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किसान लगा रहे पराली में आग, कम हो रही मिट्टी की गुणवत्ता

खरगोन के जिला चिकित्सालय के पास किसान ने खेत की पराली में आग लगा दी. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बार-बार समझाने के बावजूद किसान जागरूक नहीं हो रहे हैं.

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Published : Apr 23, 2019, 3:22 PM IST

किसान लगा रहे पराली में आग

खरगोन। आंचलिक अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा कार्यशाला आयोजित कर किसानों को समय-समय पर अच्छी फसल उगाने की जानकारी दी जाती है, बावजूद इसके किसान पराली में आग लगाने से बाज नहीं आते. जिला चिकित्सालय के पास किसान ने पराली में आग लगा दी, जिससे प्रदूषण तो फैला ही, साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता भी इससे कम होती है.

किसान लगा रहे पराली में आग


दरअसल खरगोन में आज भी किसान गेहूं की फसल काटने के बाद खेतों में आग लगा देते हैं. ऐसी ही घटना जिला चिकित्सालय के पास देखने को मिली, यहां एक किसान ने अपने खेत में आग लगा दी. आग इतनी भीषण थी कि कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ जिस कुल्मी ने बताया कि ये 2 किलोमीटर दूर से दिखाई दे रही थी. प्रशासन के लाख प्रयासों के बाद भी किसान जागरूक नहीं हो रहे हैं.

खरगोन। आंचलिक अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा कार्यशाला आयोजित कर किसानों को समय-समय पर अच्छी फसल उगाने की जानकारी दी जाती है, बावजूद इसके किसान पराली में आग लगाने से बाज नहीं आते. जिला चिकित्सालय के पास किसान ने पराली में आग लगा दी, जिससे प्रदूषण तो फैला ही, साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता भी इससे कम होती है.

किसान लगा रहे पराली में आग


दरअसल खरगोन में आज भी किसान गेहूं की फसल काटने के बाद खेतों में आग लगा देते हैं. ऐसी ही घटना जिला चिकित्सालय के पास देखने को मिली, यहां एक किसान ने अपने खेत में आग लगा दी. आग इतनी भीषण थी कि कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ जिस कुल्मी ने बताया कि ये 2 किलोमीटर दूर से दिखाई दे रही थी. प्रशासन के लाख प्रयासों के बाद भी किसान जागरूक नहीं हो रहे हैं.

Intro:एंकर
किसान है कि मानते नही । आंचलिक अनुसन्धान केंद्र के विशेषज्ञओ द्वारा समय समय पर एडवाइजरी जारी की जाती रही है। बावजूद इसके किसान परली नही जलाने को लेकर किसान नही मानते । ऐसे ही शहर के मध्य जिला चिकित्सलय के पास एक किसान ने अपने खेत में परली जलाई। आग इतनी भयानक थी कि दो किलोमीटर दूर से ही आग दिख रही थी।


Body:खरगोन जिले में किसान गेहूं की फसल काटने के बाद किसान आज भी परम्परा के अनुसार खेतो में आग लगा कर परली को जला रहे है। कृषि अनुसंधसन केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ जिस कुल्मी ने बताया कि खेतो में आग लगने से भूमि कि उर्वरा शक्ति कम होती है। किसानों को समझते है कि फसल निकलने के बाद खेतों में रोटावेटर चलकर उसमे प्रोफेन दवाई का छिड़काव करें जिससे कुछ समय मे घांस सड़ कर मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। पर किसान समझते नही है। अभी 80 प्रतिशत किसान समझ चुके है। वो अब खेतो मद आग नही लगाते है।
बाइट-जीएस कुल्मी कृषि वैज्ञानिक


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