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पत्थर खदान में भरे हुए पानी से मिली नाबालिग की लाश, नहाने के दौरान डूबकर हुई थी मौत

खनिज विभाग और तिरुपति बिल्डकॉन की बड़ी लापरवाही से पत्थर की खदान में भरे पानी में नहाने गए 17 वर्षीय नाबालिग की मौत हो गई थी. लगभग 30 घंटे बाद मंगलवार की शाम मृतक शुभम यादव का शव बाहर निकाला गया.

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Published : Apr 10, 2019, 1:03 PM IST

पत्थर खदान

उमरिया। पत्थर की बंद खदान में भरे पानी में नहाने गए युवक की डूबकर मौत हो गई थी, उसकी लाश को बाहर निकाल लिया गया है. खदान में 30 फुट पानी होने से शव को निकालने में जुटे बचाव दल को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लगभग 30 घंटे बाद मंगलवार की शाम मृतक शुभम यादव का शव बाहर निकाला गया.

गौरतलब है कि 2012 से बंद इस पत्थर खदान में उत्खनन का कार्य तिरुपति बिल्डकॉन कंपनी द्वारा कराया गया था. लेकिन पत्थर निकालने के बाद उसे खुला छोड़ दिया गया. खास बात यह है कि तिरुपति बिल्डकॉन द्वारा बंद खदान के ठीक बगल से ही दूसरी पत्थर की खदान में उत्खनन शुरू कर दिया गया, जबकि प्रशासन को तिरुपति बिल्डकॉन की इस करतूत की भनक भी नहीं है.

पत्थर खदान

बांका प्लांट की स्थापना 10 साल पहले ठेकेदार पद्म सिंघानिया द्वारा अपने निर्माणाधीन कार्यों के रॉ मटीरियल के निर्माण के लिए कराया गया था और खनिज विभाग से लीज लेकर प्लांट के पास ही पत्थर खनन का कार्य शुरू कर दिया गया. मासूम के मौत के बाद ग्रामीण में आक्रोश है और उनका कहना है कि समय रहते प्रशासन ने अगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो ग्रामीण प्लांट के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे. वहीं बांका प्लांट से होने वाले प्रदूषण और हैवी विस्फोट के कारण आसपास के दर्जनों किसानों ने अपनी खेतिहर जमीनों पर खेती करना भी बंद कर दिया है.

उमरिया। पत्थर की बंद खदान में भरे पानी में नहाने गए युवक की डूबकर मौत हो गई थी, उसकी लाश को बाहर निकाल लिया गया है. खदान में 30 फुट पानी होने से शव को निकालने में जुटे बचाव दल को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लगभग 30 घंटे बाद मंगलवार की शाम मृतक शुभम यादव का शव बाहर निकाला गया.

गौरतलब है कि 2012 से बंद इस पत्थर खदान में उत्खनन का कार्य तिरुपति बिल्डकॉन कंपनी द्वारा कराया गया था. लेकिन पत्थर निकालने के बाद उसे खुला छोड़ दिया गया. खास बात यह है कि तिरुपति बिल्डकॉन द्वारा बंद खदान के ठीक बगल से ही दूसरी पत्थर की खदान में उत्खनन शुरू कर दिया गया, जबकि प्रशासन को तिरुपति बिल्डकॉन की इस करतूत की भनक भी नहीं है.

पत्थर खदान

बांका प्लांट की स्थापना 10 साल पहले ठेकेदार पद्म सिंघानिया द्वारा अपने निर्माणाधीन कार्यों के रॉ मटीरियल के निर्माण के लिए कराया गया था और खनिज विभाग से लीज लेकर प्लांट के पास ही पत्थर खनन का कार्य शुरू कर दिया गया. मासूम के मौत के बाद ग्रामीण में आक्रोश है और उनका कहना है कि समय रहते प्रशासन ने अगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो ग्रामीण प्लांट के खिलाफ मोर्चा खोल देंगे. वहीं बांका प्लांट से होने वाले प्रदूषण और हैवी विस्फोट के कारण आसपास के दर्जनों किसानों ने अपनी खेतिहर जमीनों पर खेती करना भी बंद कर दिया है.

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