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हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ का बड़ा आदेश, आपसी रंजिश पर नहीं लगेगा एससी-एसटी एक्ट

जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को लेकर बड़ा आदेश दिया है.खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हुए कहा कि यदि मामले में पुरानी रंजिश के तहत कोई इस कानून का गलत उपयोग करता है, तो संबधित व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर संबधित थाना वापस लेगें.

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Published : Mar 8, 2019, 1:22 PM IST

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ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को लेकर बड़ा आदेश दिया है. खंडपीट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी पुरानी रंजिश के चलते विवाद में एससी एसटी एक्ट न लगाया जाए, साथ ही कोर्ट ने संबधित व्यक्ति के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को भी, तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश संबंधित थाना प्रभारी को दिए हैं.

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दरअसल, ग्वालियर के घाटमपुर इलाके के रहने वाले राजेश सिंह भदौरिया का पड़ोस में रहने वाले, दलित परिवार से विवाद चल रहा था.जिसमें एक दिन दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया, जिसके फलस्वरुप दलित परिवार ने राजेश भदौरिया और उनके परिजनों के खिलाफ थाटीपुर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी लेकिन एफआईआर में दलित परिवार ने जातिगत अपमान का कोई आरोप नहीं लगाया. यहां तक की पुलिस ने जब उनके बयान दर्ज किए तब भी उन्होंने इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया. लेकिन मामले में पुलिस अधिकारियों से साठ-गांठ कर पीड़ित ने राजेश भदौरिया सहित परिजन पर एफआईआर में एससी-एसटी एक्ट के तहत धाराएं बढ़वा दी. इसके बाद एक्ट में बढ़ी धाराओं को लेकर राजेश ने ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर की.मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस तरह के मामलों में एससी-एसटी एक्ट न लगाया जाए.

वहीं याचिकाकर्ता अवदेश सिंह भदौरिया का कहना है कि इस आदेश के बाद एससी-एसटी एक्ट के मामले में गिरावट आएगी.साथ ही इससे समाज में समरसता बरकरार रहेगी और जो मामले वाजिब हैं उन पर एससी एसटी एक्ट दर्ज किए जाएंगे.

ग्वालियर। जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को लेकर बड़ा आदेश दिया है. खंडपीट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी पुरानी रंजिश के चलते विवाद में एससी एसटी एक्ट न लगाया जाए, साथ ही कोर्ट ने संबधित व्यक्ति के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को भी, तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश संबंधित थाना प्रभारी को दिए हैं.

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दरअसल, ग्वालियर के घाटमपुर इलाके के रहने वाले राजेश सिंह भदौरिया का पड़ोस में रहने वाले, दलित परिवार से विवाद चल रहा था.जिसमें एक दिन दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया, जिसके फलस्वरुप दलित परिवार ने राजेश भदौरिया और उनके परिजनों के खिलाफ थाटीपुर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी लेकिन एफआईआर में दलित परिवार ने जातिगत अपमान का कोई आरोप नहीं लगाया. यहां तक की पुलिस ने जब उनके बयान दर्ज किए तब भी उन्होंने इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया. लेकिन मामले में पुलिस अधिकारियों से साठ-गांठ कर पीड़ित ने राजेश भदौरिया सहित परिजन पर एफआईआर में एससी-एसटी एक्ट के तहत धाराएं बढ़वा दी. इसके बाद एक्ट में बढ़ी धाराओं को लेकर राजेश ने ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर की.मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इस तरह के मामलों में एससी-एसटी एक्ट न लगाया जाए.

वहीं याचिकाकर्ता अवदेश सिंह भदौरिया का कहना है कि इस आदेश के बाद एससी-एसटी एक्ट के मामले में गिरावट आएगी.साथ ही इससे समाज में समरसता बरकरार रहेगी और जो मामले वाजिब हैं उन पर एससी एसटी एक्ट दर्ज किए जाएंगे.

Intro:ग्वालियर- ग्वालियर हाई कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के दुरुपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है। कि पुरानी रंजिश के चलते विवाद में एससी एसटी एक्ट ना लगाया जाए। साथ ही कोर्ट ने पीड़ित के खिलाफ FIR को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के निर्देश संबंधित थाना प्रभारी को दिए हैं ।


Body:दरअसल ग्वालियर के घाटमपुर इलाके में रहने वाले राजेश भदौरिया का पड़ोस में रहने वाली एक दलित परिवार से विवाद चल रहा था 1 दिन सामान्य बात को लेकर दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया दलित परिवार नहीं राजेश भदौरिया और उनके परिवार जनों के खिलाफ थाटीपुर थाने में एफ आई आर दर्ज करा दी लेकिन एफ आई आर के दौरान दलित परिवार ने जातिगत अपमान का कोई आरोप नहीं लगाया । यहां तक कि पुलिस ने जब उनके बयान दर्ज किए तभी भी उन्होंने इस बात का उल्लेख नहीं किया था । लेकिन बाद में पुलिस अधिकारियों ने सांठगांठ कर एफ आई आर में एससी एसटी एक्ट की धाराओं का इजाफा करा लिया । इस एक्ट की धाराओं का इजाफा होने के बाद राजेश ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर की जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने निर्णय लिया कि इस तरह के मामले में एससी एसटी एक्ट ना लगाया जाए। क्योंकि इन लोगों का पुराना विवाद रहता है। ऐसे में इस तरह की धाराओं का लगाना ठीक बात नहीं है साथ ही उन्होंने थाना प्रभारी को निर्देश दिए हैं। कि पीड़ित के खिलाफ FIR में एससी एसटी एक्ट की धारा को हटाया जाए । याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि इस आदेश के बाद एससी एसटी एक्ट के मामले में गिरावट आएगी और जो वास्तव के मामले होगी वही दर्ज किए जाएंगे ।


Conclusion:बाईट- अबदेश भदौरिया , याचिकाकर्ता
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