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Book on Revolutionary: 10 साल की जुड़वा बहनें बनीं लेखिका, किताब में संजोया आजादी और क्रांति का इतिहास

10 साल की देवयानी और शिवरंजनी जुड़वां बहने हैं, जिन्होंने छोटी सी उम्र में 'सरस्वती राजामणि- एक भूली बिसरी जासूस' के चरित्र पर किताब लिखकर उपलब्धि हासिल की है. अब उनकी किताब का विमोचन सीएम शिवराज ने किया है. आइए जानते हैं किताब के जरिए आजादी और क्रांति के इतिहास के बारे में- Book on Revolutionary, female detective saraswathi rajamani

twins writer kid Devyani Shivranjani
देवयानी और शिवरंजनी ने जासूस सरस्वती राजामणि पर लिखी किताब
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Published : Aug 13, 2022, 10:26 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:08 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की दस वर्ष की देवयानी और शिवरंजनी ने इस छोटी उम्र में किताब लिख डाली है, कमाल सिर्फ इस उम्र में किताब लिख देना भर नहीं है. कमाल इनकी किताब का विषय भी है. भारत की सबसे कम उम्र की लेखिकाओं में शुमार देवयानी और शिवरंजनी ने भारत की सबसे कम उम्र की जासूस सरस्वती राजामणि को अपनी किताब के विषय के तौर पर चुना. 'सरस्वती राजामणि- एक भूली बिसरी जासूस', इस नाम से आई इनकी किताब में आजाद हिंद फौज की सबसे छोटी सिपाही, एक गुमनाम स्वाधानीता सेनानी की कहानी है. ये किताब आजादी का 75 वर्ष मना रहे देश को इन जुड़वा बहनों की सौगात भी है. अब इस नेक काम के बाद सीएम शिवराज ने किताब का विमोचन किया है. Azadi Ka Amrit Mahotsav, Indian independence day

देवयानी और शिवरंजनी ने जासूस सरस्वती राजामणि पर लिखी किताब

मालूम रहे आजादी की कीमत: भारत की आजादी में बच्चों का क्या योगदान था? देवयानी और शिवरंजनी इस सवाल के पीछे भागते हुए आजाद हिंद फौज की सबसे छोटी उम्र की सिपाही सरस्वती राजामणि तक पहुंच गईं. इंटरनेट की मदद से पहले उनके विषय में जानकारी जुटाई. और फिर दोनों ने तय किया किताब तो उस बहादुर लड़की पर ही लिखी जाएगी, जिसने आजाद हिंद फौज के लिए अपने सारे गहने दान कर दिए थे. गर्मी की छुट्टियों ने भरपूर वक्त देने के बाद देवयानी और शिवरंजनी ने करीब एक साल में ये किताब पूरी कर ली. चूंकि ये किताब इन दोनों बहनों की साझा कोशिश है. लिहाजा कहानी कैसे पेश की जाए. इस विचार से लेकर उसके साथ बनाए जाने वाले चित्रों तक पहले दोनों चर्चा करती थीं, फिर एक राय होकर काम में आगे बढ़ाती थीं. Book on Revolutionary

  • मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj ने आज स्मार्ट उद्यान में श्रीमती स्मिता भारद्वाज और उनकी दोनों बेटियों देवयानी और शिवरंजनी, महाराष्ट्र के राष्ट्रवादी विचारक, समाजसेवी सुराणा बंधुओं और शोभा देवी सामाजिक संस्था,भोपाल के सदस्यों के साथ करंज, बरगद और गुलमोहर के पौधे लगाए। pic.twitter.com/WJmT87V9o2

    — Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) August 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शहीद के त्याग और समर्पण का करें सम्मान: दस वर्ष की शिवरंजनी कहतीं हैं कि, "यह किताब इसलिए लिखी जानी जरुरी थी जिससे हमारी पीढ़ी उन देशभक्तों को भूल ना जाए, जिनकी बदौलत हमें आजादी मिली." देवयानी कहती हैं, "यही वजह थी कि हमने सर्च किया और सरस्वती राजामणी के साथ एक ऐसी गुमनाम स्वाधीनता सेनानी की कहानी चुनी, जिनके बारे में लोग ज्यादा जानते नहीं हैं. उन्होंने अपने पूरे जेवर आजाद हिंद फौज को दान दे दिए थे. 16 वर्ष की छोटी उम्र में वो आजाद हिंद फौज का हिस्सा बन गई, देश की सबसे छोटी उम्र की जासूस बनीं. हमारे जैसे बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी उनके बारे में जानना चाहिए. शिवरंजनी ने कहा कि, "ऐसे कितने गुमनाम शहीद होंगे, जिनकी वजह से हमको आजादी मिली है. हमारी ड्यूटी है कि हम उनके त्याग और समर्पण का सम्मान करें."

Book on Revolutionary
10 साल की जुड़वा बहनें बनीं लेखिका

36 पन्नों में दर्ज देशभक्त लड़की का संघर्ष: कुल 36 पन्नों की किताब में एक देशभक्त सेनानी की कहानी को सिलसिलेवार शब्दों में उतारना इन नन्हीं लेखिकों के लिए इतना मुश्किल नहीं था. चुनौती थी उस दौर की कहानी को तस्वीरों में बयां करना. इस किताब की खासियत है कि हर पन्ने पर कहानी के एक हिस्से के साथ उससे जुड़े चित्र भी मौजूद हैं, जो देवयानी और शिवरंजनी ने ही बनाए हैं. चित्रों में गुलामी के दौर के भारत और बर्मा को उतार पाना आसान नहीं था. इसके लिए भी उन्होने काफी रिसर्च किया है. देवयानी बताती हैं, "सरस्वती राजामणि का जन्म म्यांमार में हुआ था, वो भारत की पहली महिला जासूस थी. आजाद हिंद फौज में रहकर उन्होने अंग्रेजों की जासूसी की और कई अहम जानकारियां जुटाई थी. हमें अपने चित्रों में उस वक्त का भारत दिखाना था, उस दौर का म्यामार दिखाना था, तो इसके लिए हमें काफी रिसर्च करना पड़ा."

16 माह की उम्र में तीन रेकॉर्ड, 26 देशों के नाम, 195 देशों के झंडे को पहचानता है रीवा का यह लिटिल गूगल ब्यॉय

किताब का कवर पेज भी कहानी: शिवरंजनी और देवयानी की किताब सरस्वती राजामणि का कवर पेज भी एक कहानी ही है, इन दोनों नन्ही लेखिकाओं ने तस्वीरों के जरिए इस कवर पेज पर एक कहानी लिखी है. असल में कवर पेज पर आज से 25 साल बाद यानि 100 वर्ष के हो चुके भारत की कल्पना है. देवयानी बताती हैं कि, "ये भारत माता हमने बनाई हैं और उनके आस-पास बदलते भारत की पूरी तस्वीर है. कैसे भारत अंतरिक्ष में अपना परचम लहराएगा. कैसे बुलैट ट्रैन का समय आएगा. हमारी आस्था, हमारे किसान, जमीन से लेकर आसमान तक 100 वर्ष बाद हमारा भारत कैसे बदल जाएगा, ये हमने कवर पेज में दिखाया है.

Revolutionary female detective saraswathi rajamani
सीएम शिवराज ने किया किताब का विमोचन

सूर्य नमस्कार पर भी लिख चुकी हैं किताब: 'सरस्वती राजामणि- एक भूली बिसरी जासूस' female detective saraswathi rajamani ये देवयानी और शिवरंजनी की लिखी दूसरी किताब है. इससे पहले वे योग पर आधारित किताब 'सूर्य नमस्कार' लिख चुकीं हैं. खास बात ये है कि अपनी पहली किताब में भी इन जुड़वा बहनों ने चित्रों के जरिए कहानी को आगे बढ़ाया था और किताब के सारे चित्र दोनों ने खुद ही बनाए थे.

मां को देखकर सीखा योग करना, 10 साल की उम्र में हुआ माहिर

अगली किताब में होगी नदी से बात: शिवरंजनी और देवयानी दस वर्ष की उम्र में ही अब अपनी तीसरी किताब की तैयारी में जुट गई हैं. देवयानी बताती हैं, "हमारी अगली किताब नदियों पर होगी. नदी में रहने वाले जीव-जंतु, नदी के पूरे इको सिस्टम पर हमारी अगली किताब होगी."

मोबाईल के दौर में किताबों की संगत कैसे? शिवरंजनी और देवयानी भी उसी दौर के बच्चे हैं. जब ऑनलाइन एजुकेशन के लंबे वक्त ने बच्चों के हाथ में मोबाइल की गिरफ्त दिनों दिन मजबूत कर दी है. शिवरंजनी और देवयानी की मां स्मिता भारद्वाज बताती हैं, "इन दोनों हमेशा ही किताबों से दोस्ती बहुत मजबूत रखी. पैरेंटिंग का एक जरुरी कायदा है जो आप बच्चों में नहीं देखना चाहते वो पहले खुद छोड़ें. आप मोबाइल पकड़े रहेंगे तो बच्चों को ऑनलाइन गेम से नहीं रोक सकते. मेरी बेटियों की अपनी 500 किताबों की लाइब्रेरी है. खाली वक्त में हम हमेशा ही कुछ क्रिएटिव करते हैं, यही वजह है कि देवयानी और शिवरंजनी की जिंदगी में मोबाइल, टीवी के लिए जगह ही नहीं है. वो हर वक्त कुछ नया रचना चाहती हैं."

भोपाल। मध्यप्रदेश की दस वर्ष की देवयानी और शिवरंजनी ने इस छोटी उम्र में किताब लिख डाली है, कमाल सिर्फ इस उम्र में किताब लिख देना भर नहीं है. कमाल इनकी किताब का विषय भी है. भारत की सबसे कम उम्र की लेखिकाओं में शुमार देवयानी और शिवरंजनी ने भारत की सबसे कम उम्र की जासूस सरस्वती राजामणि को अपनी किताब के विषय के तौर पर चुना. 'सरस्वती राजामणि- एक भूली बिसरी जासूस', इस नाम से आई इनकी किताब में आजाद हिंद फौज की सबसे छोटी सिपाही, एक गुमनाम स्वाधानीता सेनानी की कहानी है. ये किताब आजादी का 75 वर्ष मना रहे देश को इन जुड़वा बहनों की सौगात भी है. अब इस नेक काम के बाद सीएम शिवराज ने किताब का विमोचन किया है. Azadi Ka Amrit Mahotsav, Indian independence day

देवयानी और शिवरंजनी ने जासूस सरस्वती राजामणि पर लिखी किताब

मालूम रहे आजादी की कीमत: भारत की आजादी में बच्चों का क्या योगदान था? देवयानी और शिवरंजनी इस सवाल के पीछे भागते हुए आजाद हिंद फौज की सबसे छोटी उम्र की सिपाही सरस्वती राजामणि तक पहुंच गईं. इंटरनेट की मदद से पहले उनके विषय में जानकारी जुटाई. और फिर दोनों ने तय किया किताब तो उस बहादुर लड़की पर ही लिखी जाएगी, जिसने आजाद हिंद फौज के लिए अपने सारे गहने दान कर दिए थे. गर्मी की छुट्टियों ने भरपूर वक्त देने के बाद देवयानी और शिवरंजनी ने करीब एक साल में ये किताब पूरी कर ली. चूंकि ये किताब इन दोनों बहनों की साझा कोशिश है. लिहाजा कहानी कैसे पेश की जाए. इस विचार से लेकर उसके साथ बनाए जाने वाले चित्रों तक पहले दोनों चर्चा करती थीं, फिर एक राय होकर काम में आगे बढ़ाती थीं. Book on Revolutionary

  • मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj ने आज स्मार्ट उद्यान में श्रीमती स्मिता भारद्वाज और उनकी दोनों बेटियों देवयानी और शिवरंजनी, महाराष्ट्र के राष्ट्रवादी विचारक, समाजसेवी सुराणा बंधुओं और शोभा देवी सामाजिक संस्था,भोपाल के सदस्यों के साथ करंज, बरगद और गुलमोहर के पौधे लगाए। pic.twitter.com/WJmT87V9o2

    — Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) August 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शहीद के त्याग और समर्पण का करें सम्मान: दस वर्ष की शिवरंजनी कहतीं हैं कि, "यह किताब इसलिए लिखी जानी जरुरी थी जिससे हमारी पीढ़ी उन देशभक्तों को भूल ना जाए, जिनकी बदौलत हमें आजादी मिली." देवयानी कहती हैं, "यही वजह थी कि हमने सर्च किया और सरस्वती राजामणी के साथ एक ऐसी गुमनाम स्वाधीनता सेनानी की कहानी चुनी, जिनके बारे में लोग ज्यादा जानते नहीं हैं. उन्होंने अपने पूरे जेवर आजाद हिंद फौज को दान दे दिए थे. 16 वर्ष की छोटी उम्र में वो आजाद हिंद फौज का हिस्सा बन गई, देश की सबसे छोटी उम्र की जासूस बनीं. हमारे जैसे बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी उनके बारे में जानना चाहिए. शिवरंजनी ने कहा कि, "ऐसे कितने गुमनाम शहीद होंगे, जिनकी वजह से हमको आजादी मिली है. हमारी ड्यूटी है कि हम उनके त्याग और समर्पण का सम्मान करें."

Book on Revolutionary
10 साल की जुड़वा बहनें बनीं लेखिका

36 पन्नों में दर्ज देशभक्त लड़की का संघर्ष: कुल 36 पन्नों की किताब में एक देशभक्त सेनानी की कहानी को सिलसिलेवार शब्दों में उतारना इन नन्हीं लेखिकों के लिए इतना मुश्किल नहीं था. चुनौती थी उस दौर की कहानी को तस्वीरों में बयां करना. इस किताब की खासियत है कि हर पन्ने पर कहानी के एक हिस्से के साथ उससे जुड़े चित्र भी मौजूद हैं, जो देवयानी और शिवरंजनी ने ही बनाए हैं. चित्रों में गुलामी के दौर के भारत और बर्मा को उतार पाना आसान नहीं था. इसके लिए भी उन्होने काफी रिसर्च किया है. देवयानी बताती हैं, "सरस्वती राजामणि का जन्म म्यांमार में हुआ था, वो भारत की पहली महिला जासूस थी. आजाद हिंद फौज में रहकर उन्होने अंग्रेजों की जासूसी की और कई अहम जानकारियां जुटाई थी. हमें अपने चित्रों में उस वक्त का भारत दिखाना था, उस दौर का म्यामार दिखाना था, तो इसके लिए हमें काफी रिसर्च करना पड़ा."

16 माह की उम्र में तीन रेकॉर्ड, 26 देशों के नाम, 195 देशों के झंडे को पहचानता है रीवा का यह लिटिल गूगल ब्यॉय

किताब का कवर पेज भी कहानी: शिवरंजनी और देवयानी की किताब सरस्वती राजामणि का कवर पेज भी एक कहानी ही है, इन दोनों नन्ही लेखिकाओं ने तस्वीरों के जरिए इस कवर पेज पर एक कहानी लिखी है. असल में कवर पेज पर आज से 25 साल बाद यानि 100 वर्ष के हो चुके भारत की कल्पना है. देवयानी बताती हैं कि, "ये भारत माता हमने बनाई हैं और उनके आस-पास बदलते भारत की पूरी तस्वीर है. कैसे भारत अंतरिक्ष में अपना परचम लहराएगा. कैसे बुलैट ट्रैन का समय आएगा. हमारी आस्था, हमारे किसान, जमीन से लेकर आसमान तक 100 वर्ष बाद हमारा भारत कैसे बदल जाएगा, ये हमने कवर पेज में दिखाया है.

Revolutionary female detective saraswathi rajamani
सीएम शिवराज ने किया किताब का विमोचन

सूर्य नमस्कार पर भी लिख चुकी हैं किताब: 'सरस्वती राजामणि- एक भूली बिसरी जासूस' female detective saraswathi rajamani ये देवयानी और शिवरंजनी की लिखी दूसरी किताब है. इससे पहले वे योग पर आधारित किताब 'सूर्य नमस्कार' लिख चुकीं हैं. खास बात ये है कि अपनी पहली किताब में भी इन जुड़वा बहनों ने चित्रों के जरिए कहानी को आगे बढ़ाया था और किताब के सारे चित्र दोनों ने खुद ही बनाए थे.

मां को देखकर सीखा योग करना, 10 साल की उम्र में हुआ माहिर

अगली किताब में होगी नदी से बात: शिवरंजनी और देवयानी दस वर्ष की उम्र में ही अब अपनी तीसरी किताब की तैयारी में जुट गई हैं. देवयानी बताती हैं, "हमारी अगली किताब नदियों पर होगी. नदी में रहने वाले जीव-जंतु, नदी के पूरे इको सिस्टम पर हमारी अगली किताब होगी."

मोबाईल के दौर में किताबों की संगत कैसे? शिवरंजनी और देवयानी भी उसी दौर के बच्चे हैं. जब ऑनलाइन एजुकेशन के लंबे वक्त ने बच्चों के हाथ में मोबाइल की गिरफ्त दिनों दिन मजबूत कर दी है. शिवरंजनी और देवयानी की मां स्मिता भारद्वाज बताती हैं, "इन दोनों हमेशा ही किताबों से दोस्ती बहुत मजबूत रखी. पैरेंटिंग का एक जरुरी कायदा है जो आप बच्चों में नहीं देखना चाहते वो पहले खुद छोड़ें. आप मोबाइल पकड़े रहेंगे तो बच्चों को ऑनलाइन गेम से नहीं रोक सकते. मेरी बेटियों की अपनी 500 किताबों की लाइब्रेरी है. खाली वक्त में हम हमेशा ही कुछ क्रिएटिव करते हैं, यही वजह है कि देवयानी और शिवरंजनी की जिंदगी में मोबाइल, टीवी के लिए जगह ही नहीं है. वो हर वक्त कुछ नया रचना चाहती हैं."

Last Updated : Aug 13, 2022, 11:08 PM IST
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