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एमपी में सियासत का 'बदलापुर' , खुलने लगीं बीजेपी राज के घोटालों की फाइल - भोपाल

आगामी चुनाव से ठीक पहले सीएम कमलनाथ के करीबियों के यहां हुई आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद अब चर्चा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब बीजेपी के राज में हुये घोटालों की फाइल खोलने की तैयारी में है. इस चर्चा के बाद सूबे की सियासत, बदले की राजनीति में बदलती दिख सकती है.

कांग्रेस कार्यालय, भोपाल
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Published : Apr 9, 2019, 10:30 PM IST

भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर आयकर विभाग के छापे ने मध्यप्रदेश की राजनीति में तूफान ला दिया है. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हुई इस कार्रवाई ने राजनीतिक दंगल में अब बदले की सियासत दंभ भर रही है. इसी के चलते कांग्रेस अब बीजेपी के कार्यकाल में हुये घोटालों की पोल खोल काउंटर अटैक करने की तैयारी में नजर आ रही है.

कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि पूरा भारत इस बात का गवाह है कि जिस तरह से आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, यूपी और पश्चिम बंगाल के बाद अब मध्यप्रदेश में प्रतिपक्ष दलों को चुन चुनकर बदनाम करने की नियत से उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जा रही है. पहली बार भारत में ऐसा हो रहा है कि संवैधानिक संस्थाएं किसी दल विशेष के लिए औजार के रूप में काम कर रही हैं.

वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश बीजेपी मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि सीएम कमलनाथ को राजनीति और संवैधानिक मान्यताओं का लंबा अनुभव है. उनको इस बात पर चिंता करना चाहिए कि जब कोई विभाग कार्रवाई कर रहा है, तो पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास क्यों किया, क्या इसमें कमलनाथ की भी सहमति थी या उनके उथले हुए लोग उनकी नजदीकी पाने के लिए इस तरह का कदम उठा रहे थे. वहीं कमलनाथ के करीबियों पर हुई कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताने के सवाल पर उनका कहना है कि देशभर में आचार संहिता लगी हुई है. ऐसे में सरकारें बिल्कुल निष्प्रभावी हो जाती हैं. यह एक बड़ी केंद्रीय एजेंसी आयकर विभाग की कार्रवाई है.

क्या अब बीजेपी की बारी..?
सियासी हलकों में इस चर्चा में तेजी से जोर पकड़ा है कि पूर्व सरकार के घोटालों पर अब तक चुप्पी साधे रही, कमलनाथ सरकार बदले की भावना से मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं को निशाना बना सकती है. खासकर भ्रष्टाचार के उन मुद्दों को लेकर कमलनाथ सरकार कार्रवाई कर सकती है, जिसे कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान जोर- शोर से उठाया था. जिसमें शिवराज सिंह से लेकर उनके परिवार और भाजपा के कई नेताओं सहित भाजपा राज के समय के नौकरशाहों पर कई गंभीर आरोप लगे थे. इन घोटालों में व्यापमं घोटाला, ई-टेंडर घोटाला,पोषण आहार घोटाला और विज्ञापन घोटाले जैसी कई घोटाले हैं. शिवराज सिंह के परिवार को नर्मदा उत्खनन मामले में भी निशाने पर लिया जा सकता है.

खास रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव के बाद हो सकती है कार्रवाई
प्रशासनिक हलकों में तो यहां तक चर्चा है, कि मध्यप्रदेश की सरकार के EOW और लोकायुक्त जैसे विभागों ने इन घोटालों को लेकर अपनी जांच तेज कर दी है. संभावना तो यह भी है कि लोकसभा चुनाव के बीच कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है. इन मामलों पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस भी इनकार नहीं कर रही है और कांग्रेस का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. वहीं भाजपा का कहना है कि अगर किसी ने जनता के हक के पैसे में भ्रष्टाचार किया है, तो कार्रवाई जरूर होना चाहिए, लेकिन राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए.

भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर आयकर विभाग के छापे ने मध्यप्रदेश की राजनीति में तूफान ला दिया है. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हुई इस कार्रवाई ने राजनीतिक दंगल में अब बदले की सियासत दंभ भर रही है. इसी के चलते कांग्रेस अब बीजेपी के कार्यकाल में हुये घोटालों की पोल खोल काउंटर अटैक करने की तैयारी में नजर आ रही है.

कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि पूरा भारत इस बात का गवाह है कि जिस तरह से आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, यूपी और पश्चिम बंगाल के बाद अब मध्यप्रदेश में प्रतिपक्ष दलों को चुन चुनकर बदनाम करने की नियत से उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जा रही है. पहली बार भारत में ऐसा हो रहा है कि संवैधानिक संस्थाएं किसी दल विशेष के लिए औजार के रूप में काम कर रही हैं.

वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश बीजेपी मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि सीएम कमलनाथ को राजनीति और संवैधानिक मान्यताओं का लंबा अनुभव है. उनको इस बात पर चिंता करना चाहिए कि जब कोई विभाग कार्रवाई कर रहा है, तो पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास क्यों किया, क्या इसमें कमलनाथ की भी सहमति थी या उनके उथले हुए लोग उनकी नजदीकी पाने के लिए इस तरह का कदम उठा रहे थे. वहीं कमलनाथ के करीबियों पर हुई कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताने के सवाल पर उनका कहना है कि देशभर में आचार संहिता लगी हुई है. ऐसे में सरकारें बिल्कुल निष्प्रभावी हो जाती हैं. यह एक बड़ी केंद्रीय एजेंसी आयकर विभाग की कार्रवाई है.

क्या अब बीजेपी की बारी..?
सियासी हलकों में इस चर्चा में तेजी से जोर पकड़ा है कि पूर्व सरकार के घोटालों पर अब तक चुप्पी साधे रही, कमलनाथ सरकार बदले की भावना से मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं को निशाना बना सकती है. खासकर भ्रष्टाचार के उन मुद्दों को लेकर कमलनाथ सरकार कार्रवाई कर सकती है, जिसे कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान जोर- शोर से उठाया था. जिसमें शिवराज सिंह से लेकर उनके परिवार और भाजपा के कई नेताओं सहित भाजपा राज के समय के नौकरशाहों पर कई गंभीर आरोप लगे थे. इन घोटालों में व्यापमं घोटाला, ई-टेंडर घोटाला,पोषण आहार घोटाला और विज्ञापन घोटाले जैसी कई घोटाले हैं. शिवराज सिंह के परिवार को नर्मदा उत्खनन मामले में भी निशाने पर लिया जा सकता है.

खास रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव के बाद हो सकती है कार्रवाई
प्रशासनिक हलकों में तो यहां तक चर्चा है, कि मध्यप्रदेश की सरकार के EOW और लोकायुक्त जैसे विभागों ने इन घोटालों को लेकर अपनी जांच तेज कर दी है. संभावना तो यह भी है कि लोकसभा चुनाव के बीच कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है. इन मामलों पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस भी इनकार नहीं कर रही है और कांग्रेस का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. वहीं भाजपा का कहना है कि अगर किसी ने जनता के हक के पैसे में भ्रष्टाचार किया है, तो कार्रवाई जरूर होना चाहिए, लेकिन राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर आयकर विभाग के छापे के बाद मध्यप्रदेश की सियासत बदली हुई नजर आ रही है। लग रहा है कि मप्र में अब बदले की सियासत की शुरुआत होने वाली है। सियासी हलकों में इस चर्चा में तेजी से जोर पकड़ा है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोटालों पर अब तक चुप्पी साधे रही कमलनाथ सरकार बदले की भावना से मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं को निशाना बना सकती हैं। खासकर भ्रष्टाचार के उन मुद्दों को लेकर कमलनाथ सरकार कार्रवाई कर सकती है। जिसे कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान जोर शोर से उठाया था। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लेकर उनके परिवार और भाजपा के कई नेताओं सहित भाजपा राज के समय के नौकरशाहों पर कई गंभीर आरोप लगे थे। इन घोटालों में व्यापमं घोटाला, ई टेंडर घोटाला,पोषण आहार घोटाला और विज्ञापन घोटाले जैसी कई घोटाले हैं। शिवराज सिंह के परिवार को नर्मदा उत्खनन मामले में भी निशाने पर लिया जा सकता है। प्रशासनिक हलकों में तो यहां तक चर्चा है कि मध्यप्रदेश की सरकार के ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त जैसे विभागों ने इन घोटालों को लेकर अपनी जांच तेज कर दी है। संभावना तो यह भी व्यक्ति की जा रही है कि लोकसभा चुनाव के बीच कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इन मामलों पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस भी इनकार नहीं कर रही है और कांग्रेस का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। वहीं भाजपा का कहना है कि अगर किसी ने जनता के हक के पैसे में भ्रष्टाचार किया है, तो कार्रवाई जरूर होना चाहिए, लेकिन राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए।


Body:मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि पूरा भारत इस बात का गवाह है कि जिस तरह से आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, यूपी और पश्चिम बंगाल के बाद अब मध्यप्रदेश में प्रतिपक्ष दलों को चुन चुनकर बदनाम करने की नियत से उनके खिलाफ इस तरह के छापे लगाए जा रहे हैं। जिससे उन्हें बदनाम किया जा सके। यह राजनीतिक विद्वेष और संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग की पराकाष्ठा है। पहली बार भारत में ऐसा हो रहा है कि संवैधानिक संस्थाएं किसी दल विशेष के लिए औजार के रूप में काम कर रही हैं। यह निंदनीय और लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। आज देश में पारदर्शिता और कानून की बात की जाती है, तो निश्चित रूप से दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। सारी चीजों पर पारदर्शिता के साथ बहस होना चाहिए। लेकिन खबरें अखबारों को परोस कर राजनीतिक पार्टियों को बदनाम कर बीजेपी के लिए चुनाव की वैतरणी पार करना असंभव होगा। ये दांव उल्टा पड़ेगा और अब पूरा देश यह समझ रहा है कि तानाशाही की तरफ कदम बढ़ चुके हैं। भाजपा की इस तानाशाही गतिविधियों का पूरा देश विरोध करेगा। राज्य सरकार द्वारा भाजपा पर कार्रवाई के सवाल पर भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार पहले से ही कानूनी कार्रवाई के पक्ष में और जन आयोग बनाने का काम कर रही है। आगे निश्चित रूप से उन पर कार्रवाई होगी, जो उचित वैधानिक रास्ते होंगे, उनके अनुसार दंड दिया जाएगा।




Conclusion:वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश बीजेपी मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को राजनीति और संवैधानिक मान्यताओं का लंबा अनुभव है। उनको इस बात पर चिंता करना चाहिए कि जब कोई विभाग कार्यवाही कर रहा है, तो उनकी पुलिस ने उसे रोकने का कुत्सित प्रयास क्यों किया, क्या इसमें कमलनाथ की भी सहमति थी या उनके उथले हुए लोग उनकी नजदीकी पाने के लिए इस तरह का कदम उठा रहे थे। मुझे खबर है कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनका विश्वस्त और वफादार बनने के लिए यह काम किया है। कमलनाथ को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह पश्चिम बंगाल नहीं है,भले ही उनकी पृष्ठभूमि बंगाल से ही है। लेकिन यह मध्यप्रदेश है, यहां कानून का राज चलता है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बीजेपी के नेताओं पर बीजेपी राज में हुए घोटालों पर कार्रवाई के सवाल पर मीडिया प्रभारी का कहना है कि चाहे देश में हो, मध्यप्रदेश में हो या फिर उत्तरप्रदेश में हो, यदि कहीं जनता के पैसे का दुरुपयोग हुआ है और किसी भी सरकार ने किया है। चाहे वह किसी की सरकार हो, सबकी जांच करने का सभी एजेंसियों को अधिकार है। अगर भ्रष्टाचार हुआ है, तो कार्रवाई होना चाहिए, लेकिन राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए। वहीं कमलनाथ के करीबियों पर हुई कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताने के सवाल पर उनका कहना है कि देशभर में आचार संहिता लगी हुई है। ऐसे में सरकारें बिल्कुल निष्प्रभावी हो जाती हैं। यह एक बड़ी केंद्रीय एजेंसी आयकर विभाग की कार्यवाही है। अभी तक ना किसी राजनेता ने बयान दिया और ना ही किसी ने कोई बात की है। फिर कैसे माना जाए कि यह राजनीति से प्रेरित है। अगर ऐसा है तो चुनाव आयोग से पूछना चाहिए और चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए. किसानों को आंसू रूलाकर कक्कड़ और मिगलानी जैसे लोगों के खजाने भरना यह कौन सी नीति है।
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