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पंचकोशी यात्रा का हुआ समापन, यात्रियों का किया जोरदार स्वागत

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Published : May 3, 2019, 7:32 PM IST

उज्जैन आस्था के प्रतीक 118 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा का समापन हो गया है.

पंचकोशी यात्रा का हुआ समापन

उज्जैन। आस्था के प्रतिक 118 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा का समापन हो गया है. यात्रियों ने 118 किलोमीटर की भीषण गर्मी में पैदल यात्रा पूरी कर शहर में प्रवेश किया जहां शहरवासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

पंचकोशी यात्रा का हुआ समापन


दरअसल यह यात्रा लोक जीवन धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. इस यात्रा का उल्लेख स्कंद पुराण में अवंतिका खंड में मिलता है, जिसके अनुसार महाकाल वन के चारों दिशाओं में चार द्वार हैं. पूर्व में पिंगलेश्वर, पश्चिम में तिलकेश्वर, उत्तर में दुर्दरेश्वर और दक्षिण में कायावरोहणेश्वर के मंदिर में श्रद्धालु दर्शन कर वापस उज्जैन लौट कर शिप्रा नदी में डुबकी लगाते हैं.

उज्जैन। आस्था के प्रतिक 118 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा का समापन हो गया है. यात्रियों ने 118 किलोमीटर की भीषण गर्मी में पैदल यात्रा पूरी कर शहर में प्रवेश किया जहां शहरवासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

पंचकोशी यात्रा का हुआ समापन


दरअसल यह यात्रा लोक जीवन धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. इस यात्रा का उल्लेख स्कंद पुराण में अवंतिका खंड में मिलता है, जिसके अनुसार महाकाल वन के चारों दिशाओं में चार द्वार हैं. पूर्व में पिंगलेश्वर, पश्चिम में तिलकेश्वर, उत्तर में दुर्दरेश्वर और दक्षिण में कायावरोहणेश्वर के मंदिर में श्रद्धालु दर्शन कर वापस उज्जैन लौट कर शिप्रा नदी में डुबकी लगाते हैं.

Intro:उज्जैन आस्था के प्रतीक 118 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा का समापन आज हुआ


Body:उज्जैन आस्था के प्रतिक 118 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा का समापन आज हुआ जिस में भीषण गर्मी में पैदल चलकर यात्रा पूरी कर आज उज्जैन शहर में प्रवेश किया यात्रियों के चेहरे पर तेज और उत्साह देख बिल्कुल नहीं लग रहा था कि 118 किलोमीटर की भीषण गर्मी में पैदल यात्रा कर लौट रहे हैं सभी जातियों की स्वागत के लिए शहर भर में अलग-अलग जगह पर खाने-पीने नाश्ते की फ्री व्यवस्था के साथ गर्मी से राहत के लिए फ्रॉक की व्यवस्था भी की गई


Conclusion:उज्जैन शहर में पंचकोशी यात्रा के प्रवेश के दौरान आज अलग ही उत्साह देखने को मिला हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आज नगर में प्रवेश किया जहां देखो सिर्फ श्रद्धालुओं का रेला दिखाई दे रहा था दरअसल यह यात्रा लोक जीवन धर्म और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है इस यात्रा का उल्लेख स्कंद पुराण में अवंतिका खंड में मिलता है जिसके अनुसार महाकाल वन के चारों दिशाओं में चार द्वार है पूर्व में पिंगलेश्वर पश्चिम में तिलकेश्वर उत्तर में दुर्दरेश्वर और दक्षिण में कायावरोहणेश्वर के मंदिर में श्रद्धालु दर्शन कर वापस उज्जैन लौट कर शिप्रा नदी में डुबकी लगाते हैं लाखों श्रद्धालु चिलचिलाती धूप में 24 किलोमीटर 25 दिन चलते हैं हालांकि उनके चेहरे पर थकान की एक रेखा भी नहीं मिलती अपने वर्ग वर्ग और जाति को भूलकर वे सिर्फ ईश्वर भक्त हो जाते है।


बाइट---अवधेश शर्मा (पंडित)

बाइट---ओमप्रकाश श्रद्धालु

बाइट---अन्नपूर्णा शर्मा श्रद्धालु
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