भोपाल| मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर पायल तड़वी की आत्महत्या मामले का लगातार विरोध बढ़ता जा रहा है. भोपाल में भी कई समाजसेवी संगठनों और होम्योपैथी डॉक्टर्स आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. देर शाम राजधानी के डिपो चौराहे पर युवा आदिवासी जनजाति संगठनों और होम्योपैथी डॉक्टर एसोसिएशन ने 2 किमी लंबा कैंडल मार्च निकाला. लोगों ने डॉक्टर पायल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
समाजसेवी संगठन के सदस्य संदीप कुलस्ते का कहना है कि जिस तरह की घटना मुंबई में डॉक्टर पायल के साथ घटित हुई है, उसे आत्महत्या नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उन्हें जाति सूचक शब्द कहकर अपमानित करने का प्रयास किया गया था. उन्होंने कहा कि आज देश बदल रहा है, लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जो जातिगत आधार पर अपनी मानसिकता को बनाए हुए हैं. संविधान में जातिगत टिप्पणी को लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं. जिसके बावजूद इस तरह की रैगिंग ली जाती है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने डॉ पायल को आत्महत्या के लिए मजबूर किया था, उन्हें फांसी तो नहीं दी जा सकती है, लेकिन कम से कम आगे से इस तरह की घटना दोबारा ना हो, इसे देखते हुए इन आरोपियों को 10 साल का कारावास होना चाहिए, ताकि समाज में एक अच्छा संदेश जा सके.
वहीं आईएएस अधिकारी श्याम सिंह कुमरे का कहना है कि मुंबई में डॉ पायल के साथ पिछले 6 महीने से लगातार रैगिंग और जातिसूचक शब्दों के ताने मार कर प्रताड़ित किया जा रहा था. जिससे तंग आकर 22 मई 2019 को अपने कमरे में उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. महाविद्यालय प्रशासन को इस संबंध में डॉ पायल ने लिखित में अवगत कराया गया था, जिसके बावजूद कार्रवाई नहीं की गई. घटना के बाद से ही समस्त अनुसूचित जाति और जनजाति समाज अत्यंत दुखी और आक्रोशित है. युवा आदिवासी जनजाति संगठन और सभी अनुसूचित जाति समाज द्वारा डॉक्टर पायल को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है और उन्हें न्याय दिलाने की मांग सरकार से की गई है.