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मेडिकल कॉलेज में एनआरआई सीटों से छेड़छाड़, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब - डॉक्टर

जबलपुर हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन से एनआरआई की सीटों से छेड़छाड़ के मामले में जवाब मांगा है.

जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : May 3, 2019, 11:45 PM IST

जबलपुर। मेडिकल कॉलेज में एनआरआई की सीटों से छेड़छाड़ के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को पेश होने को कहा है.

जबलपुर हाईकोर्ट


मध्य प्रदेश में मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं. जिनमें एनआरआई स्टूडेंट ही एडमिशन ले सकते हैं, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन सीटों को सामान्य छात्रों से भरने का मन बना लिया था, लेकिन इसके पहले ही निजी मेडिकल कॉलेज हाईकोर्ट पहुंच गए. हाई कोर्ट ने इस मामले में आज सुनवाई करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को कल जवाब पेश करने को कहा है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों के एनआरआई कोटे के साथ छेड़खानी क्यों की गई है.

जबलपुर। मेडिकल कॉलेज में एनआरआई की सीटों से छेड़छाड़ के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को पेश होने को कहा है.

जबलपुर हाईकोर्ट


मध्य प्रदेश में मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं. जिनमें एनआरआई स्टूडेंट ही एडमिशन ले सकते हैं, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन सीटों को सामान्य छात्रों से भरने का मन बना लिया था, लेकिन इसके पहले ही निजी मेडिकल कॉलेज हाईकोर्ट पहुंच गए. हाई कोर्ट ने इस मामले में आज सुनवाई करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को कल जवाब पेश करने को कहा है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों के एनआरआई कोटे के साथ छेड़खानी क्यों की गई है.

Intro:चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को हाई कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया एन आर आई कोटे का मामला


Body: मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटें एन आर आई स्टूडेंट्स के लिए सुरक्षित हैं इन सीटों के बारे में तर्क यह दिया जाता है कि इन्हीं सीटों के जरिए निजी मेडिकल कॉलेज को मोटी फीस मिलती है जिससे वे मेडिकल कॉलेज चला पाते हैं क्योंकि मेडिकल कॉलेज चलाना एक महंगा सौदा है

राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग नियम एन आर आई सीटों को खत्म करने का मन बना लिया था मध्यप्रदेश में मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा के लिए लगभग 35 सीटें आरक्षित हैं जिनमें एन आर आई स्टूडेंट ही एडमिशन ले सकते हैं लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन सीटों को सामान्य छात्रों से भरने का मन बना लिया था लेकिन इसके पहले ही निजी मेडिकल कॉलेज हाई कोर्ट पहुंच गए हाई कोर्ट ने इस मामले में आज सुनवाई करते हुए कहां की चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन व्यक्तिगत रूप से कल हाई कोर्ट में अपने जवाब के साथ पेश हो और यह जानकारी दें कि आखिर उन्होंने निजी मेडिकल कॉलेजों के एन आर आई कोटे के साथ छेड़खानी क्यों की


Conclusion:मध्यप्रदेश में पहले ही डॉक्टरों की भारी कमी है चिकित्सा शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दें और निजी मेडिकल कॉलेजों से ज्यादा से ज्यादा छात्रों को शिक्षा दिलवाने की कोशिश करें बजाय इसके चिकित्सा शिक्षा विभाग अक्सर ऐसे नियम कानून बनाता है जिससे डॉक्टरों के बनने में बाधा खड़ी हो सके और इसी बाधा को हटाने के लिए मेडिकल कॉलेजों से अधिकारी सांठगांठ भी करते हैं अब देखना है कि कोर्ट में कल यह अधिकारी क्या जवाब देते हैं
सिद्धार्थ गुप्ता एडवोकेट हाई कोर्ट
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