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कमलनाथ कैबिनेट का विस्तार जल्द , उप मुख्यमंत्री को लेकर भी चल रही हैं अटकलें - Kamal Nath Cabinet

कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है. माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट विधायकों और निर्दलीय और अन्य सहयोगी दलों के विधायकों को कमलनाथ अपनी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा निगम मंडलों के खाली पड़े पदों पर भी विधायकों की ताजपोशी की जा सकती है.

पंकज चतुर्वेदी, कांग्रेस प्रवक्ता
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Published : May 28, 2019, 8:14 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट चल रही है. बीजेपी की तरफ से सरकार गिराने के बयानों के बाद अब कमलनाथ अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं. सरकार बचाने की कोशिशों में सबसे पहले मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है.

माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट विधायकों और निर्दलीय और अन्य सहयोगी दलों के विधायकों को कमलनाथ अपनी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा निगम मंडलों के खाली पड़े पदों पर भी विधायकों की ताजपोशी की जा सकती है. लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ के खिलाफ भी विरोधी स्वर मुखर हुए हैं, ऐसे में उप मुख्यमंत्री पद की चर्चा भी जोर पकड़ रही है लेकिन उप मुख्यमंत्री कौन होगा और कितना शक्तिशाली होगा, इसको लेकर अटकलों का दौर गर्म है. हालांकि संगठन स्तर पर उपमुख्यमंत्री की चर्चा को सिर्फ अटकल बाजी करार दिया जा रहा है.

पंकज चतुर्वेदी, कांग्रेस प्रवक्ता

बीजेपी द्वारा सरकार गिराने के बयान को लेकर कमलनाथ इन दिनों विधायकों को एकजुट करने की कवायद में परेशान हैं, दूसरी तरफ कमलनाथ का विरोधी तबका उप मुख्यमंत्री पद के मामले को हवा दे रहा है. इन परिस्थितियों में यह तो तय हो चुका है कि कमलनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार आलाकमान की हरी झंडी मिलते ही कर दिया जाएगा. इस विस्तार में कांग्रेस पार्टी के उन वरिष्ठ विधायकों के लिए शामिल किया जाएगा, जो मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं, तो निर्दलीय विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. इसके अलावा सहयोगी दलों के विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.

उप मुख्यमंत्री पद के लिए दबाव
ऐसा माना जा रहा है कि ज्यादातर विधायकों को निगम मंडल में भी अहम स्थान दिया जाएगा. कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि उनके ऊपर उप मुख्यमंत्री पद के सृजन का दबाव बन रहा है. हालांकि कांग्रेस सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया उपमुख्यमंत्री पद के लिए पहले ही इनकार कर चुके हैं, लेकिन उन्हीं के खेमे से इस मुद्दे को हवा दी जा रही है. ऐसे में अगर सिंधिया सफल हुए, तो कमलनाथ के साथ एक उपमुख्यमंत्री भी देखने को मिल सकता है. फिलहाल कमलनाथ सरकार बचाने की कवायद में है बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार के साथ निगम मंडलों की नियुक्ति पर भी मंथन में जुट गए हैं.

'मुख्यमंत्री के स्तर पर ही तय होगा कि कौन कैबिनेट में शामिल होगा'
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विषय है कि मुख्यमंत्री के स्तर पर ही तय होगा कि कौन कैबिनेट में शामिल होगा और कौन नहीं होगा. दलीय होगा या फिर निर्दलीय होगा या फिर सहयोगी दलों का होगा, यह सब विशेषाधिकार मुख्यमंत्री का होता है. यह एक संवैधानिक तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. कैबिनेट विस्तार का विषय मुख्यमंत्री के निर्णय पर छोड़ना चाहिए. मुख्यमंत्री जो निर्णय लेंगे, वह मध्यप्रदेश की जनता के हित में होगा. वहीं डिप्टी सीएम के सवाल पर उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम पर भी मुख्यमंत्री और पार्टी आलाकमान तय करेगा.

भोपाल। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट चल रही है. बीजेपी की तरफ से सरकार गिराने के बयानों के बाद अब कमलनाथ अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं. सरकार बचाने की कोशिशों में सबसे पहले मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है.

माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट विधायकों और निर्दलीय और अन्य सहयोगी दलों के विधायकों को कमलनाथ अपनी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा निगम मंडलों के खाली पड़े पदों पर भी विधायकों की ताजपोशी की जा सकती है. लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ के खिलाफ भी विरोधी स्वर मुखर हुए हैं, ऐसे में उप मुख्यमंत्री पद की चर्चा भी जोर पकड़ रही है लेकिन उप मुख्यमंत्री कौन होगा और कितना शक्तिशाली होगा, इसको लेकर अटकलों का दौर गर्म है. हालांकि संगठन स्तर पर उपमुख्यमंत्री की चर्चा को सिर्फ अटकल बाजी करार दिया जा रहा है.

पंकज चतुर्वेदी, कांग्रेस प्रवक्ता

बीजेपी द्वारा सरकार गिराने के बयान को लेकर कमलनाथ इन दिनों विधायकों को एकजुट करने की कवायद में परेशान हैं, दूसरी तरफ कमलनाथ का विरोधी तबका उप मुख्यमंत्री पद के मामले को हवा दे रहा है. इन परिस्थितियों में यह तो तय हो चुका है कि कमलनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार आलाकमान की हरी झंडी मिलते ही कर दिया जाएगा. इस विस्तार में कांग्रेस पार्टी के उन वरिष्ठ विधायकों के लिए शामिल किया जाएगा, जो मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं, तो निर्दलीय विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. इसके अलावा सहयोगी दलों के विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.

उप मुख्यमंत्री पद के लिए दबाव
ऐसा माना जा रहा है कि ज्यादातर विधायकों को निगम मंडल में भी अहम स्थान दिया जाएगा. कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि उनके ऊपर उप मुख्यमंत्री पद के सृजन का दबाव बन रहा है. हालांकि कांग्रेस सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया उपमुख्यमंत्री पद के लिए पहले ही इनकार कर चुके हैं, लेकिन उन्हीं के खेमे से इस मुद्दे को हवा दी जा रही है. ऐसे में अगर सिंधिया सफल हुए, तो कमलनाथ के साथ एक उपमुख्यमंत्री भी देखने को मिल सकता है. फिलहाल कमलनाथ सरकार बचाने की कवायद में है बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार के साथ निगम मंडलों की नियुक्ति पर भी मंथन में जुट गए हैं.

'मुख्यमंत्री के स्तर पर ही तय होगा कि कौन कैबिनेट में शामिल होगा'
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विषय है कि मुख्यमंत्री के स्तर पर ही तय होगा कि कौन कैबिनेट में शामिल होगा और कौन नहीं होगा. दलीय होगा या फिर निर्दलीय होगा या फिर सहयोगी दलों का होगा, यह सब विशेषाधिकार मुख्यमंत्री का होता है. यह एक संवैधानिक तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. कैबिनेट विस्तार का विषय मुख्यमंत्री के निर्णय पर छोड़ना चाहिए. मुख्यमंत्री जो निर्णय लेंगे, वह मध्यप्रदेश की जनता के हित में होगा. वहीं डिप्टी सीएम के सवाल पर उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम पर भी मुख्यमंत्री और पार्टी आलाकमान तय करेगा.

Intro:भोपाल। लोकसभा चुनाव के अप्रत्याशित परिणाम के बाद कांग्रेस संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट चल रही है।बीजेपी की तरफ से लगातार आ रहे सरकार गिराने के बयानों के बाद अब कमलनाथ अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं। सरकार बचाने की कोशिशों में सबसे पहले मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ रही है। माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट विधायकों और निर्दलीय और अन्य सहयोगी दलों के विधायकों को कमलनाथ अपनी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा निगम मंडलों के खाली पड़े पदों पर भी विधायकों की ताजपोशी की जा सकती है। लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ के खिलाफ भी विरोधी स्वर मुखर हुए हैं।ऐसे में उप मुख्यमंत्री पद की चर्चा भी जोर पकड़ रही है। लेकिन उप मुख्यमंत्री कौन होगा और कितना शक्तिशाली होगा। इसको लेकर अटकलों का दौर गर्म है। हालांकि संगठन स्तर पर उपमुख्यमंत्री की चर्चा को सिर्फ अटकल बाजी करार दिया जा रहा है।


Body:मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी कराकर महानायक के रूप में उभरे कमलनाथ के लिए लोकसभा की करारी हार के बाद कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ बीजेपी लगातार सरकार गिराने के बयान दे रही है। तो विधायकों को एकजुट करने की कवायद में कमलनाथ परेशान हैं। दूसरी तरफ कमलनाथ का विरोधी तब का उप मुख्यमंत्री पद के सृजन के मामले को हवा दे रहा है। इन परिस्थितियों में यह तो तय हो चुका है कि कमलनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार आलाकमान की हरी झंडी मिलते ही कर दिया जाएगा। इस विस्तार में कांग्रेस पार्टी के उन वरिष्ठ विधायकों के लिए शामिल किया जाएगा,जो मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं।तो निर्दलीय विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा सहयोगी दलों के विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि ज्यादातर विधायकों को निगम मंडल में भी अहम स्थान दिया जाएगा। कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि उनके ऊपर उप मुख्यमंत्री पद के सृजन का दबाव बन रहा है। हालांकि कांग्रेस सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के लिए पहले ही इनकार कर चुके हैं। लेकिन उन्हीं के खेमे से इस मुद्दे को हवा दी जा रही है।ऐसे में अगर सिंधिया सफल हुए, तो कमल नाथ के साथ एक उपमुख्यमंत्री भी देखने को मिल सकता है।फिलहाल कमलनाथ सरकार बचाने की कवायद में है बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार के साथ निगम मंडलों की नियुक्ति पर भी मंथन में जुट गए हैं।


Conclusion:मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का विषय है कि मुख्यमंत्री के स्तर पर ही तय होगा कि कौन कैबिनेट में शामिल होगा और कौन नहीं होगा। दलीय होगा या फिर निर्दलीय होगा या फिर सहयोगी दलों का होगा, यह सब विशेषाधिकार मुख्यमंत्री का होता है। यह एक संवैधानिक तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। कैबिनेट विस्तार का विषय मुख्यमंत्री के निर्णय पर छोड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री जो निर्णय लेंगे, वह मध्य प्रदेश की जनता के हित में होगा। वहीं डिप्टी सीएम के सवाल पर उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम पर भी मुख्यमंत्री और पार्टी आलाकमान तय करेगा। मध्यप्रदेश की सरकार जनहित में काम तेजी से कर पाए, यह ज्यादा जरूरी है क्योंकि आचार संहिता के चलते कई विकास कार्य रुक गए थे। अब जब आचार संहिता खत्म हो गई है, तो कल कैबिनेट में बहुत सारे जनहित के निर्णय लिए गए। मुझे लगता है कि हर फैसला पार्टी और मुख्यमंत्री पर छोड़ देना चाहिए, जनता का ध्यान रखकर फैसला लेंगे।
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