नरसिंहपुर। जिले में एक मंदिर ऐसा है, जहां कुंवारे अपनी शादी की दुआ मांगने आते हैं. मान्यता है कि यहां कुंवारे लोगों की मंदिर में हाजिरी लगाने से शादी हो जाती है, जिसके बाद वे मंदिर में पगड़ी चढ़ाते हैं. आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में राजा बाबू का प्राचीन मंदिर है, जो आदिवासी समुदाय की आस्था का केंद्र है.
राजा बाबू के इस मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है. आदिवासी समाज में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले कम होती है, इसलिए यहां लड़कों की शादी काफी मुसीबतों के बाद होती है. उन्हें शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं. अपनी शादी की आस लिए कुंवारे इस मन्दिर में आते हैं और राजा बाबू से शादी की प्रार्थना करते हैं. शादी होने पर पगड़ी चढ़ाने की प्रथा का पालन भी युवा करते हैं. मंदिर में मन्नत मांगने के बाद जिन नौजवानों की शादियां हो जाती है, वह खुद घोड़ी पर बैठने के पहले राजा बाबू के दर पर पगड़ी चढ़ाते हैं.
दरअसल मंदिर क्षेत्र एक राजा राजा बाबू का है, जो एक गोंड राजा थे और युद्ध में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए थे. वे देवी मां के उपासक थे. लोग बताते हैं कि उनके शरीर का निचला हिस्सा गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है. वहीं इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है. राजा बाबू के मंदिर जाने का रास्ता काफी दुर्गम है. वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नहीं बनी है. यहां जाने के लिए पथरीले रास्तों पर चढ़कर पहुंचना होता है.