ETV Bharat / briefs

नरसिंहपुर में है एक अनोखा मंदिर, लोग मांगते हैं शादी की दुआ - राजा बाबू

नरसिंहपुर में आने वाले आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में राजा बाबू का एक प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर क्षेत्र के आदिवासियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बिंदु है. माना जाता है कि यहां मांगी गई शादी की मनोकामना जरूर पूरी होती है.

राजा बाबू मंदिर
author img

By

Published : Apr 10, 2019, 12:47 PM IST

नरसिंहपुर। जिले में एक मंदिर ऐसा है, जहां कुंवारे अपनी शादी की दुआ मांगने आते हैं. मान्यता है कि यहां कुंवारे लोगों की मंदिर में हाजिरी लगाने से शादी हो जाती है, जिसके बाद वे मंदिर में पगड़ी चढ़ाते हैं. आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में राजा बाबू का प्राचीन मंदिर है, जो आदिवासी समुदाय की आस्था का केंद्र है.

यहां पूरी होती है शादी की मनोकामना

राजा बाबू के इस मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है. आदिवासी समाज में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले कम होती है, इसलिए यहां लड़कों की शादी काफी मुसीबतों के बाद होती है. उन्हें शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं. अपनी शादी की आस लिए कुंवारे इस मन्दिर में आते हैं और राजा बाबू से शादी की प्रार्थना करते हैं. शादी होने पर पगड़ी चढ़ाने की प्रथा का पालन भी युवा करते हैं. मंदिर में मन्नत मांगने के बाद जिन नौजवानों की शादियां हो जाती है, वह खुद घोड़ी पर बैठने के पहले राजा बाबू के दर पर पगड़ी चढ़ाते हैं.

दरअसल मंदिर क्षेत्र एक राजा राजा बाबू का है, जो एक गोंड राजा थे और युद्ध में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए थे. वे देवी मां के उपासक थे. लोग बताते हैं कि उनके शरीर का निचला हिस्सा गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है. वहीं इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है. राजा बाबू के मंदिर जाने का रास्ता काफी दुर्गम है. वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नहीं बनी है. यहां जाने के लिए पथरीले रास्तों पर चढ़कर पहुंचना होता है.

नरसिंहपुर। जिले में एक मंदिर ऐसा है, जहां कुंवारे अपनी शादी की दुआ मांगने आते हैं. मान्यता है कि यहां कुंवारे लोगों की मंदिर में हाजिरी लगाने से शादी हो जाती है, जिसके बाद वे मंदिर में पगड़ी चढ़ाते हैं. आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में राजा बाबू का प्राचीन मंदिर है, जो आदिवासी समुदाय की आस्था का केंद्र है.

यहां पूरी होती है शादी की मनोकामना

राजा बाबू के इस मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है. आदिवासी समाज में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले कम होती है, इसलिए यहां लड़कों की शादी काफी मुसीबतों के बाद होती है. उन्हें शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं. अपनी शादी की आस लिए कुंवारे इस मन्दिर में आते हैं और राजा बाबू से शादी की प्रार्थना करते हैं. शादी होने पर पगड़ी चढ़ाने की प्रथा का पालन भी युवा करते हैं. मंदिर में मन्नत मांगने के बाद जिन नौजवानों की शादियां हो जाती है, वह खुद घोड़ी पर बैठने के पहले राजा बाबू के दर पर पगड़ी चढ़ाते हैं.

दरअसल मंदिर क्षेत्र एक राजा राजा बाबू का है, जो एक गोंड राजा थे और युद्ध में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए थे. वे देवी मां के उपासक थे. लोग बताते हैं कि उनके शरीर का निचला हिस्सा गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है. वहीं इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है. राजा बाबू के मंदिर जाने का रास्ता काफी दुर्गम है. वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नहीं बनी है. यहां जाने के लिए पथरीले रास्तों पर चढ़कर पहुंचना होता है.

Intro:एंकर। नरसिंहपुर। नरसिंहपुर जिले में एक मंदिर ऐसा है जहाँ कुँवारे अपनी शादी की दुआ मांगने आते है, जिन कुँवारे लोगो की मंदिर में हाजरी लगाने से शादी हो जाती है वह यहां मंदिर में पगड़ी चढ़ाते है। दरअसल नरसिंहपुर जिले में आने वाले आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में पड़ने वाले इस मंदिर में राजा बाबू का एक प्राचीन मंदिर है, यह मंदिर क्षेत्र के आदिवासियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बिंदु है, नवरात्र में यहां भक्तो की काफी भीड़ उमड़ती है, सतपुड़ा की हसीन वादियों के बीच स्थित यह मंदिर क्षेत्र के एक राजा राजा बाबू का है, जो कि एक गोड़ राजा थे और युद्ध मे लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए है, वह देवी उपासक थे और उनके शरीर का निचला हिस्सा धड़ गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है, वही इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है।


Body:वीओ 2। राजा बाबू के मंदिर जाने का रास्ता काफी दुर्गम है, वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नही बनी है, यहां जाने के लिए पथरीले रास्तो पर चढ़कर पहुचना होता है। मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है, वह लोग यहा काफी श्रद्धा भाव से मंदिर आते हैं।
आदिवासी समाज मे क्योकि लड़कियों की सँख्या लड़को के मुकाबले कम होती है, इसलिए यहां लड़को की शादी काफी मुसीबतों से होती है इसलिए मन्दिर में शादी योग्य नोजवान अपनी शादी की आस लेकर मन्दिर आते हैं और राजा बाबू से शादी होने पर पगड़ी चढ़ाने की प्रथा का पालन करते है। मंदिर में मन्नत मांगने के बाद जिन नोजवानो की शादियां हो जाती है वह खुद घोड़ी पर बैठने के पहले राजा बाबू के दर पर पगड़ी चढ़ाते है।
मंदिर के बाहर पेड़ पर ऐसी सो से अधिक पगड़ियां बंधी हुई है।

बाइट 1 मंदिर पुजारी
बाइट 2 साईराम आदिवासी श्रद्धालु



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.