हैं, लेकिन इनको बेचने वाले लोग छोटी उम्र में ही इन पपीज को मां से अलग कर उन्हें बेच देते हैं. जिससे पर्याप्त पोषण न मिलने की वजह से इन पपीज में कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं और ज्यादातर बच्चे मर जाते हैं. इसके अलावा विदेशी नस्ल के कुत्तों की ब्रीडिंग करने वालों के लिए भी कानून है. इसके लिए "एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया" की अनुमति लेना जरूरी होता है, लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में किसी भी डॉग ब्रीडिंग सेंटर के पास अनुमति नही है. राजधानी भोपाल ही नहीं मध्य प्रदेश के जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहरों में गैरकानूनी रूप से ब्रीडिंग का यह बिजनेस धडल्ले से चल रहा है.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
भोपाल

पैसों के लालच में कर रहे गैरकानूनी काम

भोपाल स्थित राज्य पशु चिकित्सालय की डॉक्टर विशाखा के मुताबिक यहां दिन भर में 400 से अधिक डॉग्स इलाज के लिए आते हैं उनमें से 100 से अधिक छोटे पपीज होते हैं. जिसमें घर में पलने वाले डॉग्स से लेकर सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्ते भी होते हैं जिन्हें राहगीर यहां लेकर आते हैं. डॉक्टर विशाखा के मुताबिक डॉग्स के इन छोटे बच्चों को 3 महीने की उम्र से पहले खरीदना बेचना अपराध है, क्योंकि इस बीच उसकी मां से मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता और इम्यूनिटी पावर उसे नहीं मिल पाती है, लेकिन अब पशु चिकित्स और डॉग्स की मदद के लिए एनजीओ संचालित करने वाले लोग और इनकी खरीदी -बिक्री के लिए कानून बनाए जाने से बेहद खुश हैं. डॉक्टर विशाखा से बात की हमारे संवाददाता आदर्श चौरसिया ने.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
ग्वालियर

शहरों में जिस तरह से कुत्तों को पालने का शौक लोगों के बीच बढ़ता जा रहा है, इसने एक बिजनेस का रूप ले लिया है. जानवरों को पालने के साथ ही अब कई लोग उनकी ब्रीडिंग के बिजनेस से भी जुड़ गए हैं. लोग पालतू जानवरों की ब्रीडिंग के बाद उनके छोटे बच्चों को बेच देते हैं जबकि यह गैर कानूनी है. इसे लेकर एनिमल लवर ज्ञानेंद्र सिंह भदौरिया का कहते हैं कि जब तक बच्चे बड़े ना हो जाएं तब तक बच्चों को नहीं बेचना चाहिए, इसे रोकने के लिए किसी सख्त कानून की जरूरत है.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
जबलपुर

अगर आप विदेशी नश्ल का श्वान(DOG) पालकर ब्रीडिंग का बिजनेस कर रहे हैं तो यह खबर जरूर देख लें क्योकि हो सकता है कि आपके व्यापार को जिला प्रशासन बन्द करते हुए कहीं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही न कर दे. दरअसल "डॉग ब्रीडिंग बिजनेस" के लिए जबलपुर जिला प्रशासन और "एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया" की अनुमति लेना जरूरी है, लेकिन मध्यप्रदेश में किसी भी डॉग ब्रीडिंग सेंटर के पास इसकी अनुमति नही है. मध्यप्रदेश का नाना जी पशुचिकित्सा महाविद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा सेंटर है जहाँ अधिकृत रूप से डॉग ब्रीडिंग करवाई जाएगी.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
अभी चल रहे सभी ब्रीडिंग सेंटर अवैधमध्यप्रदेश के कई जिलों में संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर्स में मेल और फीमेल डॉग को क्रॉस कर उनसे होने वाले बच्चो को मुँह मांगे दामो में बेचा जाता है, लेकिन यह व्यापार पूरी तरह अवैध है. जबलपुर पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधीक्षक डॉ रणवीर जाटव भी डॉ विशाखा की तरह ही श्वान के बच्चे को आठ माह से पहले उसे मां से अलग न करने की सलाह देते हैं. डॉग ब्रीडिंग सेंटर के संचालन ऐसा करके एक गंभीर अपराध करते हैं. पशु क्रूरता अधनियम के तहत 2017 में डॉग ब्रीडिंग सेंटर और उसके व्यापार को अवैध माना गया है, जबकि जबलपुर में 60 से 70 डॉग ब्रीडिंग सेंटर चल रहे है जो कि बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे है.

सरकार से की कार्रवाई की मांग
मध्यप्रदेश में चल रहे अवैध डॉग ब्रीडिंग सेंटर से निजात पाने और इन पर कार्यवाही के लिए प्रदेश के एकमात्र अधिकृत डॉग ब्रीडिंग सेंटर, नानाजी पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से अवैध तरीक से डॉग ब्रीडिंग कर रहे ब्रीडिंग सेंटर्स के संचालकों पर कार्यवाई की मांग की है.

पशु क्रूरता अधिनियम में है 3 साल तक कि सजा
कम उम्र में ही माँ से बच्चों को अलग करना एक गंभीर अपराध है, कानून के जानकार भी बताते है कि कोई व्यक्ति पशु के साथ क्रूरता करता है तो आईपीसी की धारा 427-428 के तहत 3 साल की सजा है और दुबारा ऐसा ही अपराध करने पर 7 साल तक कि सजा का प्रावधान है, इसके अलावा अब जो नया नियम लाया गया है उसमें अब सजा के साथ साथ अर्थदंड भी लगाए जाने का प्रावधान किया गया है.

भोपाल/जबलपुर/ ग्वालियर. डॉग्स के छोटे पपीज को उनके 3 महीने के न हो जाने तक उनकी मां से दूर नहीं करना चाहिए. ऐसा प्राणी विशेषज्ञ कहते हैं, लेकिन इनको बेचने वाले लोग छोटी उम्र में ही इन पपीज को मां से अलग कर उन्हें बेच देते हैं. जिससे पर्याप्त पोषण न मिलने की वजह से इन पपीज में कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं और ज्यादातर बच्चे मर जाते हैं. इसके अलावा विदेशी नस्ल के कुत्तों की ब्रीडिंग करने वालों के लिए भी कानून है. इसके लिए "एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया" की अनुमति लेना जरूरी होता है, लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में किसी भी डॉग ब्रीडिंग सेंटर के पास अनुमति नही है. राजधानी भोपाल ही नहीं मध्य प्रदेश के जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहरों में गैरकानूनी रूप से ब्रीडिंग का यह बिजनेस धडल्ले से चल रहा है.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
भोपाल

पैसों के लालच में कर रहे गैरकानूनी काम

भोपाल स्थित राज्य पशु चिकित्सालय की डॉक्टर विशाखा के मुताबिक यहां दिन भर में 400 से अधिक डॉग्स इलाज के लिए आते हैं उनमें से 100 से अधिक छोटे पपीज होते हैं. जिसमें घर में पलने वाले डॉग्स से लेकर सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्ते भी होते हैं जिन्हें राहगीर यहां लेकर आते हैं. डॉक्टर विशाखा के मुताबिक डॉग्स के इन छोटे बच्चों को 3 महीने की उम्र से पहले खरीदना बेचना अपराध है, क्योंकि इस बीच उसकी मां से मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता और इम्यूनिटी पावर उसे नहीं मिल पाती है, लेकिन अब पशु चिकित्स और डॉग्स की मदद के लिए एनजीओ संचालित करने वाले लोग और इनकी खरीदी -बिक्री के लिए कानून बनाए जाने से बेहद खुश हैं. डॉक्टर विशाखा से बात की हमारे संवाददाता आदर्श चौरसिया ने.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
ग्वालियर

शहरों में जिस तरह से कुत्तों को पालने का शौक लोगों के बीच बढ़ता जा रहा है, इसने एक बिजनेस का रूप ले लिया है. जानवरों को पालने के साथ ही अब कई लोग उनकी ब्रीडिंग के बिजनेस से भी जुड़ गए हैं. लोग पालतू जानवरों की ब्रीडिंग के बाद उनके छोटे बच्चों को बेच देते हैं जबकि यह गैर कानूनी है. इसे लेकर एनिमल लवर ज्ञानेंद्र सिंह भदौरिया का कहते हैं कि जब तक बच्चे बड़े ना हो जाएं तब तक बच्चों को नहीं बेचना चाहिए, इसे रोकने के लिए किसी सख्त कानून की जरूरत है.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
जबलपुर

अगर आप विदेशी नश्ल का श्वान(DOG) पालकर ब्रीडिंग का बिजनेस कर रहे हैं तो यह खबर जरूर देख लें क्योकि हो सकता है कि आपके व्यापार को जिला प्रशासन बन्द करते हुए कहीं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही न कर दे. दरअसल "डॉग ब्रीडिंग बिजनेस" के लिए जबलपुर जिला प्रशासन और "एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया" की अनुमति लेना जरूरी है, लेकिन मध्यप्रदेश में किसी भी डॉग ब्रीडिंग सेंटर के पास इसकी अनुमति नही है. मध्यप्रदेश का नाना जी पशुचिकित्सा महाविद्यालय प्रदेश का पहला ऐसा सेंटर है जहाँ अधिकृत रूप से डॉग ब्रीडिंग करवाई जाएगी.

बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर
अभी चल रहे सभी ब्रीडिंग सेंटर अवैधमध्यप्रदेश के कई जिलों में संचालित हो रहे डॉग ब्रीडिंग सेंटर्स में मेल और फीमेल डॉग को क्रॉस कर उनसे होने वाले बच्चो को मुँह मांगे दामो में बेचा जाता है, लेकिन यह व्यापार पूरी तरह अवैध है. जबलपुर पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधीक्षक डॉ रणवीर जाटव भी डॉ विशाखा की तरह ही श्वान के बच्चे को आठ माह से पहले उसे मां से अलग न करने की सलाह देते हैं. डॉग ब्रीडिंग सेंटर के संचालन ऐसा करके एक गंभीर अपराध करते हैं. पशु क्रूरता अधनियम के तहत 2017 में डॉग ब्रीडिंग सेंटर और उसके व्यापार को अवैध माना गया है, जबकि जबलपुर में 60 से 70 डॉग ब्रीडिंग सेंटर चल रहे है जो कि बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे है.

सरकार से की कार्रवाई की मांग
मध्यप्रदेश में चल रहे अवैध डॉग ब्रीडिंग सेंटर से निजात पाने और इन पर कार्यवाही के लिए प्रदेश के एकमात्र अधिकृत डॉग ब्रीडिंग सेंटर, नानाजी पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से अवैध तरीक से डॉग ब्रीडिंग कर रहे ब्रीडिंग सेंटर्स के संचालकों पर कार्यवाई की मांग की है.

पशु क्रूरता अधिनियम में है 3 साल तक कि सजा
कम उम्र में ही माँ से बच्चों को अलग करना एक गंभीर अपराध है, कानून के जानकार भी बताते है कि कोई व्यक्ति पशु के साथ क्रूरता करता है तो आईपीसी की धारा 427-428 के तहत 3 साल की सजा है और दुबारा ऐसा ही अपराध करने पर 7 साल तक कि सजा का प्रावधान है, इसके अलावा अब जो नया नियम लाया गया है उसमें अब सजा के साथ साथ अर्थदंड भी लगाए जाने का प्रावधान किया गया है.

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