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गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को मंजूरी दी

एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि कार्यक्रम का नाम खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन है. इसका मकसद देश के विभिन्न भागों में बेरोजगार और प्रवासी मजदूरों के लिये रोजगार सृजित करने के साथ घरेलू स्तर पर अगरबत्ती उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है.

गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को मंजूरी दी
गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को मंजूरी दी
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Published : Aug 2, 2020, 5:44 PM IST

नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के रोजगार सृजन कार्यक्रम के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि कार्यक्रम का नाम खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन है. इसका मकसद देश के विभिन्न भागों में बेरोजगार और प्रवासी मजदूरों के लिये रोजगार सृजित करने के साथ घरेलू स्तर पर अगरबत्ती उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है.

मंत्रालय के अनुसार, "प्रस्ताव पिछले महीने मंजूरी के लिये एमएसएमई मंत्रालय को दिया गया. जल्दी ही पायलट परियोजना शुरू होगी. परियोजना के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन से हजारों की संख्या में रोजगार सृजित होंगे."

ये भी पढे़ं- भारत की 8 अरब डॉलर की योजना के लिए एआईआईबी कर रहा बातचीत

कार्यक्रम का मकसद क्षेत्र के कारीगरों की मदद करना और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग का समर्थन करना है. देश में फिलहाल अगरबत्ती की खपत करीब 1,490 टन की है, जबकि स्थानीय उत्पादन केवल 760 टन है. मंत्रालय ने कहा कि मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है, इसीलिए रोजगार सृजन के लिये इस क्षेत्र में काफी गुंजाइश है.

योजना के तहत केवीआईसी अगरबत्ती बनने के लिये कारीगरों को स्वचालित मशीनें और पाउडर मिलाने वाली मशीनें उपलब्ध कराएगा. यह सब निजी अगरबत्ती विनिर्माताओं के जरिये किया जाएगा जो व्यापार भागीदार के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

केवीआईसी ने केवल देश में भारतीयों द्वारा विनिर्मित मशीनें ही खरीदने का निर्णय किया है. इससे पहले, केंद्र ने घरेलू उद्योग की मदद के लिये अगरबत्ती क्षेत्र के लिये दो बड़े निर्णय किये. एक तरफ जहां इसे मुक्त व्यापार से प्रतिबंधित व्यापार की श्रेणी में लाया गया, वहीं अगरबत्ती बनाने में काम आने वाले बांस से बनी गोल पतली लकड़ी पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया.

केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि केंद्र सरकार के दोनों निर्णयों से अगरबत्ती उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हो रहे हैं. उन्होंने कहा, "रोजगार सृजन के इस अवसर को भुनाने के लिये केवीआईसी ने खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन नाम से कार्यक्रम तैयार किया है. और उसे मंजूरी के लिये एमएसएमई मंत्रालय को दिया है."

केवीआईसी मशीन की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी देगा और 75 प्रतिशत राशि कारीगरों से हर महीने आसान किस्त के रूप में लेगा. योजना के तहत व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिये कच्चा माल उपलब्ध कराएंगे और काम के आधार पर उन्हें मेहनताना देंगे.

कारीगरों के प्रशिक्षण के लिये खर्चा केवीआईसी और निजी व्यापार भागीदारी के बीच साझा किया जाएगा. इसमें आयोग 75 प्रतिशत लागत वहन करेगा जबकि 25 प्रतिशत का भुगतान व्यापार भागीदार करेंगे.

मंत्रालय के अनुसार प्रत्येक स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन से प्रतिदिन 80 किलो अगरबत्ती बनायी जा सकती है. इससे चार लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा. इसके अलावा पांच अगरबत्ती मशीन पर एक पाडर मिलाने की मशीन दी जाएगी. इससे दो लोगों को रोजगार मिलेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के रोजगार सृजन कार्यक्रम के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि कार्यक्रम का नाम खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन है. इसका मकसद देश के विभिन्न भागों में बेरोजगार और प्रवासी मजदूरों के लिये रोजगार सृजित करने के साथ घरेलू स्तर पर अगरबत्ती उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है.

मंत्रालय के अनुसार, "प्रस्ताव पिछले महीने मंजूरी के लिये एमएसएमई मंत्रालय को दिया गया. जल्दी ही पायलट परियोजना शुरू होगी. परियोजना के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन से हजारों की संख्या में रोजगार सृजित होंगे."

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कार्यक्रम का मकसद क्षेत्र के कारीगरों की मदद करना और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग का समर्थन करना है. देश में फिलहाल अगरबत्ती की खपत करीब 1,490 टन की है, जबकि स्थानीय उत्पादन केवल 760 टन है. मंत्रालय ने कहा कि मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है, इसीलिए रोजगार सृजन के लिये इस क्षेत्र में काफी गुंजाइश है.

योजना के तहत केवीआईसी अगरबत्ती बनने के लिये कारीगरों को स्वचालित मशीनें और पाउडर मिलाने वाली मशीनें उपलब्ध कराएगा. यह सब निजी अगरबत्ती विनिर्माताओं के जरिये किया जाएगा जो व्यापार भागीदार के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

केवीआईसी ने केवल देश में भारतीयों द्वारा विनिर्मित मशीनें ही खरीदने का निर्णय किया है. इससे पहले, केंद्र ने घरेलू उद्योग की मदद के लिये अगरबत्ती क्षेत्र के लिये दो बड़े निर्णय किये. एक तरफ जहां इसे मुक्त व्यापार से प्रतिबंधित व्यापार की श्रेणी में लाया गया, वहीं अगरबत्ती बनाने में काम आने वाले बांस से बनी गोल पतली लकड़ी पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया.

केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि केंद्र सरकार के दोनों निर्णयों से अगरबत्ती उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हो रहे हैं. उन्होंने कहा, "रोजगार सृजन के इस अवसर को भुनाने के लिये केवीआईसी ने खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन नाम से कार्यक्रम तैयार किया है. और उसे मंजूरी के लिये एमएसएमई मंत्रालय को दिया है."

केवीआईसी मशीन की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी देगा और 75 प्रतिशत राशि कारीगरों से हर महीने आसान किस्त के रूप में लेगा. योजना के तहत व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिये कच्चा माल उपलब्ध कराएंगे और काम के आधार पर उन्हें मेहनताना देंगे.

कारीगरों के प्रशिक्षण के लिये खर्चा केवीआईसी और निजी व्यापार भागीदारी के बीच साझा किया जाएगा. इसमें आयोग 75 प्रतिशत लागत वहन करेगा जबकि 25 प्रतिशत का भुगतान व्यापार भागीदार करेंगे.

मंत्रालय के अनुसार प्रत्येक स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन से प्रतिदिन 80 किलो अगरबत्ती बनायी जा सकती है. इससे चार लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा. इसके अलावा पांच अगरबत्ती मशीन पर एक पाडर मिलाने की मशीन दी जाएगी. इससे दो लोगों को रोजगार मिलेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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