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अव्यवस्थाओं के बीच पढ़ने को मजबूर छात्र, न शौचालय, न पीने का पानी - water problem in school in madla

शासन-प्रशासन स्तर पर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधा की बात तो लगातार कही जाती है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अभी इन सरकारी स्कूलों के स्तर में सुधार की काफी गुंजाइश है.

मण्डला जिले के सरकारी स्कूल में नहीं सुविधाएं
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Published : Jun 19, 2019, 8:03 PM IST

मंडला। 24 जून से नए शिक्षा सत्र की शुरुआत होगी, लेकिन मण्डला के ऐसे बहुत से प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं, जहां बालकों के लिए दूर की बात बालिकाओं के लिए भी शौचालय नहीं है. पानी और बिजली की सुविधाएं भी भगवान भरोसे ही चल रही हैं.

मण्डला जिले के सरकारी स्कूल में नहीं सुविधाएं
अव्यवस्थाओं के बीच खुलेंगी शालाएं
  • बात करें जिले में कुल प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की, तो जिले में कुल 2,707 विद्यालय हैं, जिनमें 2,686 के पास अपनी बिल्डिंग है, जबकि 21 स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास अपने भवन नहीं हैं.
  • बात करें टॉयलेट की, तो कुल 2,651 बॉयज टॉयलेट हैं. 56 स्कूलों में अभी और टॉयलेट बनाए जाने हैं. बालिकाओं के लिए जिले के 2,676 स्कूलों में टॉयलेट बनाए गए हैं, जबकि 31 स्कूल ऐसे हैं, जहां बालिकाओं को शर्म के साथ टॉयलेट जाना पड़ता है.
  • जिले के 2,370 विद्यालयों में सीडब्ल्यू और एसवी टॉयलेट बनाए गए हैं. जबकि 337 स्कूलों में ऐसे टॉयलेट बनाए जाने शेष हैं.
  • स्कूल में पानी की सुविधा होना निहायत ही जरूरी होता है, लेकिन जिले के 2707 विद्यालयों में से मात्र 2632 प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल में पानी की सुविधा है, जबकि 75 स्कूल ऐसे हैं जहां पानी की सुविधा ही नहीं है.
  • बिजली कनेक्शन की तो जिले में सिर्फ 783 स्कूलों में बिजली कनेक्शन है. वही, 1924 ऐसे प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल है, जहां लोकसभा और विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हो जाने के बाद भी अब तक लाइट नहीं लगाई जा सकी है.
  • समस्त शासकीय भवनों में दिव्यांगजनों के लिए रैंप बनाना आवश्यक है, लेकिन जिले में कुल 1033 स्कूलों में ही रैंप है, जबकि 1,674 ऐसे स्कूल हैं, जहां दिव्यांग बालक-बालिकाओं को बिना रैंप के ही आना-जाना पड़ता है.

यह आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को किन बुनियादी जरूरतों के अभाव में पढ़ाई करनी पड़ती है.

मंडला। 24 जून से नए शिक्षा सत्र की शुरुआत होगी, लेकिन मण्डला के ऐसे बहुत से प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं, जहां बालकों के लिए दूर की बात बालिकाओं के लिए भी शौचालय नहीं है. पानी और बिजली की सुविधाएं भी भगवान भरोसे ही चल रही हैं.

मण्डला जिले के सरकारी स्कूल में नहीं सुविधाएं
अव्यवस्थाओं के बीच खुलेंगी शालाएं
  • बात करें जिले में कुल प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की, तो जिले में कुल 2,707 विद्यालय हैं, जिनमें 2,686 के पास अपनी बिल्डिंग है, जबकि 21 स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास अपने भवन नहीं हैं.
  • बात करें टॉयलेट की, तो कुल 2,651 बॉयज टॉयलेट हैं. 56 स्कूलों में अभी और टॉयलेट बनाए जाने हैं. बालिकाओं के लिए जिले के 2,676 स्कूलों में टॉयलेट बनाए गए हैं, जबकि 31 स्कूल ऐसे हैं, जहां बालिकाओं को शर्म के साथ टॉयलेट जाना पड़ता है.
  • जिले के 2,370 विद्यालयों में सीडब्ल्यू और एसवी टॉयलेट बनाए गए हैं. जबकि 337 स्कूलों में ऐसे टॉयलेट बनाए जाने शेष हैं.
  • स्कूल में पानी की सुविधा होना निहायत ही जरूरी होता है, लेकिन जिले के 2707 विद्यालयों में से मात्र 2632 प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल में पानी की सुविधा है, जबकि 75 स्कूल ऐसे हैं जहां पानी की सुविधा ही नहीं है.
  • बिजली कनेक्शन की तो जिले में सिर्फ 783 स्कूलों में बिजली कनेक्शन है. वही, 1924 ऐसे प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल है, जहां लोकसभा और विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हो जाने के बाद भी अब तक लाइट नहीं लगाई जा सकी है.
  • समस्त शासकीय भवनों में दिव्यांगजनों के लिए रैंप बनाना आवश्यक है, लेकिन जिले में कुल 1033 स्कूलों में ही रैंप है, जबकि 1,674 ऐसे स्कूल हैं, जहां दिव्यांग बालक-बालिकाओं को बिना रैंप के ही आना-जाना पड़ता है.

यह आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को किन बुनियादी जरूरतों के अभाव में पढ़ाई करनी पड़ती है.

Intro:24 जून से फिर नए शिक्षा सत्र की शुरुआत होगी लेकिन मण्डला जिले के ऐसे बहुत से प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं जहाँ बालकों की तो छोड़िए बालिकाओं के लिए भी सौचालय नहीं है ऐसे में पानी और बिजली की सुविधाओं के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता जिले के स्कूलों के ये आंकड़े खुद सरकारी महकमें से पूछते हैं "कैसे स्कूल चलें हम"


Body:गर्मियों की छुट्टियों के बाद एक बार फिर 24 तारीख से स्कूलों में रौनक दिखाई देगी,सभी सरकारी स्कूलों में बालक बालिकाएं फिर से पहुंचेंगे और शुरुआत होगी नए शिक्षण सत्र की लेकिन यह शुरुआत होगी फिर से आधी अधूरी सुविधाओं के साथ,या फिर बुनियादी सुविधाओं की समस्याओं से छात्र छात्राओं को फिर से सामना करना पड़ेगा,जिले में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जिनके पर अपनी इमारत ही नहीं है ऐसे स्कूलों की संख्या भी कम नहीं जहाँ अब तक सौचालय नहीं बने हैं वहीं सैकड़ों स्कूलों में पेयजल की सुविधा का अभाव है,विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान स्कूलों में बिजली कनेक्शन की बात की गई थी लेकिन अब भी ऐसे स्कूलों की संख्या कम नहीं जहाँ आज तक बिजली कनेक्शन नहीं लगे हैं।

अव्यवस्थाओं के बीच खुलेगी शालाएँ

शासन-प्रशासन स्तर पर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधा की बात तो लगातार कही जाती है लेकिन आंकड़े बताते हैं की अभी इन सरकारी स्कूलों के स्तर में सुधार की काफी गुंजाइश है बात करें जिले में कुल प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की तो
जिले में 2707 कुल विद्यालय हैं
जिनमें 2686 बिल्डिंग है जबकि 21 स्कूल ऐसे हैं जिनके पास अपने भवन नहीं है
बात करें टॉयलेट की तो कुल 2651 बॉयज टॉयलेट है 56 स्कूलों में अभी और टॉयलेट बनाए जाने से हैं बालिकाओं के लिए जिले के 2676 स्कूलों में टॉयलेट बनाए गए हैं जबकि 31 स्कूल ऐसे हैं जहां बालिकाओं को शर्म के बीच टॉयलेट जाना पड़ता है,वहीं जिले के 2370 विद्यालयों में सीडब्ल्यू और एस वी टॉयलेट बनाए गए हैं जबकि 337 स्कूलों में ऐसे टॉयलेट बनाए जाने शेष हैं किसी भी स्कूल में पानी की सुविधा होना निहायत ही जरूरी होता है लेकिन जिले के 2707 विद्यालयों में से मात्र 2632 प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल में पानी की सुविधा है जबकि 75 स्कूल ऐसे हैं जहां पानी की सुविधा ही नहीं है बात करें बिजली कनेक्शन की तो जिले में सिर्फ 783 स्कूलों में बिजली कनेक्शन है वही 1924 ऐसे प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल है जहां लोकसभा और विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हो जाने के बाद भी अब तक लाइट नहीं लगाई जा सकी है। समस्त शासकीय भवनों में दिव्यांग जनों के लिए रैंप बनाना आवश्यक है लेकिन जिले में कुल 1033 स्कूलों में की रैंप है जबकि 1674 ऐसे स्कूल हैं जहां दिव्यांग बालक बालिकाओं को बिना रैंप के ही आना जाना पड़ता है यह आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को किन खुशियों के साथ विद्या अध्ययन करना पड़ता है।

हाईस्कूल और हायरसेकंडरी स्कूल के भी कुछ यही हैं हालात

बात करें अगर हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्तर के स्कूलों की तो जिले में कुल 80 विद्यालय हैं जिनमें से 30 के पास अपने भवन नहीं है वही सिर्फ 58 स्कूलों में बालकों के लिए शौचालय उपलब्ध है जबकि 22 स्कूल ऐसे हैं जो शौचालय विहीन हैं ,इसी तरह बालिकाओं के लिए 67 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें शौचालय उपलब्ध है जबकि13 स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है वही सुदरीकरण योजना के अंतर्गत 54 शौचालय विभिन्न स्कूलों में बनाए गए हैं बात करें स्कूलों की तो अब तक 64 स्कूल राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत बनाए गए हैं जबकि 30 स्कूल ऐसे हैं जिनके पास अपने भवन नहीं है।


Conclusion:प्राथमिक,माध्यमिक,हाई स्कूल या फिर हायर सेकेंडरी स्कूल सभी सरकारी स्कूलों के आंकड़े बताते हैं की जहां एक तरफ देश तरक्की के नित नए पायदान की ओर अग्रसर है वही आज भी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर,कल का भविष्य कहलाए जाने वाले ये विद्यार्थी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ज्ञानार्जन कर रहे हैं जिनका होना किसी भी विद्यालय के लिए ना केवल जरूरी बलिक अनिवार्य होना चाहिए।

बाईट-- मुकेश कुमार पांडे
सहायक परियोजना समन्वयक मंडला
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