भोपाल। गर्मी का मौसम आते ही फलों में सबसे पहले आम का नाम सामने आता है. आम ऐसा फल है जो सभी को पसंद होता है. इसलिए इसे को फलों का राजा (king of fruits mango) कहा जाता है. गर्मी में लू की लपटों के बीच आम का रस और कच्चे आम का पना लोगों को राहत दिलाता है. लेकिन इस बार फिलहाल बाजार से आम गायब रहने से लोग मायूस हो रहे हैं. फलों के राजा आम की मंडियों में आवक बहुत कम है. जानकारों के मुताबिक इसके लिए अभी 15 दिन और इंतजार करना पड़ेगा. साथ ही इस बार आम के महंगे रहने के आसार हैं.
15 दिन करना पड़ेगा इंतजार: इस साल फरवरी में पड़ी कड़ाके की ठंड और मार्च में औसत से अधिक गर्मी के कारण ग्लोबल वार्मिंग की मार आम के उत्पादन पर पड़ी है. नतीजा यह हुआ की फरवरी में ठंड के चलते आम के पेड़ में बौर इस साल एक महीने देरी से आई. आमतौर पर 15 मार्च के बाद मंडियों में देसी कच्चे आम मिलना शुरू हो जाते हैं लेकिन इस साल फसल लेट होने के कारण फलों के राजा आम के स्वाद के लिए अभी 15 दिन और इंतजार करना पड़ सकता है.
ठंड और गर्मी बढ़ने से फसल प्रभावित: खेती के जानकारों का कहना है कि ठंड के चलते आम में बौर देरी से आई, उसके बाद मार्च में तापमान अचानक बढ़ गया. जिससे आम की फसल प्रभावित हुई. देसी आम के साथ ही बाहर से आने वाले बादाम, तोतापुरी और अन्य नाम पर भी मौसम की मार पड़ी है. दक्षिण भारत से आए आमों की थोड़ी बहुत आवक हो रही है. लेकिन आमों की कमी के चलते इनकी कीमत भी 4 गुना ज्यादा है. कच्चा आम 80 से 100 रुपए किलो मिल रहा है.
बाहर से आ रहा आम, बिक रहा महंगा: इस साल इन दिनों में सड़क किनारे और ठेलों पर आम की दुकानें सज जाती थीं, लेकिन अभी ना तो कच्चे और न पके आम के ठेले दिखाई दे रहे हैं और ना ही जूस की दुकानों में आम के रस का स्वाद लोग चख पा रहे हैं. फल विक्रेता पुरुषोत्तम साहू का कहना है कि बाजार में आम को आने में 15 दिन से अधिक का समय लग सकता है. अभी जो आम थोड़ा बहुत मिल रहा है, वह बाहर से आ रहा है जिसकी कीमतें आसमान पर हैं.
यह समय होता है आम के लिए अनुकूल: आम के पेड़ों में बौर लगने के लिए तापमान 15 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए, इसके लिए 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच का समय अनुकूल माना जाता है. हर साल इस अवधि में आम में बौर लग जाती है. फल बनने में एक महिने का समय लगता है. जिससे अप्रैल में आम की आवक शुरू हो जाती है. लेकिन इस साल फरवरी तक ठंड रहने के चलते बौर मार्च के पहले हफ्ते में आई, जिस वजह से आम बाजार आने में लेट हो गई.
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