भोपाल। आम तौर पर केंद्र सरकार पूरे वित्तीय वर्ष में आर्थिक लाभ-हानि का हिसाब लगाकर बजट बनाती है और इसी के तहत उन योजनाओं की घोषणा की जाती है जिनके आधार पर देश के विकास की गति बढ़ाई जाएगी. लेकिन, बजट से हटकर भी कई ऐसी योजनाएं होती हैं जिन्हें तात्कालिक परिस्थितियों के हिसाब से लागू किया जाता है या उनकी घोषणा की जाती है. केंद्र की मोदी सरकार ने भी 2018 का बजट पेश करने के बाद कुछ ऐसी योजनाओं की घोषणा की जिनका जिक्र बजट भाषण में नहीं था.
मोदी सरकार के अचानक लिए फैसलों में सबसे बड़ा फैसला था गरीब सवर्णों को आरक्षण देना. मोदी सरकार ने इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में गरीब सवर्णों को आरक्षण की घोषणा कर सब को चौंका दिया. खास बात ये कि घोषणा के बात तेजी दिखाते हुए सरकार ने इसे लोकसभा और राज्यसभा से पास कराकर अमली जामा भी पहना दिया. हालांकि जानकार मानते हैं कि मोदी सरकार ने चुनावी लाभ लेने और एससी-एसटी एक्ट पर हुई किरकिरी से बचने के लिए ये कदम उठाया. इसी तरह 22 उत्पादों पर जीएसटी की दरों में बदलाव भी ऐसा चौंकाने वाला कदम था, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी, क्योंकि इससे पहले तक सरकार जीएसटी की दरों का बचाव कर रही थी.जीएसटी की दरों पर लगातार हो रहे विरोध के बाद 22 उत्पादों के जीएसटी स्लैब बदल दिए गए. खास बात ये कि जिन उत्पादों के स्लैब बदले गए उनमें सात चीजें ऐसी थीं, जो जीएसटी के सबसे ऊंचे 28 फीसदी स्लैब के तहत आती थीं, जिनमें कुछ कृषि उत्पाद, 32 इंच तक के टीवी और पावर बैंक जैसी चीजें शामिल हैं. इन सबके अलावा इस वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में दो हज़ार के नोटों की छपाई रोकने की खबर भी चर्चा में रही.
वित्तीय वर्ष की अंतिम तिहाई की शुरूआत में ही दो हजार के नये नोटों की छपाई रोकने का फैसला भी लिया गया. बिज़नेस टूडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दो हजार के नोटों की छपाई रोकने के साथ ही उन्हें धीरे-धीरे बाजार से वापस भी लिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि मोदी सरकार को आशंका थी कि उच्च मूल्य वाली मुद्रा के जरिये मनी लाउन्ड्रिंग जैसे काम किये जा रहे हैं, जिसके चलते ये फैसला लिया गया. हालांकि RBI ने दो हजार के नोटों के सर्कुलेशन से बाहर होने के बारे में अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है.