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MP के 3300 कर्मचारी BSNL को कहेंगे अलविदा, आउटसोर्स होंगे उपभोक्ता केंद्र - BSNL employees to take VRS

देशभर में ऐसे 79000 कर्मचारी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) से इस महीने विदा हो जाएंगे, इनमें से मध्यप्रदेश के 3300 कर्मचारी 31 जनवरी को अलविदा कह देंगे, इन कर्मचारियों ने वीआरएस दे दिया गया है.

Bharat Sanchar Nigam Limited
MP में BSNL के 3300 कर्मचारी कहेंगे अलविदा
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Published : Jan 21, 2020, 2:12 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 2:37 PM IST

भोपाल। देश की सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के मध्यप्रदेश के 3300 कर्मचारी 31 जनवरी को अलविदा कह देंगे, इन कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया है. देशभर में ऐसे 79000 कर्मचारी बीएसएनएल से इस माह विदा हो जाएंगे. सरकारी दूरसंचार कंपनी के इतिहास में ये पहला मौका है जब आधे से ज्यादा स्टाफ की छुट्टी हो जाएगी.

3300 कर्मचारी BSNL को कहेंगे अलविदा

इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारी अधिकारियों के घर बैठ जाने से BSNL की सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. वीआरएस की वजह से भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर जैसे अन्य जिलों में बड़ी संख्या में मैदानी स्टाफ बाहर हो जाएगा. व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए बचे हुए मैदानी कर्मचारियों को ही दूसरे लोगों का काम सौंपा जा रहा है,. कर्मचारियों को वीआरएस देने के लिए सरकार ने एकमुश्त 18000 करोड रुपए मंजूर किए हैं.

3300 कर्मचारियों के VRC के बाद 23 करोड़ रह जाएगा खर्च
मध्यप्रदेश में अभी BSNL के कुल 11 लाख ग्राहक हैं. इनमें 6 लाख मोबाइल कनेक्शन 3 लाख 50000 लैंडलाइन, 1.4 लाख ब्रॉडबैंड और 50,000 फाइबर टू द होम कनेक्शन है. इन तमाम सुविधाओं को मौजूदा स्थिति में मध्यप्रदेश के 6000 BSNL कर्मचारी-अधिकारी संभालते रहे हैं, लेकिन इनमें से 3300 कर्मचारियों अधिकारियों ने वीआरएस का रास्ता चुना है. जाहिर है 31 जनवरी के बाद मध्य प्रदेश में BSNL में 2800 कर्मचारी अधिकारी बचेंगे. कर्मचारी अधिकारियों की संख्या कम होने से BSNL को हर महीने 27 करोड़ रुपए की बचत होगी. मध्यप्रदेश BSNL की वार्षिक आय 660 करोड़ों रुपए है. इसकी एवज में हर साल 750 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होता है. 50 करोड़ों रुपए सिर्फ वेतन पर हर माह खर्च होता है. 33 सौ कर्मचारियों के वीआरएस के बाद, ये खर्च 23 करोड़ रह जाएगा.

प्राइवेट हाथों में BSNL के आधे उपभोक्ता केंद्र
BSNL के सीजीएम महेश शुक्ला के मुताबिक कर्मचारियों अधिकारियों की संख्या कम होने के बाद बाकी बचे कर्मचारी अधिकारियों को ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. साथ ही BSNL में कर्मचारी अधिकारियों की संख्या घटने के बाद अब उपभोक्ता केंद्रों को आउटसोर्स करने का फैसला लिया गया है. मध्यप्रदेश में करीब 3000 उपभोक्ता केंद्र हैं, जिनमें से आधे उपभोक्ता केंद्रों को निजी हाथों में सौंपा जाएगा, इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है.

भोपाल। देश की सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के मध्यप्रदेश के 3300 कर्मचारी 31 जनवरी को अलविदा कह देंगे, इन कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया है. देशभर में ऐसे 79000 कर्मचारी बीएसएनएल से इस माह विदा हो जाएंगे. सरकारी दूरसंचार कंपनी के इतिहास में ये पहला मौका है जब आधे से ज्यादा स्टाफ की छुट्टी हो जाएगी.

3300 कर्मचारी BSNL को कहेंगे अलविदा

इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारी अधिकारियों के घर बैठ जाने से BSNL की सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. वीआरएस की वजह से भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर जैसे अन्य जिलों में बड़ी संख्या में मैदानी स्टाफ बाहर हो जाएगा. व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए बचे हुए मैदानी कर्मचारियों को ही दूसरे लोगों का काम सौंपा जा रहा है,. कर्मचारियों को वीआरएस देने के लिए सरकार ने एकमुश्त 18000 करोड रुपए मंजूर किए हैं.

3300 कर्मचारियों के VRC के बाद 23 करोड़ रह जाएगा खर्च
मध्यप्रदेश में अभी BSNL के कुल 11 लाख ग्राहक हैं. इनमें 6 लाख मोबाइल कनेक्शन 3 लाख 50000 लैंडलाइन, 1.4 लाख ब्रॉडबैंड और 50,000 फाइबर टू द होम कनेक्शन है. इन तमाम सुविधाओं को मौजूदा स्थिति में मध्यप्रदेश के 6000 BSNL कर्मचारी-अधिकारी संभालते रहे हैं, लेकिन इनमें से 3300 कर्मचारियों अधिकारियों ने वीआरएस का रास्ता चुना है. जाहिर है 31 जनवरी के बाद मध्य प्रदेश में BSNL में 2800 कर्मचारी अधिकारी बचेंगे. कर्मचारी अधिकारियों की संख्या कम होने से BSNL को हर महीने 27 करोड़ रुपए की बचत होगी. मध्यप्रदेश BSNL की वार्षिक आय 660 करोड़ों रुपए है. इसकी एवज में हर साल 750 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होता है. 50 करोड़ों रुपए सिर्फ वेतन पर हर माह खर्च होता है. 33 सौ कर्मचारियों के वीआरएस के बाद, ये खर्च 23 करोड़ रह जाएगा.

प्राइवेट हाथों में BSNL के आधे उपभोक्ता केंद्र
BSNL के सीजीएम महेश शुक्ला के मुताबिक कर्मचारियों अधिकारियों की संख्या कम होने के बाद बाकी बचे कर्मचारी अधिकारियों को ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. साथ ही BSNL में कर्मचारी अधिकारियों की संख्या घटने के बाद अब उपभोक्ता केंद्रों को आउटसोर्स करने का फैसला लिया गया है. मध्यप्रदेश में करीब 3000 उपभोक्ता केंद्र हैं, जिनमें से आधे उपभोक्ता केंद्रों को निजी हाथों में सौंपा जाएगा, इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है.

Intro:भोपाल। देश की सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड के मध्य प्रदेश के 33 सौ कर्मचारी 31 जनवरी को अलविदा कह देंगे। इन कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया है। पूरे देश भर में ऐसे 79000 कर्मचारी बीएसएनएल से इस माह विदा हो जाएंगे। सरकारी दूरसंचार कंपनी के इतिहास में यह पहला मौका है जब आधे से ज्यादा स्टाफ की छुट्टी हो जाएगी।


Body:इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारी अधिकारियों के घर बैठ जाने से बीएसएनएल की सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। बीआरएस की वजह से भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर जैसे अन्य जिलों में बड़ी संख्या में मैदानी स्टाफ बाहर हो जाएगा। व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए बचे हुए मैदानी कर्मचारियों को ही दूसरे लोगों का काम सौंपा जा रहा है। कर्मचारियों को वीआरएस देने के लिए सरकार ने एकमुश्त 18000 करोड रुपए मंजूर किए हैं।

3300 कर्मचारियों के वीआरएस के बाद 23 करोड़ रह जाएगा खर्च

मध्य प्रदेश में अभी बीएसएनल के कुल 11 लाख ग्राहक हैं। इनमें छह लाख मोबाइल कनेक्शन 3 लाख 50000 लैंडलाइन, 1.4 लाख ब्रॉडबैंड और 50,000 फाइबर टू द होम कनेक्शन है। इन तमाम सुविधाओं को मौजूदा स्थिति में मध्य प्रदेश के 6000 बीएसएनएल कर्मचारी-अधिकारी संभालते रहे हैं, लेकिन इनमें से 3300 कर्मचारियों अधिकारियों ने वीआरएस का रास्ता चुना है। जाहिर है 31 जनवरी के बाद मध्य प्रदेश में बीएसएनल में 2800 कर्मचारी अधिकारी बचेंगे। कर्मचारी अधिकारियों की संख्या कम होने से बीएसएनएल को हर माह 27 करोड़ रुपए की बचत होगी। मध्य प्रदेश बीएसएनएल की वार्षिक आय 660 करोड़ों रुपए है। इसके एवज में हर साल 750 करोड रुपए से अधिक खर्च होता है। 50 करोड़ों रुपए सिर्फ वेतन पर हर माह खर्च होता है। 33 सौ कर्मचारियों के वीआरएस के बाद यह खर्च 23 करोड़ रह जाएगा। बीएसएनएल के सीजीएम महेश शुक्ला का कहना है कि बीएसएनएल में सैलरी एक्सपेंडिचर का बिल बहुत ज्यादा है। 85 फीसदी खर्च सिर्फ सैलरी पर होता है सरकार की ऐसी मंशा है कि कर्मचारियों की संख्या कम करने के बाद जो पैसा बचेगा उसका उपयोग दूसरी सुविधाओं में किया जा सकेगा।

बीएसएनएल के आधे उपभोक्ता केंद्र प्राइवेट हाथों में सौंपे जाएंगे

बीएसएनएल के सीजीएम महेश शुक्ला के मुताबिक कर्मचारियों अधिकारियों की संख्या कम होने के बाद बाकी बचे कर्मचारी अधिकारियों को ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही बीएसएनएल में कर्मचारी अधिकारियों की संख्या घटने के बाद अब उपभोक्ता केंद्रों को आउट सोर्स करने का निर्णय लिया गया है। मध्य प्रदेश में करीब 3000 उपभोक्ता केंद्र हैं जिनमें से आधे उपभोक्ता केंद्रों को निजी हाथों में सौंपा जाएगा, इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है।


Conclusion:
Last Updated : Jan 21, 2020, 2:37 PM IST
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